اهل بیت علیهم السلام
अहमद बिन हंमबल अल मुसनद में रिवायत करते हैं: जब पैग़म्बरे अकरम (स) पर यह पवित्र आयत उतरी तो आँ हज़रत (स) ने हज़रत अली (अ), जनाबे फ़ातेमा और हसन व हुसैन (अ) को बुलाया और फ़रमाया: ख़ुदावंदा यह मेरे अहले बैत हैं।
ऐ हुमैराः (ये हज़रत आयशा का लक्ब था) जिस रात मुझे पर मेराज ले जाया गया जिब्रईल ने मुझे जन्नत के दरख्तों में से एक दरख्त की तरफ रहनुमाई की ... पस मैंने उस दरख्त का फल खाया, जो मेरी सुल्ब में क़रार पा गया और जब मैं वापस हुआ और ख़दीजा के पास गया तो उससे...
जब पहले ख़लीफ़ा ने उनको फ़िदक वापस नहीं दिया और यह हदीस पढ़ी कि पैग़म्बर ने फ़रमाया है कि हम अंबिया मीरास नहीं छोड़ते हैं और जो कुछ छोड़ते हैं वह सदक़ा है तो आप बहुत क्रोधित होती हैं और आपका क्रोध इन लोगों से इतना अधिक होता है कि आप वसीयत करती है कि...
हमको यह जान लेना चाहिए कि फ़िदक एक बहुत ही आबाद और उपजाऊ धरती थी जो यहूदियों की सम्पत्ती थी, हिजाज़ में कुछ यहूदी रहते थे और वह पैग़म्बर के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे जैसा कि स्वंय क़ुरआन ने इस बात को बयान किया है, इन यहूदियों के पास बहुत सी ज़मीनें थीं..
रसूले ख़ुदा (स.) ने फ़रमायाः ख़ुदा वन्दे आलम ने मेरी बेटी फ़ातेमा, उन के बच्चों और उन के चाहने वालों को आग से दूर और उसके तकलीफ़ पोहचाने से रोका है, इसी लिये उन का नाम फ़ातेमा है। (कनज़ुल उम्माल जिल्द 6 सफ़्हा 219)
बिलाल ने दूर से बड़े ध्यान से दृष्टि डाली। मदीना नगर के हरे- भरे और ऊंचे-२ खजूरों के पेड़ दिखाई दे रहे थे और उनके पीछे मदीना नगर के छोटे- छोटे कच्चे घर दिखाई दे रहे थे। बिलाल ने एक गहरी सांस ली ताकि वह मदीने से आने वाली ठंडी मधुर समीर का आभास कर सकें
ईश्वर ने इस आयत में सीधे रास्ते को बताया है और कहा है कि सीधा रास्ता वह रास्ता है कि जिस पर चलने वालों पर नेमतें नाज़िल की गई हैं और ख़ुदा ने लोगों के चाहा है कि उससे प्रार्थना करें कि वह भी सीधे रास्तें पर रहें ताकि उन पर भी उसकी नेमतें नाज़िल हों।
अमीरुल-मोमनीन (अ) फ़रमाते हैं: फातिमा (स) कभी भी मुझसे नाराज़ नहीं हुईं, और न मुझको नाराज़ किया.जब भी मैं उनके चेहरे पर नज़र करता हूं, मेरे सभी दुख दूर हो जाते हैं और सारी तकलीफ़ें समाप्त हो जाती हैं। न उन्हों ने कभी मुझे क्रोधित किया और न कभी मै ने उनको,
ऐ पैग़म्बर, इल्म के आ जाने के बाद जो लोग तुम से कट हुज्जती करें उनसे कह दीजिए कि (अच्छा मैदान में) आओ, हम अपने बेटे को बुलायें तुम अपने बेटे को और हम अपनी औरतों को बुलायें और तुम अपनी औरतों को और हम अपनी जानों को बुलाये और तुम अपने जानों को, उसके बाद हम स
जो लोग तुमसे हुज्जत करें उनसे कह दीजिएः आओं हम अपने बेटों को बुलाएं, तुम अपने बेटों को, हम अपनी औरतों को लाएं और तुम अपनी औरतों को, हम अपने नफ़्सों को लाएं तुम अपने नफ़्सों को फिर हम मुबाहेला करें और झूठों पर ख़ुदा की लानत करें
