दो ईरानी क्रूज़ मीज़ाइलों ने इस्राईल की दो युद्धक नौका को निशाना बनाया

Sa'ar 5

हिज़्बुल्लाह द्वारा इस्राईल की उन्नत श्रेणी की युद्धक नौका को निशाना बनाए जाने के अनूठे ऑप्रेशन की छिपी हुई जानकारियां अब सामने आ गई हैं।

टीवी शिया, आज हिज़्बुल्लाह द्वारा इस्राईल पर प्रसिद्ध 33 दिवसीय युद्ध की कामयाबी के दस साल हो चुके हैं, एक ऐसा युद्ध जिसमें तमाम आधुनिक और उच्च तकनीकों से लैस दुनिया की प्रसिद्ध सेना लेबनान पर आक्रमण करती है लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाती और हिज़्बुल्लाह जैसे संगठन के हाथों उसको ऐतिहासिक पराजय झेलनी पड़ती हैं।

बहुत से विश्लेषकों ने हिज़्बुल्लाह और इस्राईल के इस युद्ध को लेबनान और इस्राईल के लिये बहुत महत्वपूर्ण माना है जिसमें हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली सेना के सामने अपनी शक्ति का छोटा सा नमूना पेश किया

इस युद्ध की घटनाओं में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना हिज़्बुल्लाह द्वारा क्रूज़ मीज़ाइल से पर्दा उठाना था, जब जंग का तीसरा दिन था और इस्राईली सेना ने आदेश दिया था कि लेबनान के साहिल के घेराबंदी की जाए और किसी भी कश्ती को वहां आने या जाने न दिया जाए, इस आदेश के बाद इस्राईली युद्ध नौका साअर 5  (Sa'ar 5 - INS Hanit) लेबनान के साहिल पर पहुँचती है और लेबनान के तट के घेर लेती है।

हिज़्बुल्लाह ने किया अपना काम

इसके बाद हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल की इस उन्नत नौका को एक मीज़ाइल से निशाना बनाया जिसमें चार ज़ायोनी सैनिक मारे गए और कुछ दूसरे घायल हुए और नौका को भी मरम्मत के लिये इस्राईली तट पर वापस बुलाया गया।

युद्ध समाप्ति के बाद इन नौका को निशाना बनाए जाने पर एक जानकारी कमीशन बिठाई गई जिसका नाम वीनूग्राड कमीशन  (Winograd Commission) था जिसमें इन नौका को निशाना बनाए जाने की बात स्वीकार किये जाने के साथ साथ हिज़्बुल्लाह के मीज़ाइल हमले के बारे में तीन महत्वपूर्ण बातें कही गईं।

1.    जिस मीज़ाइल ने नौका को निशाना बनाया वह एक क्रूज मीज़ाइल सी802 था।

2.    नौका लेबनान के तट से 16 मील (26 किलोमीटर) दूर थी।

3.    जिस समय मीज़ाइन ने नौका को निशाना बनाया तब इन नौका का राडार और सुरक्षा के दूसरे उपकरण आफ थे।

नूर क्रूज़ मीज़ाइल की मारक क्षमता 120 किलोमीटर है और यह ईरान का प्रसिद्ध मीज़ाइल है जो चीन के सी802 के जैसा है लेकिन हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली सैन्य नौका को नूर क्रूज़ से नहीं मारा है बल्कि एक बहुत की छोटे और कम क्षमता वाले क्रूज़ से निशाना बनाया है, जिस मीज़ाइल से इन नौका को हिज़्बुल्लाह ने निशाना बनाया उसका नाम “कौसर” है।

कौसर छोटी दूरी का क्रूज़ मीज़ाइल है यह भी ईरान का मीज़ाइल है जिसकी मारक क्षमता 15 से 20 किलोमीटर है।

ज़ायोनी शासन के वीनूग्राड कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार इस्राईल की यह नौका बैरूत के तट से 26 किलोमीटर दूर थी जब उसको निशाना बनाया गया। इन नौका को निशाना बनाने के बाद हिज़्बुल्लाह ने जो लाइव वीडियो जारी की थी जिसमें इस नौका को जलते हुए देखा जा सकता था वह दिखाता है कि इन नौका की दूरी तट से 15 किलोमीटर के अंदर रही है जिसके कारण हिज़्बुल्लाह इतनी साफ़ वीडियो लेने में कामयाब हो सका है।

अब प्रश्न यह है कि इतनी कम दूरी पर मौजूद टारगेट को मारने के लिये 120 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली मीज़ाइल का इस्तेमाल करने की क्या आवश्यकता थी? जैसा कि ज़ायोनियों का दावा है कि उनकी साअर नौका को ईरान के बेहतरीन क्रूज़ नूर सी802 से निशाना बनाया गया है।

