इस्लामी जिहाद के क़ानून पैग़म्बर की जबानी
इस्लामी जिहाद के क़ानून पैग़म्बर की जबानी
सकीना बानो अलवी
अलकाफ़ी में इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत है कि आपने फ़रमायाः जब पैग़म्बरे इस्लाम किसी सेना को जंग के लिये भेजते थे तो उसके सेनापति को विशेष रूप से और सारी सेना को तक़वा की ताकीद करते थे और उसके बाद फ़रमाते थेः
"ईश्वर का नाम लेकर उसकी राह में काफ़िरों से लड़ना, ख़यानत न करना, मरने वालों की नाकें न काटना, बच्चों और उन लोगों को जो पहाड़ों पर उपासना कर रहे हैं क़त्ल न करना, खजूर के पेड़ों में आग न लगाना, उन्हें पानी में न डिबोना, क्योंकि तुम्हें नहीं पता कि तुम्हे ही उनकी आवश्यकता पड़ जाए, हलाल गोश्त जानवर के हाथ पैर न काटना हां अपने खाने भर यह काम करना, जब मुसलमानों के किसी शत्रु से आमना सामना हो तो उसे इन तीन चीज़ों में से किसी एक को स्वीकार करने का निमंत्रण देना
1. मुसलमान हो जाओ।
2. जिज़या दो।
3. जंग बंद कर दो।
और अगर वह इन तीन में से किसी एक भी बात को मान ले तो तुम भी उसकी बात मान जाओ और जंग को रोक दो।" (1)
पैग़म्बरे इस्लाम की यह हदीस इस्लामी सेना और जिहादियों के लिए एक रास्ता है और आपने इस हदीस के माध्यम से यह बता दिया है कि जो भी इस्लाम और जिहाद के नाम पर उठे अगर वह इन उसूलो को अपनाए हुए है तो वह इस्लामी सेना कही जा सकती है वरना यह जिहाद और इस्लाम के नाम पर केवल धोखेबाज़ी है और कुछ नहीं।
अब हमको देखना होगा कि इस दुनिया में इस समय ISIS और बोको हराम जैसे संगठन जो हिजाद के नाम पर उठ हैं क्या वह वास्तव में पैग़म्बर के इन उसूलों पर खरा उतर रहे हैं, पैग़म्बर ने फ़रमाया है कि मरने वालों की नाक कान न काटों लेकिन यह संगठन न केवल यह कि लोगों को मार रहे हैं बल्कि उनकी लाशों को आग के हवाले कर रहे हैं, पैग़म्बर कहते हैं कि फ़लदार पेड़ों को आग न लगाओं यानी जिन चीज़ों से लोगों का पेट भरता है उसको बरबाद न करो लेकिन यह संगठन इऱाक़ और सीरिया में तेल के कुओं में आग लगा रहे हैं जो कि एक राष्ट्र की सम्पत्ति है, पैगम़्बर ने कहा है कि अगर कोई तीन शर्तों में से एक भी मान ले तो उसके साथ जंग न करों लेकिन यह आतंकवादी संगठन न केवल इस बात को नहीं मानते हैं बल्कि इनसे सारे हथियार मुसलमानों के विरुद्ध ही आग उगलते हैं, जहां एक तरफ़ इस्लाम यह आदेश दे रहा है कि बच्चों और औरतों को न मारों वहीं इन संगठनों के हाथों सबसे अधिक क़र्बान होने वालो औरतें और बच्चे ही है।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या यह वास्तव में इस्लामी जिहाद है, या यह इस्लाम के नाम पर उठने वाले ख़ूनी दरिंदे और भेड़िये हैं जिनका कार्य केवल खून बहाना है, और इन दरिंदों का सबसे बड़ा निशाना मुसलमान ही हैं।
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(1) तहज़ीबुल अहकाम, जिल्द 2, पेज 36
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