इस्लाम को मिटाने के 13 तरीक़े
इस्लाम को मिटाने के 13 तरीक़े
सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
साम्राजी शक्तियों ने इस्लाम को हानि पहुँचाने के लिये वहाबियत के जन्म दिया जिसकी ज़िम्मेदारी ब्रिटेन के जासूस मिस्टर हेम्फ़्रे को दी गई वह कहता है कि मैं अपने कार्य के सिलसिले में एक व्यक्ति से मिला जिसका नाम “मोहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब” था, वह्हाब एक घमंडी जवान था और वह लोगों के बीच प्रसिद्ध होना और सम्मान पाना चाहता था, हेम्फ़्रे कहता है कि जब मैं दूसरे इस्लामी विद्वानों से मिला तो वह दूसरे विद्वानों का नाम सम्मान से लेते थे लेकिन अब्दुल वह्हाब न केवल यह कि इस्लामी विद्वानों का सम्मान नहीं करता था बल्कि वह इस्लाम की बड़ी हस्तियों का भी सम्मान नहीं करता था वह कहता था कि मैं अबू हनीफ़ा से अधिक समझता हूँ और आधी से अधिक बुख़ारी ग़लत है।
मैं आपके सामने बिर्टिश जासूस मिस्टर हेम्फ़्रे की आपबीती की एक दस्तावेज़ पेश करना चाहता हूँ जिसका जानना हमारे लिये बहुत अवश्यक है वह कहता है कि 500 पेज की एक किताब में इस्लाम को समाप्त करने का एक प्लान लिखा गया था मैंने इसको पढ़ा इस किताब में नक़्शे, आंकड़े और इस्लाम को समाप्त करने के तरीक़ों को 13 खंडों में लिखा गया था।
1. सारी शक्तियां जिनको इस्लाम से ख़तरा है को एक होना चाहिये। जिसके बाद फ़्रांस, ब्रिटेन और रूस एक होते हैं जिन्होंने ने इस दुनिया के अधिकतर देशों को अपने क़ब्ज़े में कर रखा था।
2. दूसरा भी यही कहता है।
3. हमको युद्ध छेड़ना चाहिये क़ौमी, नस्ली और साम्प्रदायिक जंग, अगर हम देखों तो वहाबियों ने उस्मानियों के विरुद्ध जो जंग आरम्भ की वह एक दीनी जंग थी, जंग का लाभ यह है कि जंग करने वाले देशों को कमज़ोर कर देती है, हथियार बेचने वाले देशों के लिये एक बाज़ार तैयार करती है, यह यमन की जंग, ISIS का इराक़ और सीरिया में आना, अफ़गानिस्तान की अशांति यह सभी यूरोप की डूबती अर्थव्यवस्था के लिये एक सहारा है।
4. इस्लामी देशों को ग़ैर मुसलमानों के हाथ में दिया जाए। मदीने को यहूदियों के हाथ में होना चाहिये, जो कि आज हो चुका है, इरान में रज़ा शाह जिसके अंदर इस्लाम की बू भी नहीं थी का आना, तुर्की जो एक समय में उस्मानी सत्ता का केन्द्र था अतातुर्क की हुकूमत आती है मस्जिदों को चर्चों में बदल दिया जाता है, पर्दा करना अपराध हो जाता है, लिपि बदल दी जाती है...।
5. हमको बड़ी इस्लामी हुकूमतों को समाप्त करना चाहिये जैसे उस्मानी हुकूमत, बड़ी हुकूमतें का लाभ यह है कि अगर आपने बड़ी हुकूमत जिसमें मान लीजिये एक अरब लोग हों के एक भाग पर हमला किया तो उसका अर्थ यह है कि आपने एक अरब लोगों के साथ जंग का एलान किया है, लेकिन अगर इन्हीं को छोटे छोटे हिस्सों में बांट दिया जाए तो शत्रु भी कम होंगे।
