रजब के महीने में रोज़ाना पढ़ी जानी वाली दुआ

रजब के महीने में यह दुआ रोज़ाना की नमाज़ों के बाद ताक़ीबात के तौर पर पढ़ी जाती है

सकीना बानो अलवी

रजब के महीने में यह दुआ रोज़ाना की नमाज़ों के बाद ताक़ीबात के तौर पर पढ़ी जाती है

 يا مَنْ اَرْجُوهُ لِكُلِّ خَيْرٍ، وَ آمَنُ سَخَطَهُ عِنْدَ كُلِّ شَرٍّ، يا مَنْ يُعْطِى الْكَثيرَ

 بِالْقَليلِ، يا مَنْ يُعْطى‏ مَنْ سَئَلَهُ، يا مَنْ يُعْطى‏ مَنْ لَمْ يَسْئَلْهُ وَ مَنْ لَمْ يَعْرِفْهُ‏

 تَحَنُّناً مِنْهُ وَ رَحْمَةً، اَعْطِنى‏ بِمَسْئَلَتى‏ اِيَّاكَ، جَميعَ خَيْرِ الدُّنْيا وَ جَميعَ خَيْرِ

 الْأخِرَةِ، وَ اصْرِفْ عَنّى‏ بِمَسْئَلَتى‏ اِيّاكَ جَميعَ شَرِّ الدُّنْيا، وَ شَرِّ الْأخِرَةِ، فَاِنَّهُ‏

 غَيْرُ مَنْقُوصٍ مااَعْطَيْتَ، وَ زِدْنى‏ مِنْ فَضْلِكَ يا كَريمُ

अनुवादः

आरम्भ करता हूँ अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है,

हे वो जिस से हर भलाई की आशा रखता हूँ और हर बुराई के समय उसके क्रोध (अज़ाब) से पनाह चाहता हूँ

हे वो जो थोड़े अमल पर ज़्यादा सवाब देता है, ऐ वो जो हर सवाल करने वाले (मांगने वाले) को देता है

हे वो जो उसे भी देता है जो सवाल नहीं करता और इसे भी देता है जो उसे नहीं पहचानता, एहसान और रहमत के तौर पर, तू मुझे भी मेरे सवाल लोक एवं परलोक की तमाम भलाईयां और नेकियाँ दे दे और मुझ से दूर कर दे मेरे सवाल से जो तेरी तरफ़ है  लोक और परलोक की तमाम तकलीफें और मुश्किलें,  क्योंकि तू जितना अता करे तेरे यहाँ कमी नहीं आती, ऐ करीम तू मुझ पर अपने करम में इज़ाफा फ़रमा!

रावी कहता है किः फिर इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने अपनी दाढ़ी को अपने बाएं हाथों की उंगलियों से पकड़ा और रोते गिड़गिड़ाते हुए इस दुआ को पढ़ा और आप अपने दाहिने हाथ की पहली उंगली (अंगुश्ते शहादत) को हिला रहे थे। और फिर आपने कहाः

 ياذَا الْجَلالِ ‏وَ الْاِكْرامِ، يا ذَاالنَّعْمآءِ وَ الْجُودِ، يا ذَا الْمَنِّ وَ الطَّوْلِ، حَرِّمْ شَيْبَتى‏ عَلَى النَّارِ  

अनुवादः

हे साहिबे जलालत व बुज़ुर्गी वाले, हे नेमतों और बख्शिश के मालिक, हे साहिबे एहसान व अता, मेरी दाढ़ी को आग पर हराम फ़रमा दे।

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