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हमारे पिता बूढ़े हो चुके हैं और धरती पर कोई मर्द नहीं है जो सांसारिक नियमों की तरह हमारे पास आए, आओ ताकि हम अपने पिता को शराब पिलाएं, और उनके साथ सोएं ताकि अपने पिता की एन नस्ल को बचाए रख सकें
हज़रत खदीजा (स) ज़िन्दगी के तमाम तल्ख़ व शीरीं हवादिस में बेसत के बाद पैग़म्बरे इस्लाम (स) की शरीके ग़म रहीं, हमेशा आपकी सलामती की ख़्वाहाँ थी, अपने ग़ुलामों व ख़िदमतगारों को पैग़म्बरे इस्लाम (स) की तलाश में भेजा करती थीं।
सुन्नी जमाअत में सबसे पहले आला हज़रत ने देओबंदी आलिमों की गुस्ताखाना किताबों पर फतावे लगाये और आम मुसलमानों को इनके वहाबी अकीदे के बारे में अवगत कराया! हसमुल हरामेंन लिखकर अपने साफ़ किया की दारुल उलूम देओबंद हकीक़त में वहाबी विचारधारा को मानने वाला स्कूल
एकता व एकजुटता उन सिद्धांतों और नियमों का भाग है जिन पर पैग़म्बरे इस्लाम ने हमेशा बल दिया। पैग़म्बरे इस्लाम ने इसके लिए बड़े प्रयत्न भी किए। हज़रत अली अलैहिस्सलाम इस बारे में कहते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने सामाजिक खाइयों को एकता की भावना से भरा और दूरियो
सुयूती इब्ने अब्बास से रिवायत करते हैं: जब पैग़म्बरे अकरम (स) पर यह आयत नाज़िल हुई तो इब्ने अब्बास ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह आपके वह रिश्तेदार कौन है जिनकी मुहब्बत हम लोगों पर वाजिब है? तो आँ हज़रत (स) ने फ़रमाया: अली, फ़ातेमा और उनके दोनो बेटे
हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की समाधि पवित्र शहर मशहद मे है। जहाँ पर हर समय लाखो श्रद्धालु आपकी समाधि के दर्शन व सलाम हेतू एकत्रित रहते हैं। यह शहर वर्तमान समय मे ईरान मे स्थित है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) जब मेराज पर जा रहे थे तो जिब्रईल ने उनसे कहाः हे अल्लाह के रसूल (स) क्या आप जानते हैं कि आप अभी कहां हैं? आप मस्जिदे कूफ़ा के पास हैं, आपने फ़रमायाः मेरे ख़ुदा से अनुमति लो
नेकी और भलाई यह नहीं है कि तुम्हारे पास अधिक दौलत और औलाद हो, बल्कि भलाई ज्ञान और इल्म की अधिकता और अमल एवं व्यवहार अच्छा होने में है, और यह इन्सान के धैर्य एवं विवेक से सम्बंधित है,
मुस्लिम रात्रि में कूफ़ा पहुँचे, और एक भरोसेमंद शिया के घर ठहरे, मुस्लिम के कूफ़ा पहुँचने की सूचना कूफे के गलियों और कूचों में फैल गई, शिया उनके पास आते थे और इमाम हुसैन (अ) की बैअत करते थे इतिहास में है कि बारह, अठ्ठारह या इब्ने कसीर के अनुसार चालीस हज़ा
ग़दीर यानी रसूलल्लाह (स.अ.) की तरफ़ से अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अ. को मुसलमानों का वली बनाने का विषय बहुत अहेम विषय है। इसके द्वारा रसूलल्लाह (स.अ.) नें मुसलमानों के भविष्य के लिये एक सिस्टम का परिचय किया है जिसे मुस्लिम सुसाइटी का मैनेजमेंट सिस्टम कह सकत
अल्लाह मेरा मौला है और मैं मोमेनीन का मौला हूँ और मैं उनके नफ़सों पर उनसे ज़्यादा हक़्क़े तसर्रुफ़ रखता हूँ। हाँ ऐ लोगो “मनकुन्तो मौलाहु फ़हाज़ा अलीयुन मौलाहु अल्लाहुम्मावालि मन वालाहु व आदि मन आदाहु व अहिब्बा मन अहिब्बहु व अबग़िज़ मन अबग़ज़हु व अनसुर मन
जिबरईल (अ) तीन मरतबा मेरे पास सलाम व हुक्मे ख़ुदा लेकर नाज़िल हुए कि मैं इसी मक़ाम पर ठहर कर हर सियाह व सफ़ेद को यह इत्तेला दे दूँ कि अली बिन अबी तालिब मेरे भाई, वसी, जानशीन और मेरे बाद इमाम हैं
फ़तवा कमेटी के स्थाई सदस्य सालेह बिन फ़ौज़ान ने अपनी किताब के एक भाग जिसका शीर्षक “वहाबियों के पहशीपन का ख़ुदा” में दूसरों की तकफ़ीर और दीन से बाहर जाने वाले कारणों का अध्ययन किया है और उनके राजनीतिकरण के बाद सऊदी अरब की सत्ता के अस्तित्व में आने के बारे
जब हेजाज़ में इस्लाम का उदय हुआ तो उस समय केवल यही क्षेत्र एसा था जहां के लोगों ने मूर्ति पूजा छोड़कर ईसाई धर्म गले लगाया था। सन दस हिजरी क़मरी में पैग़म्बरे इस्लाम ने इस क्षेत्र के लोगों को...
जब भी (ईसाईयों के बारे में) उस ज्ञान एवं जानकारी के बाद जो तुम तक पहुंची है (फिर भी) जो लोग तुमसे हुज्जत करें उनसे कह दीजिएः आओं हम अपने बेटों को बुलाएं, तुम अपने बेटों को, हम अपनी औरतों को लाएं और तुम अपनी औरतों को, हम अपने नफ़्सों को लाएं तुम अपने नफ़्स
जब तेरे पूर्वज नज्द के रेगिस्तान में टिड्डों और छिपकलियों के पीछें भागा करते थे उस समय पारस के मजूसी (!) महलों में रहा करते थे और उनके पास एक सभ्यता थी...
फिर आपने अपने चेहरे और आँखों को आसमान की तरफ़ उठाया और आपकी दोनों आँखों से दो मश्कों की तरह आँसू जारी थे फिर आपने बुलंद आवाज़ में कहाः
हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम, अज़ीज़े मिस्र के घरे में पले-बढ़े और व्यस्कता के चरण तक पहुंचे और फिर ज्ञान व तत्वदर्शिता से संपन्न हुए। उनके सुंदर व तेजस्वी चेहरे ने अज़ीज़े मिस्र को वशीभूत कर लिया था और उसकी पत्नी ज़ुलैख़ा भी उन्हें चाहने लगी थी
संतुलित परिवारों में कार्यों में सहयोग एवं सहकारिता को भी महत्व प्राप्त होता है। वे घर के कार्यों में एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। इस बारे में मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यदि विभिन्न विषयों के बारे में अपने जीवनसाथी के दृष्टिकोणों को दृष्टिगत रखा जाए और भ