سوال و جواب و شبهه

इस्लामी एकता
ग़दीर या उस से मुतअल्लिक़ हदीस या वाक़ेयात पर तबसेरा या तज़किरा बाज़ हज़रात को मनाफ़ी ए इत्तेहाद नज़र आता है। बहुत से ज़ेहनों में यह बात भी आती होगी कि ग़दीर के ज़िक्र के साथ यह इत्तेहाद, जो हम मुख़्तलिफ़ इस्लामी फ़िरक़ों में वुजूद में लाना चाहते हैं, कैस
जाने आख़िर क्यों इस्राईल फ़िलिस्तीनियों की हत्या करता रहता है
फ़िलिस्तीनियों पर इस्राईल द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों और जनसंहारों की ख़बरें हेडलाइन में आती रहती है, अब तो इसको आम बात समझ के न सही से देखा जाता है और न मीडिया दिखाती है लेकिन प्रश्न यह है कि इस्राईल आख़िर क्यों फ़िलिस्तीनियों की हत्या करता रहता है
ईदे ज़हरा की हक़ीक़त
ईदे ज़हरा 9 रबी उल अव्वल को मनाई जाती है और इस ईद को मनाने की बहुत सी वजहें बयान की जाती हैं। जैसेः बाज़ लोग कहते हैं कि 9 रबी उल अव्वल को हज़रत फ़ातेमा (अ.) ज़हरा का दुश्मन हलाक हुआ था, लेहाज़ा यह ख़ुशी का दिन है इसी वजह से इस रोज़ को ‘‘ईदे ज़हरा‘‘ के
इमाम हुसैन ने मोआविया के ज़माने में आन्दोलन क्यों नहीं किया?
इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम ने मुआविया के ज़माने में आन्दोलन के लिए कोई क़दम क्यों नहीं उठाया? क्या वजह थी कि इमाम हुसैन ने मोआविया के विरुद्ध क़याम नहीं किया?
सब कुछ जानते बूझते हुसैन कर्बला क्यों गए?
इमाम हुसैन (अ) ने जब पैग़म्बरे इस्लाम (स) से सुन रखा था कि कर्बला में क्या होगा और उनपर कितने अत्याचार किये जाएंगे और इमाम होने के नाते उनको स्वंय इन चीज़ों का ज्ञान था तो फिर वह कर्बला क्यों गये?
और दो शिया काफ़िर हो गए
मैं यहां पर किसी वहाबी, बहाई या किसी और मुनहरिफ़ समुदाय की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि यह कहानी शुद्ध रूप से दो पक्के शिया मुसलमानों की है। वह शिया जो कुछ दिन पहले तक एक साथ एक ही महल्ले में रहा करते थे, उन्होंने एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी और हद...
लो क़मा और ज़ंजीर के बाद अब गोलियों का मताम आ गया
अज़ादारी को अगर अहलेबैत की बताई हुई सीमाओं में रखा गया तो उसका सवाब जन्नत होता है, एक आँसू की क़ीमत यह हो जाती है कि सय्यदए कौनैन उसके अपने रूमाल में जगह देती हैं, लेकिन जब वह अहलेबैत की बताई हुई सीमाओं से आगे निकल जाती है तो कभी हमको हज़रत क़ासिम की शादी
आयतुल्लाह सीस्तानी और ख़ामेनेई से सवाल
आयतुल्लाह सीस्तानी और ख़ामेनेई से सवाल
बैअत से इनकार पर यह आयत पढ़ी हुसैन ने
मदीने के हाकिम ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को बुलाया और उनसे यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने स्वीकार नही किया और देरी की।
वहाबी मुफ़्ती की गुस्ताख़ी का मुंहतोड़ जवाब
जब तेरे पूर्वज नज्द के रेगिस्तान में टिड्डों और छिपकलियों के पीछें भागा करते थे उस समय पारस के मजूसी (!) महलों में रहा करते थे और उनके पास एक सभ्यता थी...
हम क्यों नहीं जानते क़यामत कब आएगी?
कितने आश्चर्य की बात है कि इन्सान को अपनी मौत की ख़बर नहीं है इसके बावजूद वह इतनी बुराईया, झूठ, चोरी अत्याचार, रिश्वतख़ोरी आदि करता है तो अगर उसको पता चल जाता कि उसकी मौत कब आएगी जैसे अगर उसको मालूम होता की अभी 20 साल वह और जीवित रहेगा तो क्या नहीं करता!
क्या या अली मदद कहना शिर्क है?
शिया समुदाय का विश्वास यही है कि ईश्वर के अलावा कोई और प्रभावी नहीं है और अगर ईश्वर के अतिरिक्त किसी और में कुछ करने की क्षमता है तो वह इसलिए है कि उन्हें यह सब कुछ अल्लाह ने प्रदान किया है अस्तित्व का स्रोत केवल ईश्वर है जिसके संदर्भ में अहले बैत