अगर ज़ायोनियों के इस दावे को सच्चाई के स्तर पर परखा जाए तो हालात कुछ इस प्रकार उभर कर आते हैं सी802 क्लास के मीज़ाइल के लांच होने और टारगेट पर लगने के स्तर को अलग देखा जाए यह संभव ही नहीं है कि इस प्रकार की मीज़ाइल (जिसकी मारक क्षमता 120 किलोमीटर हो) से नौका को निशाना बनाया जा सके, क्योंकि जिस मीज़ाइल की मारक क्षमता इतनी ज़्यादा होगी उसको हवा में बहुत ऊँचा जाना होगा और उसके बाद पानी की सतह पर वापस आना होगा और यह कार्य 15 किलोमीटर जितनी कम दूरी में 120 किलोमीटर वाली मीज़ाइल के लिये संभव नहीं है।

वीनूग्राड कमेटी के अनुसार जिस समय यह मीज़ाइल नौका पर लगी है तब नौका से सारे सुरक्षा उपकरण आफ़ थे! और यही कारण है कि नौका मीज़ाइल के मुक़ाबले में अपनी सुरक्षा न कर सकी।

कौसर क्रूज़ मीज़ाइल

यह बहुत ही आश्चर्य चकित करने वाली बात है क्यों कि इस्राईल की यह नौका 70 सैनिकों के साथ दूसरे देश के तट पर जिससे वह युद्ध कर रहा है और नौका को तट का घेराव करने के लिये भेजा जाता है और जो उस देश के तट से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर मोरचा लिये हो, तो क्या युद्ध की इस स्थिति में कोई पागल भी यह मान सकता है कि शत्रु की एक नौका बैरूत के साहिल पर खड़ी हो और उसके सारे सुरक्षा उपकरण और राडार प्रणाली आफ़ हो?!!! या फिर बात यह है कि नौका के सारे उपकरण और उसकी राडार प्रणाली कार्य कर रही थी लेकिन यह सभी हिज़्बुल्लाह के मीज़ाइल के ट्रैक करने में नाकाम रहीं?

इस्राईल का जलता घमंड

पता नहीं क्यों इस्राईल हिज़्बुल्लाह के इस कामयाब आप्रेशन और अपनी बेइज़्ज़ती छिपाने के लिये तरह तरह के बहाने बना रहा है और इसके लिये ऐसी बातें कही जा रहीं है कि अगर किसी को सैन्य स्तर की थोड़ी सी भी मालूमात है तो वह भी स्वीकार न करे (हां यह और बात है कि जिनको इन बातों का ज्ञान नहीं है उनको बेवक़ूफ़ बनाया जा सकता है)

जिस समय इस्राईल की साअर 5 नौका को हिज़्बुल्लाह ने निशाना बनाया है उस समय हसन नसरुल्लाह के भाषण का एक भाग देखें वह कहते हैं साअर नौका की तरफ़ मीज़ाइल छोड़े जाने के समय मैं ज़ाहिया में था और हमने पहले ही अप्रत्याशित कार्रवाई और जीत का वादा दिया था और इस नौका पर हमला उन्हीं में से एक था।

तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर इन नौका को निशाना बनाना बहुत ही जटिल प्रक्रिया थी लेकिन हमारे मुजाहिदों ने उसको कामयाबी के साथ अंजाम दिया, मैं अपने भाषण से पहले इस अभियान की सूचना की प्रतीक्षा कर रहा था और मैंने उसी भाषण में अप्रत्याशित कार्यवाही का वादा दिया था मेरे भाषण अपने अंतिम चरणों में था कि एक जवान ने आकर बताया कि हमारे मुजाहिदों ने उन नौका को कामयाबी के साथ निशाना बना लिया है और इस समय वह जल रही है और मैने इस घटना के बारे में लाइव एलान किया।


हिज़्बुल्लाह ने 14 जूलाई 2006 को इस्राईल के सात अपने 33 दिवसीय युद्ध के तीसरे दिन इस्राईल के साअर 5 नामक तीन नौकाओं में से एक को कामयाबी के साथ निशाना बनाया, जिस समय इस नौका को निशाना बनाया गया तब यह नौका इस्राईली सेना की सबसे नवीन और बेहतरीन युद्धक नौका मानी जाती थी उस समय इस्राईल के पास INS Eilat، INS Lahav، INS Hanit जैसी नौकाए मौजूद थीं।

इन नौका को निशाना बनाए जाने का प्रभाव यह हुआ की इस्राईली सेना में हिज्बुल्लाह की शक्ति का भय बैठ गया और लेबनान में लोगों के अंदर खुशी की लहर दौड़ गई।

33 दिन की जंग में हिज़्बुल्लाह ने सारण श्रेणी की एक दूसरी नौका को भी अपना निशाना बनाया जिसके बारे में अब तक इस्राईली अधिकारियों ने कोई भी बयान जारी नहीं किया है।

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