चमत्कार ने इमाम हुसैन के गुंबद को गिरने से बचा रखा है!

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े के गुंबद के पुनर्निर्माण की योजना के प्रमुख ने बताया है कि एक चमत्कार के चलते अब तक यह गुंबद अपने स्थान पर टिका हुआ है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े के गुंबद के पुनर्निर्माण की योजना के प्रमुख ने बताया है कि एक चमत्कार के चलते अब तक यह गुंबद अपने स्थान पर टिका हुआ है।

इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में पैग़म्बरे इस्लाम के नाती इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का रौज़ा (मज़ार) स्थित है। हर साल कई करोड़ लोग ज़ियारत के लिए कर्बला पहुंचते हैं। पवित्र रौज़े के स्वर्णिम गुंबद की मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम ईरान के अली मुहाजेरी और उनकी टीम को सौंपा गया है। उन्होंने बताया कि यह गुंबद अब तक चमत्कारिक रूप से अपने स्थान पर टिका हुआ है और किसी भी विशेषज्ञ के लिए इसका इतनी मज़बूती से टिका रहना अचंभे की बात है।

न्होंने बताया कि गुंबद जिन लकड़ियों पर टिका हुआ है उनमें से अधिकतर खोखली हो चुकी हैं।

अली मुहाजेरी ने इसी तरह बताया कि रौज़े के विस्तार के लिए हमने ज़मीन की जांच शुरू की। हमारी पास ज़मीन स्केन करने की जो मशीन है वह 35 मीटर नीचे तक की हर चीज़ दिखा देती है। यह मशीन एक्स रे तरंगों की तरह काम करती है और ज़मीन के अंदर के सभी विषयों को स्पष्ट कर देती है। जब हमने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़रीह के नीचे ज़मीन स्केन करना शुरू किया तो उसकी तरंगें 6 मीटर से अधिक नीचे की चीज़ें नहीं दिखा रही थीं। हमें बड़ा आश्चर्य हुआ और काफ़ी पूछताछ के बाद यह स्पष्ट हुआ कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पवित्र शरीर उनकी ज़रीह से छः से सात मीटर नीचे है। यह एक विचित्र बिंदु है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े के गुंबद के पुनर्निर्माण की योजना के प्रमुख ने बताया कि जब हम इमाम हुसैन की ज़रीह के आस-पास की ज़मीन की जांच करते हुए साढ़े ग्यारह मीटर नीचे पहुंचे तो हमने देखा कि वहां की मिट्टी की महक और  रंग क़ब्र के निकट की ज़मीन की महक और रंग से भिन्न है। अली मुहाजेरी ने बताया कि हमने तीन साल पहले इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की क़ब्र के निकट की मिट्टी ईरान के काशान नगर की एक प्रयोगशाला में भेजी थी। आशूरा या इमाम हुसैन की शहादत के दिन वह मिट्टी लाल रंग की हो गई और अगले दिन फिर पहले वाले रंग की हो गई। उन्होंने बताया कि अब हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े के गुंबद और अन्य स्थानों की मरम्मत या पुनर्निर्माण कर रहे हैं उसके कारण अगले 500 साल तक यहां किसी भी प्रकार के पुनर्निर्माण की ज़रूरत नहीं होगी।

 

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