करबला

सच्चा अज़ादार किताब डाउनलोड करें (pdf हिंदी)
सच्चा अज़ादार कौन, हिंदी किताब
उम्मुल बनीन का मज़ार
जनाबे उम्मुल बनीन (स.अ) के पिता हज़्ज़ाम बिन ख़ालिद बिन रबी कलाबिया थे तथा आप को अरब के प्रसिद्ध बहादुरों मे गिना जाता था एवं अपने क़बीले के सरदार भी थे और आपकी माता का नाम तमामा था।
करबला में अज़ादारी
हज़रत उम्मुल बनीन (स) की वफ़ात के मौक़े पर कर्बला में हज़रत इमाम हुसैन (अ) और हज़रत अब्बास (अ) के रौजो़ं के सेवक अज़ादारी करते हुए।
या ज़ैनब
इंसान जब दुनिया में आता है तो उसके पास न इल्म होता है और न तजुर्बा। जैसे-जैसे ज़िन्दगी की कठिनाईयों से गुज़रता है इल्म व तजुर्बे की वजह से उसके अंदर कमाल पैदा हो जाता है। वैसे तो इंसान के नेचर में यह बात पाई जाती है कि वह कमाल चाहता है
इमाम हुसैन का रौज़ा
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े के गुंबद के पुनर्निर्माण की योजना के प्रमुख ने बताया है कि एक चमत्कार के चलते अब तक यह गुंबद अपने स्थान पर टिका हुआ है।
karbala city
बग़दाद और करबला रूट पर इमाम हुसैन की ज़ाएरों से मख़सूस सैय्यदुल औसिया सिटी का उद्घाटन कर दिया गया है।
कर्बला इमाम ख़ुमैनी की नज़र में
सय्यदुश्शोहदा हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने कुछ साथियों, क़रीबी रिश्तेदारों औऱ घर की औरतों के साथ यज़ीद के ख़िलाफ़ आंदोलन चलाया। चूँकि आपका आंदोलन अल्लाह के लिये था इस लिये उस दुष्ट की हुकूमत की बुनियादें (नींव) भी हिल गईं।
इमाम हुसैन (अ) के क़ातिलों का अंजाम
शियों की मोतबर किताब कामिलुज़ ज़ियारत में ज़िक्र हुआ है कि जो लोग भी इमाम हुसैन (अ) के क़त्ल में शरीक थे, इन तीन बीमारियों में से एक में ज़रूर फँसेंगें, दीवानगी, बर्स और कोढ़।
इमाम हुसैन (अ.) का पहला चेहलुम
वह दिन जब जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह अन्सारी इमाम की ज़ियारत करने पहुँचे चेहलुम यानि इमाम की शहादत का चालीसवाँ दिन था। जाबिर के साथ हज़रत अली (अ.) के एक सहाबी भी थे जो कूफ़े के रहने वाले थे और उनका नाम अतिया इब्ने हारिस था। इन दिनों जाबिर मदीने में रहते थे
आयतुल्लाह सीस्तानी की कर्बला जाने वाले ज़ाएरों से अपील
आयतुल्लाह सीस्तानी ने इमाम हुसैन के चेहलुम के लिए करबला जाने वाले ज़ाएरीन और क़ाफेला सालारों से ज़ियारत के आयोजन में सहयोग किए जाने की अपील की है ताकि ज़ियारत को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न किया जा सके।
रोक़य्या बिन्तुल हुसैन ऐतेहासिक दस्तावेज़ों में
इमाम हुसैन (अ) की एक तीन साल की बेटी थी इमाम हुसैन (अ) के सर को एक तश्त में रखा था और उसपर एक कपड़ा डाल रखा था, वह उनके सामने लाए और उस पर से कपड़ा हटा दिया। इमाम हुसैन (अ) की बेटी ने उस सर को देखा और पूछा यह किसका सर है? कहाः यह तुम्हारे पिता का सर है
इमाम हुसैन का पहला ज़ाएर
