पैग़म्बरे अकरम पश्चिमी विद्वानों की नज़र में
पैग़म्बरे अकरम पश्चिमी विद्वानों की नज़र में
क़ुराने मजीद के सूरए अहज़ाब में ईश्वर कहता है कि, हे पैग़म्बर, हमने तुम्हें गवाह, शुभ सूचना देने वाला और (प्रकोप) से डराने वाला बनाकर भेजा है। अल्लाह की अनुमति से उसकी ओर आमंत्रित करने वाला और उज्जवल दीप बनाकर।
एक ऐसे स्थान पर, जो एशिया, अफ़्रीक़ा और यूरोप महाद्वीपों का संगम है, ईश्वरीय दूत भेजे गए जिन्होंने मानवता को कल्याण एवं मुक्ति की ओर आमंत्रित किया। विश्व के पांच महान ईश्वरीय दूतों ने विश्व के रणनीतिक क्षेत्र मध्यपूर्व में विभिन्न शैलियों से एक ही संदेश दिया और उनका एक ही उद्देश्य था। उन्होंने एक ईश्वर की प्रशंसा की और विश्व को अन्याय से मुक्ति दिलाने और न्याय की स्थापना पर बल दिया।
भयानक तूफ़ान के बाद जब हज़रत नूह की नाव जूदी वर्तन पर जाकर रुकी तो हज़रत नूह (अ) और उनके थोड़े से साथियों ने दुनिया को नए सिरे से बसाने का बीड़ा उठाया और मानव इतिहास की पुनः शुरूआत की। उसके बाद, हज़रत इब्राहीम ने बेबिलोन की सरज़मीन पर एकेश्वरवाद का प्रचार किया। हज़रत मूसा ने अपनी चमत्कारी लाठी द्वारा फ़िरऔन के वर्चस्व से अपनी क़ौम को मुक्ति दिलाई। फ़िरऔन ईश्वर होने का दावा करता था और लोगों को अपना दास बताता था। उसके बाद हज़रत ईसा ने पीड़ितों एवं निर्धनों को सहारा दिया और अंतिम ईश्वरीय दूत की लोगों को शुभ सूचना दी। अंततः जब विश्व भर में अनेक ईश्वरों की पूजा होती थी और हर ओर अज्ञानता एवं अंधविश्वास का बोलबाला था, ईश्वर के अंतिम दूत का मक्का में उदय हुआ। उन्होंने मानवता को आज़ादी एवं मानवाधिकारों के सम्मान का उच्चतम संदेश दिया और इतिहास में समस्त इंसानों के शिक्षक बन गए। मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) का व्यक्तित्व समस्त गुणों का संगम है कि जो इतिहास में विभिन्न ईश्वरीय दूतों द्वारा प्रज्वलित होता रहा। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई के शब्दों में जब हम पैग़म्बरे इस्लाम का नाम लेते हैं तो मानो इब्राहीम, नूह, मूसा, ईसा, लुक़मान और समस्त ईश्वरीय दूतों और ख़ास बंदों का प्रकाश इस पवित्र व्यक्तित्व में चमक उठा।
आज की आधुनिक दुनिया में इस्लाम के विस्तार के साथ ही संकीर्ण मानसिकता वाले उसके दुश्मन योजनानुसार उसका विरोध कर रहे हैं और उसे बदनाम करने का कुप्रायस कर रहे हैं। वर्ष 2006 में डनमार्क के ईलांड्स पोस्टेन समाचार पत्र द्वारा महान पैग़म्बर का अपमान करके इस्लाम के विरोध की नई लहर शुरू हुई। वर्ष 2011 में अमरीकी पादरी टेरी जोंस ने क़ुराने मजीद की प्रति को जलाने का एलान करके इस्लाम से अपनी शत्रुता का प्रदर्शन किया। इसी दौरान, इस्लाम की सबसे महान हस्ती के संबंध में अपमानजनक फ़िल्म का निर्माण करके इस्लाम के महान नैतिक सिद्धांतों का विरोध किया गया। इसी परिप्रेक्ष्य में 2012 और 2015 में फ़्रांसीसी पत्रिका शारली हेब्दो ने अपमान जनक कार्टून प्रकाशित किए।
