तीसरा ख़लीफ़ा कौन?

अल्लाह के शहर मक्के में मैं टहल रहा था कि देख कुछ वहाबी मेरी तरफ़ आ रहे हैं मैं समझ गया कि कोई चक्कर है, वह मेरे पास आए और कुछ सवाल जवाब के बाद पूछाः बताओ पहला ख़लीफ़ा कौन है? मैं: हज़रत अबू बक्र। वहाबीः शाबाश। दूसरा ख़लीफ़ा कौन है? मैं: हज़रत उमर

अल्लाह के शहर मक्के में मैं टहल रहा था कि देख कुछ वहाबी मेरी तरफ़ आ रहे हैं मैं समझ गया कि कोई चक्कर है, वह मेरे पास आए और कुछ सवाल जवाब के बाद पूछाः बताओ पहला ख़लीफ़ा कौन है?

मैं: हज़रत अबू बक्र।

वहाबीः शाबाश। दूसरा ख़लीफ़ा कौन है?

मैं: हज़रत उमर।

वहाबीः शाबाश, अब बताओ तीसरा ख़लीफ़ा कौन है?

मैं: हज़रत अली (अ.)

वहाबीःक्या बकता है, हज़रत उस्मान कहां गए?

मैं: लोगों ने उनको अज़्ल (बर्खास्त) कर के उनकी हत्या कर दी और तीन दिन तक उनकी लाश दफ़्न नहीं होने दी और पैग़म्बर के किनारे दफ़्न होना तो दूर की बात है उनको यहूदियों के क़ब्रिस्तान में रात के अंधेरे में दफ़्न किया गया और मुआविया के युग में, मुआविया ने यहूदियों के क़ब्रिस्तान को बढ़ाते हुए उसको मुसलमानों के क़ब्रिस्तान में मिला दिया और... मैं अभी बोल ही रहा था कि एक ने बीच में ही टोक दिया

वहाबी: लोग कौन होते हैं जो पैग़म्बर के ख़लीफ़ा को अज़्ल (बर्खास्त) करें?

मैं: लोग कौन होते हैं जो पैग़म्बरे के ख़लीफा का चुनाव करें, मैं अभी बोल ही रहा था कि उनमें से एक ने कहा आओ चलें मैंने कहा था न कि इन राफ़ेज़ियों की बातें जादू होती है, यह जादूगर है।

 

नई टिप्पणी जोड़ें