एक अत्याचारी से सिफ़ारिश करने की सज़ा
एक अत्याचारी से सिफ़ारिश करने की सज़ा
सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम का बयान है कि हज़रत मूसा के ज़माने में एक अत्याचारी शासक का राज था, इत्तेफ़ाक़ से एक दिन एक मोमिन व्यक्ति एक दूसरे मोमिन के लिए उसके पास सिफ़ारिश ले कर गया तो राजा ने उसकी सिफ़ारिश को स्वीकार करते हुए उसको काम दे दिया।
कुछ समय के बाद उस अत्याचारी राजा और सिफ़ारिश करने वाले मोमिन की एक ही दिन मृत्यु हुई।
राजा की मौत के ग़म में तीन दिन तक बाज़ार बंद रहे, शहर के सारे लोग बादशाह की अत्योष्टी में लग गए और बेचारे उस मोमिन की लाश तीन दिन तक घर में पड़ी रही और जानवरों का शिकार होती रही।
हज़रत मूसा (अ) ने ख़ुदा से कहाः हे ईश्वर वह व्यक्ति तेरा शत्रु था और यह तेरा दोस्त, तेरे दोस्त की लाश तीन दिन तक घर में पड़ी रही और जावनरों ने उसकी शक्लो सूरत बिगाड़ दी।
आकाशवाणी हुई: यह मोमिन व्यक्ति एक बार अत्याचारी राजा के पास सिफ़ारिश लेकर गया था, राजा ने उसकी सिफ़ारिश स्वीकार की, सिफ़ारिश स्वीकार करने के कारण मैंने उस राजा की लाश को इतना सम्मान दिया, और अत्याचारी राजा के दरबार में जाने के कारण इस मोमिन की लाश पर जानवरों को भेज दिया
(बिहारुल अनवार जिल्द 16 पेज 83 पंदे तारीख़ से लिया गया पेज 110)
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