टोयोटा, दाइश के कीचड़ से कमाई करती जापानी कंपनी

जब ब्रिटिश समाचार पत्र इंडिपेंडेंट ने सीरिया और मध्य पूर्व की जंग को “सोने की खान” बताया और अमरीकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने हथियार निर्माता कंपनियों के शेयरों की क़मीतें बढ़ने क बारे में लिखा तब बहुत कम लोगों ने यह सोचा था कि जापान की कंपनी “टोयोटा”

 

जब ब्रिटिश समाचार पत्र इंडिपेंडेंट ने सीरिया और मध्य पूर्व की जंग को “सोने की खान” बताया और अमरीकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने हथियार निर्माता कंपनियों के शेयरों की क़मीतें बढ़ने क बारे में लिखा तब बहुत कम लोगों ने यह सोचा था कि जापान की कंपनी “टोयोटा” भी इस अशांत बाज़ार से एक बड़ा लाभ कामाएगी।

सीरिया और इराक़ में दाइश क वजूद में आने के बाद से ही दाइश और टोयोटा का चोली दामन का साथ रहा है, इस प्रकार कि जापान की इस कंपनी की गाड़ियों के कठिन भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के कारण इसको “लोहे के ऊँट” का दर्जा मिल गया और टोयोटा कंपनी की “लैंड क्रूज़र” और “टोयोटा हाइलोक्स” दाइश का प्रतीक बन गईं।

लेकिन आतंकवादियों के साथ इस जापानी कंपनी की दोस्ती ने एक समय में इस कंपनी के शेयरों की कीमत और उसकी साख को गिरा दिया, यहां तक कि ख़रीदार टोयोटा और उसकी गाड़ियों को लेकर बुरी भावना रखने लगे, उनको यह समझ में आने लगा कि यह कंपनी जनसंहारों में शामिल है। लेकिन प्रश्न यह ही कि यह गाड़ियां कैसे दाइश के हाथों में पहुँच जाती हैं? इस प्रश्न के उत्तर के लिए हमको दाइश और इराक़ एवं सीरिया में सक्रिया आतकंवादी संगठनों के आर्थिक और राजनीतिक समर्थकों का दृष्टिकोण खंगालना होगा।

हां इस बिदु पर ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह गाड़ियां सबसे अमीर आतंकवादी संगठनों के हाथों में पहुँचती हैं, जो तुर्की को सस्ते दामों पर तेल बेचते हैं और जिनको वहाबी दाइशी विचारधारा के अंतर्गत सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त है।

यह गाड़ियां सऊदी अरब के आर्डर पर तुर्की के हवाले की जाती हैं और वहां से यह आतंकवादी संगठनों के हाथों में पहुँचती हैं, और मज़े की बात यह हैकि सऊदी अरब ने केवल इसी पर बस नहीं किया है बल्कि टोयोटा कंपनी से कहा हैकि यह गाड़ियां ईरान और सीरिया एवं इराक़ की क़नूनी सरकार के हाथों तक न पहुँचें ताकि आतंकवादियों के साथ उनके टकराव को रोक कर भौगौलिक स्तर पर दाइश और अलनुस्रा की लाभ में हालात को बदला जा सके।

जिस पर सऊदी अरब ने इस कंपनी को वादा दिया है कि ईरान और सीरिया के बाज़ार से बाहर होने के कारण उनको जो हानि होगी वह उसकी क्षतिपूर्ति करेंगे, जैसा कि उन्होंने फ्रांस से मांग की है कि वह ईरान को हथियार बेचने के बदले उस पर दबाव डालें।

सऊदी अरब के इस प्रस्ताव ने अगरचे आरम्भ में नया बाज़ार हाथ आने के कारण टोयोटा के लिए लाभदायक रहा लेकिन उसके बाद के बदलाव यानी ट्योटा के इस कार्य पर विश्व समुदाय की नाराज़गी ने इस कंपनी के शेयरों को बहुत गहरा धचका पहुँचाया।

जापान की इस कंपनी ने कोशिश की है कि न तो उसके हाथ से आतंकवादियों का यह आश्चर्यजनक बाज़ार हाथ से जाने पाए और न ही कंपनी की साख गिरने पाए!! इसीलिए उन्होंने सऊदियों से मांग की है कि इस कार्य पर रोक लगाई जाए, लेकिन रियाज़ पेट्रोडॉलर की सहायता से न सिर्फ़ दाइश को इन गाड़ियों से लैस करने की कोशिश कर रहा है, बल्कि वह यह भी प्रयत्न कर रहा है कि यह गाड़ियां ईरान, इराक़ और सीरिया तक न पहुँच सकें।

लेकिन सऊदी अरब की इस प्रकार की राजनीतिक रिश्वत और गैर-राजनयिक व्यवहार केवल टोयोटा कंपनी और फ़्रांस तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अरब क्रांतियों और इस्लामी जागरुक्ता के फैलने और सऊदी बादशाहत के क्षेत्र में बदलाव के साथ ही यह भावना पैदा हो चुकी है कि अब सऊदी अरब में खेल के क़ानून बदल सकने की वह राजनीतिक शक्ति नहीं रह गई है या कम से कम क्षेत्र की घटनांओं में उसका प्रभाव कम ज़रूर हो गया है।

सऊदी अरब की सीमा के अंदर बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के कारण बढ़ती चिंता और क्षेत्र में बड़ा किरदार अदा करने के प्रति सऊदी अरब की कोशिशों के कारण सऊदी अरब को अपने राजनीतिक स्थायित्व को बनाए रखने के लिए दाइश को को एक कार्ड के तौर पर प्रयोग कर रहा है, ताकि अपना अस्तित्व भी बचाए रख सके औऱ क्षेत्र के बदलते माहौल पर उसका प्रभाव भी बना रहे।

जापानी कंपनी पर जनता की तरफ़ लगातार दबाव जारी है, अगरचे अमरीकी भी इस विषय में शामिल थे लेकिन उन्होंने जनता को धोखा देने के लिए कई बार टोयोटा कंपनी की तीखी आलोटना की है, ट्योटा कंपनी ने भी विश्व समुदाय की तरफ़ से पड़ते दबाव के बाद एलान किया था कि यह गाड़ियां क्षेत्रीय दलालों और स्थानीय डीलरों के माध्यम से दाइश के हाथों में पहुँच रही हैं, और दूसरी तरफ़ दाइश के हाथ में पुरान मॉडल की गाड़ियां हैं।

लेकिन सऊदियों की तरफ़ से इस कंपनी की प्रशंसा और ईरान, इराक़ एवं सीरिया के बाज़ार की क्षतिपूर्ती का वाद दिया जाना दिखाता है कि सऊदी अरब ने इस संगठन की वित्तीय सहायता में अपने संदिग्ध राजनीतिक को बदला नहीं है।

हालांकि क्षेत्रीय विश्लेषकों का कहना है किः अब समय आ गया है कि जापानी इस प्रसिद्ध कंपनी को बदनाम होने से बचाने के लिए सऊदी अरब से प्राप्त होने वाले लाभ पर क़ुरबान न करें।

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