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जब भी इमाम हुसैन के ग़म और उन पर सोगवारी की बात आती है तो दुनिया का हर इंसान अपने अपने अंदाज़ में अलग अलग तरह से फ़ातेमा ज़हरा को उनके लाल हुसैन का पुरसा देता है कोई उन पर किताब लिखता है तो कोई लेख और कोई पेंटिग या किसी और तरह से अपने ग़म को बयान करता है
मोहर्रम के मौक़े पर हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के मशहूर और भुलाए न जा सकने वाले नौहों की एलबम