हालांकि पैग़म्बरे इस्लाम (स) का अद्वितीय व्यक्तित्व एवं शिष्टाचार इस प्रकार से प्रकाशमय है कि इस प्रकार का मूर्खतापूर्ण क़दम आकाश की ओर कीचड़ उछालने जैसा है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस प्रकार का अपमान ऐसे लोगों की ओर से किया जाता है जो बिल्कुल समझबूझ नहीं रखते और द्वेष एवं अज्ञानता में ग्रस्त हैं। ईरान के डॉक्यूमैंट्री फ़िल्म निर्माता अब्बास लाजवर्दी ने “कौनसी आज़ादी” नामक फ़िल्म बनाने के लिए पश्चिम की यात्रा की। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान, टेरी जोंज़ और डैनमार्क के कार्टूनिस्ट कर्ट वेस्टरगार्ड से साक्षात्कार लिया। लाजवर्दी ने उनसे सवाल किया कि क्या आपने क़ुरान पढ़ा है? उन दोनों ने कहा कि नहीं, उसके बाद लाजवर्दी ने कहा कि आप लोगों ने कभी क़ुरान नहीं पढ़ा और इस किताब को समझे बिना क़ुरान और पैग़म्बर का अपमान किया।
इस नई कार्यक्रम श्रंखला में हम इस्लाम के महान ईश्वरीय दूत के व्यक्तित्व को पश्चिमी विद्वानों की दृष्टि से देखेंगे। निःसंदेह, इंसाफ़ पंसद विचारक एवं विद्वान हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) जैसी प्रभावशाली एवं महान हस्ती का इनकार नहीं कर सकते। वे मानवीय संस्कृति एवं सभ्यता के विकास में पैग़म्बरे इस्लाम (स) की भूमिका को स्वीकार करते हैं। हालांकि इन ग़ैर मुस्लिम विद्वानों ने पश्चिमी नैतिक सिद्धांतों एवं संस्कृति के आधार पर पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यक्तित्व का जायज़ा लिया है, लेकिन उनकी बातों में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के आचरण की वास्तविकता की झलक दिखाई पड़ जाती है कि जो प्रशंसनीय है।
कार्यक्रम के पहले भाग में हम पैग़म्बरे इस्लाम (स) की प्रशंसा में जर्मन लेखक, कवि एवं विचारक योहान वुल्फ़गांग फ़ान गेटे की कविता के एक भाग का उल्लेख कर रहे हैं। इस्लाम धर्म से परिचित होने के बाद, जर्मनी के प्रसिद्ध कवि गेटे ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) की प्रशंसा में एक कविता कही थी। इस कविता में उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम की शैली और विश्व में इस्लाम के विस्तार का उल्लेख किया है। पश्चिमी भौतिकतावादी विचारों के बावजूद, इस यूरोपीय कवि का पैग़म्बरे इस्लाम से प्रेम एवं लगाव आश्चर्यजनक है। गेटे, मोहम्मद का तराना नामक कविता में पैग़म्बरे इस्लाम (स) को एक सोते से उपमा देते हुए कहते हैं कि:
उस सोते की ओर देख
वही कि जो पर्वतों से फूटता है
कितना सुन्दर और शीतल
और वह चमकते हुए तारों की भांति लगता है
और मार्गदर्शक के आने के साथ ही
समस्त आँखें कि जो उनकी मित्र हैं
उनके साथ हो जाती हैं
और वहां दर्रे की गहराई में
जहां इसके पैर पड़ते हैं फूल उगने लगते हैं
और फूल पत्तियां उसके सांसों से जीवित हो उठती हैं।
नई टिप्पणी जोड़ें