اهل بیت ع

बनी उमय्या समर्थक नासबी कहते हैं किसी सहाबी के गलत कामों को बयान करना कुफ्र है. और उनकी आलोचना करना कुफ्र है. और इसीलिए शिया काफ़िर है अगर कुफ्र का मेयार वाकई किसी सहाबी की आलोचना करना ही है तो सबसे बड़े काफ़िर बनी उमय्या हुए जो लंबे समय तक सहाबी अली इब्न
आइम्मा और अहलेबैत (अ) ने गालीों के बारे बहुत ही सख्त रुख अख्तियार किया है बल्कि अगर यह कहा जाए तो यह ग़लत नहीं होगा कि अहले बैत (अ) ने जिस तरह ग़ुलु समस्या में गालीयों की निंदा की है ऐसी किसी समस्या में निंदा नहीं की पूरी ताकत के साथ उनका मुकाबला किया और इ
सैयदा आलम ने अपने पिता बुज़ुर्गवार रसूले ख़ुदा की मौत के 3 महीने बाद सन् 11 हिजरी क़मरी में वफ़ात पाई। अपनी इच्छा के अनुसार अपनी अंतिम संस्कार रात को करने की वसीयत की..
करबला का युध और उससे हमें क्या सबक़ मिलता है
इस विडियों में करबला के युद्ध की ओर इशारा हुआ है जो यज़ीद और इमाम हुसैन (अ) के बीच हुआ था यह सत्य और असत्य की लड़ाई थी सच्ची जीत उसी की होती है जिसका मिशन बच जाये इमाम हुसैन का कार्य संसार के लिये था इसी कारण सभी आपकी याद मनाते हैं इसमें यह बताया गया है क
इमाम हुसैन (अ) कौन हैं? वीडियो
इस विडियों में इमाम हुसैन (अ) के बारे में बताया गया है, यज़ीद और आपमें क्या अन्तर है यह भी बताया गया है, इसमें इमाम हुसैन (अ) के माता पिता और आपके परिवार की महानता को बताया गया है, इसमें आपके चमत्कारों के साथ साथ आपकी विषेशताओं की ओर भी इशारा किया गया है
पैगम्बर ने फरमाया है: इस्लाम खत्म नहीं होता जब तक बारह उत्तराधिकारि ना आ जाएं.
इस्मत अहले बैत अलैहिमुस्सलाम
शियों का मानना है की परमेश्वर अपने खास सेवकों इल्म खेब प्रदान करता है.
हमारे धर्म में जो इमामत का अर्थ है उसके आधार पर कोई दूसरा इमाम से बेहतर नही हो सकता जैसे वे सभी गुण जो एकमात्र नबी के लिए आवश्यक हैं
बदा शियों के दृष्टि से
आज की दुनिया में कुछ मुतअस्सिब वहाबियों का ये कहना है शिया बदा के कायल हैं.
आज की दुनिया में कुछ मुतअस्सिब वहाबियों का ये कहना है शिया रजअत के कायल हैं. हालांकि रजअत का इनकार कुरान के खिलाफ है क्योंकि कुरान में बहुत सी आयतों में पिछले क़ौमों में रजअत का होना बयान हुआ है .
पैगम्बर ने फरमाया है: इस्लाम खत्म नहीं होता जब तक बारह उत्तराधिकारि ना आ जाएं.
अहले बैत अलैहिमुस्सलाम का इल्म ग़ैब
शियों का मानना है की परमेश्वर अपने खास सेवकों इल्म खेब प्रदान करता है. عالم الغیب فلا یظهر علی غیبه احداً الا من ارتضی
करबला में मुहर्रमे हुसैनी का एक दिलफ़रेब मंज़र
इमाम अली की शुजाअत
खुद इमाम अली ने चुप रहने की इल्लत इस तरह बयान क्या है दरअसल, इस्लाम और इस्लामी एकता बनाए रखने के लिये में चुप रहा हैं.
इमाम अली के मकामात
अली परमेश्वर को किसी ने नहीं पहचाना सिवाय मेरे और तुम्हारे और तुम्हे किसी ने नहीं पहचाना सिवाय मेरे और अल्लाह के .
पैग़म्बर (स) से तबर्रुक करना कैसा है?
कुछ लोग कहते हैं तबर्रुक आप से सही नहीं है लेकिन अगर हम इस्लाम की पुस्तकों पड़हैं विशेष रूप से वे पुस्तकें जो बहुत पुरानी पुस्तकें हैं जो सदर इस्लाम के नज़दीक लिखी गई हैं तो उनसे हमें पता चलेगा कि पैग़म्बर अकरम से तबर्रुक करना सही है.
कुरान की दृष्टि से नबी की फज़ीलतें
खुद कुरान में आपके किन फ़ज़ीलतों का वर्णन किया गया है यूं तो कई फज़ीलतें हैं जो हमें इतिहास और हदीस की पुस्तकों में मिल जाएंगे. लेकिन खुद कुरान जो अल्लाह की किताब है इस में कितनी फज़ीलतें बयान हुई हैं.
शफ़ाअत अहलेबैत
इमाम सादिक़ (अ) से सवाल किया गया क्या मोमिन को कयामत दिन रसूल की शफ़ाअत की जरूरत होगी ?
नबूवत (14)
यह ऐसे लोग लोग हैं जिन्होंने पैगम्बर (स) का इस समय साथ दिया है जब मुक्के में कोई साथ देने वालामोजूद न था दुश्मन तो मौजूद थे जो हर जगह नबी को नुकसान पहचाना चाहते थे. लेकिन आपका कोई मददगार नहीं था.

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