मौत की सज़ा से ठीक पहले शेख़ निम्र ने माँ को ख़त में यह लिखा

वहाबी मानसिकता रखने वाले शजरे मलऊना आले सऊद ने यह सोंचा था कि शेख़ निम्र की फ़ासी से सऊदी अरब में उठ रही सुधार की मांगो की आवाज़ दब जाएगी, लेकिन सही कहा गया है कि सच को कभी दबाया नहीं जा सकता है कल केवल एक शेख़ निम्र थे जो आले सऊद के विरुद्ध खड़े हुए थे..

आयतुल्लाह शेख़ बाक़िर अलनिम्र ने फांसी की सज़ा पाने से ठीक पहले कहा थाः अल्लात तुमको शुख़ ख़बरी दे।

टीवी शिया शेख़ बाक़िर अलमिन्र की वेबसाइट ने लिखाः “सालों तक अन्यायपूर्ण तरीक़े से जेल में रहने और दिखावे की अदालत के बाद सऊदी अदालत ने शेख़ निम्र को मौत की सज़ा दिये जाने का आदेश दे दिया है क्योंकि वह (शेख़ निम्र) सऊदी अरब में न्याय, अधिकार और सच्चाई चाहते थे”

इस रिपोर्ट के अनुसार शेख़ निम्र ने मौत की सज़ा दिये जाने की ख़बर सुनने के बाद अपनी माँ को पत्र लिखा जिसमें अल्लाह का शुक्र करते हुए लिखा है कि वह अल्लाह की मर्ज़ी पर राज़ी हैं।

शेख़ निम्र का पत्र

उम्मे जाफ़र मेरी साबिर माँ, मैं हर स्तिथि में अल्लाह का शुक्र करता हूँ, अल्लाह ने जो कुछ भी हमारे लिये लिखा है उस पर शुक्र करें, अल्लाह जो हमारे लिये लिखता है वह हो हम अपने लिये चाहते हैं से बेहतर है, और वह जो हमारे लिये चुनता है, जो हम अपने लिये चुनते हैं उससे बेहतर है, हम अपने लिये कुछ चाहते हैं और अल्लाह हमारे लिये कुछ और चाहता है, लेकिन जो अल्लाह हमारे लिये चाहता है वह बेहरत है, जब हम अल्लाह से कुछ चाहते हैं तो कहत हैं कि या अल्लाह जो कुछ तेरे नज़दीक बेहरत है वह हमारे लिये लिख।

तमाम कार्य और चीज़ें ईश्वर के हाथ में हैं और बिना उसकी अनुमति के कोई कुछ भी नहीं कर सकता है, कुछ भी अल्लाह से छिपा नहीं रह सकता है, और कोई भी कार्य उसकी शक्ति से बाहर नहीं है, यही हमारे लिये काफ़ी है। मैं आप को ईश्वर के सिपुर्द करता हूँ और उससे यहीं दुआ है कि आपको लबी आयु दे, आपसे और सभी से ख़ुदा हाफ़िज़

आपका प्यारा शेख़ निम्र अलनिम्र

स्पष्ट रहे कि सऊदी अरब के गृहमंत्रालय ने आज से एक साल पहले 2 जनवरी (शनिवार को) शेख़ निम्र को मौत की सज़ा दिये जाने की पुष्टि की थी और वहाबी मानसिकता रखने वाले शजरे मलऊना आले सऊद ने यह सोंचा था कि शेख़ निम्र की फ़ासी से सऊदी अरब में उठ रही सुधार की मांगो की आवाज़ दब जाएगी, लेकिन सही कहा गया है कि सच को कभी दबाया नहीं जा सकता है कल केवल एक शेख़ निम्र थे जो आले सऊद के विरुद्ध खड़े हुए थे लेकिन आज दुनिया का हर इंसाफ़ पसंद इंसान शेख़ निम्र का समर्थन करते हुए आले सऊद की निंदा कर रहा है। ख़ुदा हक़ है और उसक फ़रमान सच्चा है कि "जो लोग राहे ख़ुदा में शहीद हो गए तुम उनको मुर्दा भी न समझो बल्कि वह ज़िंदा है" और शेख़ निम्र इस दुनिया से चले जाने के बावजूद आज भी आज़ादी की राह पर चलने वालों के लिए मार्गदर्शक है।

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