مقالات

सऊदी अरब की महिलाएं
यह घटना केवल एक विचार और अवधारणा नहीं है बल्कि यह काम 2002 में सऊदी अरब में हो चुका है।
इंमाम हुसैन
तीसरी हिजरी कमरी वर्ष के शाबान महीने की तीन तारीख थी। इसी दिन हज़रत अली अलैहिस्सलाम के घर में प्रकाश के चांद हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ।
सलवाते शाबानिया
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ شَجَرَةِ النُّبُوَّةِ وَ مَوْضِعِ الرِّسَالَةِ وَ مُخْتَلَفِ الْمَلائِكَةِ وَ مَعْدِنِ الْعِلْمِ وَ أَهْلِ بَيْتِ الْوَحْيِ
salwat e shabaniya
हे लोगों! जान लो कि अल्लाह का महीना, बरकतों, रहमतों और गुनाहों की बख़्शिशों के साथ तुम्हारी तरफ़ आया है, वह महीना जो अल्लाह के नज़दीक तमाम महीनों से अधिक महत्वपूर्ण है, और जिसके दिन दूसरे दिनों से श्रेष्ठ, उसकी रातें दूसरी रातों से अधिक महान और जिसके घड़ि
शाबान की मुनासेबतें
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम व आपकी माता हज़रत फ़तिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा हैं। आप अपने माता पिता की द्वितीय सन्तान थे। आप हजरत मोहम्मद साहेब के छोटे नवासे भी हैं हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का जन्म सन् चार हिजरी क़म
तीन शाबान के आमाल
यह बड़ा बा-बरकत दिन है! शेख़ ने मिस्बाह में फ़रमाया है की ईस रोज़ ईमाम हुसैन (अस:) की विलादत हुई, ईमाम अस्करी (अ:स) के वकील क़ासिम बिन अल-हमादानी की तरफ़ से फ़रमान जारी हुआ की जुमारात 3 शाबान क़ो ईमाम हुसैन (अस:) की विलादत बा-सआदत हुई है! बस ईस दिन का रोज़ा
पैग़म्बर की बेसत क्या है
वह एक रहस्यमय रात थी। चांद का मंद प्रकाश नूर नामक पर्वत और उसके दक्षिण में स्थित मरूस्थल पर फैला हुआ था। मक्का और उसके आसपास की प्रकृति पर गहरी निद्रा छायी हुई थी।
यह बड़ी मुबारक रातों में से है क्योंकि यह रसूल अल्लाह (स:अ:व:व) के मबअस (तबलीग़ पर मामूर होने) की रात है और इस रात के कुछ विशेष अमाल हैं
27 रजब
पैग़म्बरे इस्लाम (स) ईश्वरीय दूत बनने की औपचारिक घोषणा से पहले प्रत्येक वर्ष एक महीने के लिए हिरा पहाड़ में वक़्त गुज़ारते थे।
अमले उम्मे दाऊद
उम्मे दाऊद कहती है कि मंसूर दवानेक़ी ने मदीने में सेना भेजी और हसने मुसन्ना और उनके भाई इब्राहीम को शहीद कर दिया और हसने मुसन्ना, इब्राहीम के पिता को कुछ लोगों के साथ गिरफ़्तार कर लिया, मेरा बेटा दाऊद भी उन लोगों में था।
इमाम मोहम्मद तक़ी
दस रजब सन 195 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ और मानव जाति के मार्गदर्शन का एक और सूर्य जगमगाने लगा
रजब के आमाल
ग़ौरतलब है कि इस्लामी कैलेंडर में रजब, शाबान और रमज़ान के महीनों को बहुत अहमियत हासिल है और बहुत सी रिवायतों में इनकी श्रेष्ठता और फ़ज़ीलत के बारे में बयान हुई हैं। जैसा कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमाया है कि रजब का महीना ईश्वर के नज़दीक बहुत महत्वता...
अय्यामे बीज़ के आमाल
रजब के महीने की 13, 14 और 15 तारीख़ के अय्यामे बीज़ कहा जाता है, इन दिनों की बहुत फज़ीलत बयान की गई है, इन दिनों के कुछ ख़ास आमाल है जिनको अंजाम देना बहुत सवाब रखता है।
टोयोटा और दाइश
जब ब्रिटिश समाचार पत्र इंडिपेंडेंट ने सीरिया और मध्य पूर्व की जंग को “सोने की खान” बताया और अमरीकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने हथियार निर्माता कंपनियों के शेयरों की क़मीतें बढ़ने क बारे में लिखा तब बहुत कम लोगों ने यह सोचा था कि जापान की कंपनी “टोयोटा”
मुकतदा सद्र
2003 में सद्दाम के फ़िलाफ इराक में सैन्य हमले के बाद इस देश के शियों दबे कुचले शियों को राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखने का अवसर प्रदान कर दिया।
the korean girl
मुझे मध्य पूर्व और अरबों की हर चीज़ पसंद थी, लेकिन इस्लाम से नफ़रत थी, लेकिन मैं जितना इस्लाम के बारे में पढ़ती गई, उनती मोहब्बत बढ़ती गई, यहां तक कि मैं मुसलमान हो गई।
इमाम अली नक़ी की शहादत
वर्ष 254 हिजरी क़मरी के रजब महीने की तीसरी तारीख़ पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के एक अन्य पौत्र की शहादत की याद दिलाती है।
मीट पर पाबंदी और मुसलमानों के हालात
कुरैशी मोहल्ले की सुलेमा खातून की चार बेटियां हैं. इनका निकाह करना है. वे बीमार रहती हैं, सो दवा का खर्च भी उठाना पड़ता है.
भारत में इस्राईल
इस्राईल द्वारा भारत में अलगाववाद फैलाया जा रहा है। यह सुनकर आप थोड़े अचंभे में पड़ गए होंगे क्योंकि अब तक भारत को सैन्य मदद देने वाले मुल्क के तौर पर आप इस्राईल को जानते होंगे। लेकिन सच्चाई इस से अलग कुछ और है।
रजब की दुआ
रजब के महीने में यह दुआ रोज़ाना की नमाज़ों के बाद ताक़ीबात के तौर पर पढ़ी जाती है

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