अतिया औफ़ी कहते हैः जाबिर बिन अब्दुल्लाहे अंसारी के साथ इमाम हुसैन (अ) की क़ब्र की ज़ियारत के लिये बाहर निकले, जब हम कर्बला पहुँचे जाबिर फ़ुरात के किनारे पहुँचे और वहां ग़ुस्ल किया, उसके बाद एक लुंगी बांधी और एक कपड़ा अपने कांधे पर डाला, और एक थैला निकाला
इब्ने ज़ियाद के दरबार में हज़रत ज़ैनब (स) का ख़ुत्बा
जब असीरों का क़ाफ़ेला दरबारे इब्ने ज़ेयाद में पहुंचा तो इब्ने ज़ेयाद ने पूछा के वह औरत कौन है जो अपनी कनीज़ों के हमराह एक गोशे में बैठी है? आपने जवाब न दिया उसने दो तीन बार इस्तेफसार किया मगर कोई जवाब न पाया फिर कनीज़ों ने जवाब दिया के यह नवासीए रसूल
करबला जाने से पहले काबे की छत पर हज़रत अब्बास का ख़ुत्बा
आठ ज़िलहिज्जा सन साठ हिजरी यानी हुसैनी काफ़िले के कर्बला की तरफ़ कूच करने से ठीक एक दिन पहले क़मरे बनी हाशिम हज़रत अबुल फ़ज़लिल अब्बास (अ) ने ख़ान –ए- काबा की छत पर जाकर एक बहुत ही भावुक और क्रांतिकारी ख़ुत्बा दिया।
इमाम हुसैन की ज़ियारत पर न जाने का अज़ाब
हलबी ने इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत की है कि आपने फ़रमायाः जो भी इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत को छोड़ दे, जब कि वह इस कार्य पर सामर्थ हो तो उसने पैग़म्बरे इस्लाम (स) की अवहेलना की है।
शाहदत स्पेशल, हज़रत इमाम सज्जाद (अ) का जीवन परिच
हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का नाम अली व आपकी मुख्य उपाधियां सज्जाद व ज़ैनुल आबेदीन हैं। सज्जाद अर्थात अत्यअधिक सजदे करने वाला। ज़ैनुल आबेदीन अर्थात इबादत की शोभा।
माँ, बाप, अल्लाह, पेट और पड़ोसी का हक़ चौथे इमाम की नज़र में
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.) ने फ़रमाया: अल्लाह का तुम पर हक़ यह है कि उसकी आराधना करो और किसी चीज़ को उसका साथी न बनाओ, और अगर सच्चे दिल से यह किया तो अल्लाह ने वादा किया है कि वह तुम्हारे दुनिया और आख़ेरत के कार्यों को पूरा करे और जो तुम उसस चाहो वह तुम्हारे
"चेहलुम" हिंदी एंड्रॉयड अप्लीकेशन
टीवी शिया की तरफ़ से हिंदी भाषा में लोगों को मोहम्मदी इस्लाम के संबंध में सच्ची जानकारियां फ़राहम कराई जा रही हैं, इसी सिलसिले में इस बार टीवी शिया ने इमाम हुसैन के यज़ीद के विरुद्ध किए जाने वाले क़याम को केन्द्र में रख कर चेहलुम अप्लीकेशन लांच किया गया ह
बीस मोहर्रम, हुसैनी काफ़िले के साथ
आशूर के दस दिन के बाद बनी असद के कुछ लोगों ने हज़रत अबूज़र ग़फ़्फ़ारी के दास हज़रत जौन के पवित्र शरीर को देखा इस अवस्था में कि उनके चेहरे से प्रकाश फैल रहा था और उनके शरीर से सुगंध आ रही थी, इन लोगों ने हज़रत जौन को दफ़्न किया।
हुसैन आज भी अकेले हैं!!
इन्सान आज भी जब इतिहास में झांक कर देखता है तो उसे दूर तक रेगिस्तान में दौड़ते हुए घोड़ें की टापों से उठती हुई धूल के बीच खिंची हुई तलवारों, टूटी हुए ढालों और टुकड़े टुकड़े लाशों के बीच में टूटी हुई तलवार से टेक लगाकर बैठा हुआ एक ऐसा व्यक्ति दिखाई देता, ज

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