अहलेबैत (अ) से नक़्ल होने वाली रिवायतों में से कुछ रिवायतों में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा के मुसहफ़ की बात कही गई है, और एक किताब की आपकी तरफ़ निस्बत दी गई है जैसा कि मोहम्मद बिन मुस्लिम इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत करते हैं
आप ऐसी महिला हैं जो ख़ानदाने वही के लिऐ गर्व और सम्मान का कारण हैं सूरज की तरह इस्लामी आकाश पर चमकती रहेंगी। इस्लामी इतिहास गवाह है कि आप के सम्मान में ख़ुद पैगंबरे इस्लाम (स) खड़े हो जाते थे और आपका अत्याधिक सम्मान करते थे।
अल्लामा अब्दुर्रऊफ़ मनावी लिख़ते हैं फ़ातेमा का अली के साथ विवाह ईश्वर के आदेश से था। इस बारे में इब्ने मसऊद से रिवायत है कि पैग़म्बर (स) ने फ़रमायाः जान लो कि ईश्वर ने मुझे आदेश दिया है कि फ़ातेमा की शादी अली से कर दूं इस चीज़ की तबरानी ने रिवायत की है
न्यूयार्क की मिस वरकन हौल, अपनी मशहूरकिताब (the holy daughter of holy prophet) में लिखती हैं कि वह पैग़म्बर (स) की महबूब बेटी थीं जिन के अंदर अपने बाप के तमाम औसाफ़ व कमालात जमा थे। फ़ातेमा ज़हरा वह आली मक़ाम ख़ातून थीं जिन के फ़रिश्ते भी नौकर थे
पैग़म्बरे इस्लाम के आख़िरी जानशीन और इस ज़माने में अल्लाह की आख़िरी हुज्जत व तमाम मुसलमानों के आख़िरी इमाम, इमामे ज़माना (अज) की ग़ैबत और उनके ज़ुहूर का मसला उन मसाएल में से है जिन पर शिया और सुन्नी हर आहले क़लम ने कुछ न कुछ लिखा है, लेकिन ग़ैबत के मसले..
प्रसिद्ध रूसी लेखक मुरब्बी एवं फ़ल्सफ़ेए अख़लाक़ के माहिर जिस की शिक्षा और आइडियालोजी को बड़े बड़े राजनीतिज्ञो ने आइडियल बनाया है, वह कहते हैं कि पैग़म्बर इस्लाम (स0) का महान व्यक्तित्व और हस्ती सम्पूर्ण सत्कार एवं सम्मान के लायक़ है और उन का धर्म बुद्धी
सुन्नी मुसलमानों के अनुसार रसूले ख़ुदा का जन्म 12 रबीउल अव्वल को हुआ था जबकि शियों का मानना है कि हज़रत का जन्म 17 रबीउल अव्वल को हुआ था। इसलिए ईरान में शिया और सुन्नी विद्वानों के दृष्टिकोणों का सम्मान करते हुए मुसलमानों के बीच एकता सप्ताह की घोषणा की गई
हमारे इस विशेष संस्करण में पैग़म्बर की मीरास या उपहार फ़िदक के बारे में मौजूद महत्वपूर्ण प्रश्नों, संदेहों, नबी की बेटी फ़ातेमा ज़हरा द्वारा फ़िदक वापस पाने के लिए की जाने वाली कोशिशों और उसके विरुद्ध अबूबक्र एवं उमर के रोल से संबंधित लेखों को पेश किया है
फ़ातेमाः मैंने सुबह की इस हालत में कि इस दुनिया से बेज़ार हूँ और मुझे तुम्हारी दुनिया से नफ़रत है और तुम्हारे वह मर्द जिन्होंने मेरी सहायता नहीं की उनसे प्रसन्न नहीं हूँ, उनको आज़माने के बाद मैंने उन्हें दूर फेंक दिया और अपने तजुर्बे से उनसे दुश्मनी की।
हम जानते हैं कि जब हज़रते ज़हरा से फ़िदक छीना गया और आपने उसे पाने का प्रयत्न किया, उसके न मिलने पर आपने मस्जिद में ख़ुत्बा दिया उसके बाद किसी ने कहा कि अगर अली पहले आते तो हम अली की बैअत करते तो फ़ातेमा कहती हैं कि ग़दीर के बाद किसी के पास कोई बहाना नही