6. इस्लाम को समाप्त करने के लिये इस्लाम में संप्रदाय बनाए जाएं, हर संप्रदाय का एक लीडर है और हर संप्रदाय दूसरे के मुक़ाबले में विशेष कट्टरता रखता है, जिसका अर्थ यह हुआ कि अगर आप एक संप्रदाय के विरुद्ध जंग करें तो दूसरा उसपर प्रतिक्रिया नहीं दिखाएगा।
7. मुसलमानों के बीच, जिना, लवात, शराब, जुआ को रिवाज दिया जाए अगर यह चीज़ें मुसलमानों में पैदा कर दी गईं तो उनके अंदर बुराईयों से लड़ने का जोश समाप्त हो जाएगा, क्यों? क्योंकि इंसान लड़ता उस समय है कि जब उसको उस चीज़ पर विश्वास और ईमान होता है।
जिसके बाद 7000 ईसाई फादर इकट्ठा हुए और उन्होंने इस्लाम को समाप्त करने के लिये अपनी अपनी राय पेश की जिस्में से 700 को चुना गया उन 700 में से 70 को उन 70 में से 7 को और उसके बाद एक राय को चुना गया जिसमें कहा यह गया था कि हमको मुसलमानों के बीच बेहिजाबी और बेपर्दगी को रिवाज देना चाहिये। और आज अलग अलग बहानों से इसको फैलाया जा रहा है। फैशन के नाम पर फिल्मों से कार्टूनों से... और आज वहाबी यही कर रहे हैं जैसे कि कुछ वहाबी मौलवियों ने यह एलान किया है कि हम लवात एव समलैगिंता को हराम नहीं मानते हैं क्योंकि इसके बारे में क़ुरआन में कोई स्पष्ट आदेश नहीं है आज वहाबी पेशनमाज़ अपने समलैंगिक होने का एलान कर रहे हैं।
8. भ्रष्टाचारी और बुरे सत्ताधारियों को पैदा करना जो साम्राजी शक्तियों की बातों को मानें और उनके अनुसार चलें जैसे ईरान में रज़ा शाह और मोहम्मद रज़ा शाह, तुर्की में अतातुर्क।
9. अरभी भाषा को रोकना और दूसरी भाषाओं को उसके स्थान पर रखना जैसे अगर आप आज भारत में देख ले तो बहुत संभव है कि एक मुसलमान युवक अंग्रेज़ी तो फर्राटे से बोल लेता हो लेकिन अरबी इतनी भी न जानता हो कि क़ुरआन भी पढ़ सके, यह लोग अपनी भाषा के माध्यम से अपने कल्चर को पहुँचा रहे हैं लेकिन अरबी को रोककर इस्लामी कल्चर से दूर कर रहे हैं।
10. सत्ताधारियों एवं बादशाहों के आसपास जासूस लगाना और इन जासूसों को बड़े पदों पर पहुँचाना ताकि यह मुसलमानों की ख़ुफ़िया सूचनाओं को हम तक पहुँचा सकें।
11. ईसाई प्रचारक, यानी हमारे समाज के पढ़े लिखे लोग फ़ादर हो। यानी अगर कोई डाक्टर है तो ईसा मसीह के नाम पर यह करे, ईसा की एक फोटो लगा लो ताकि जो लोग उनके पास आएं वह ईसाई धर्म के प्रति अच्छी सोच रखें।
12. जवानों को उनके धर्म के सम्बंध में शंकाओं में डालना। ताकि अगर यह जवान उसका उत्तर न दे सके तो यह शंका उसके दिल में रह जाए और बाद में उसको गुमराह किया जा सके।
13. गृहयुद्ध और फ़साद फैलाना जैसा कि आज सीरिया और इराक़ में हम को देखने को मिल रहा है अतीत में यही हम अफ़ग़ानिस्तान में देख चुके हैं।
यमन पर वहाबियों का अस्तित्व दाता सऊदी अरब पिछले एक साल से अधिक समय से बम बरसा रहा है लीबिया में सऊदी अरब के पाले वहाबी वहां संकट की स्थिति पैदा कर रहे हैं और इन तमाम चीज़ों के साथ संयुक्त राष्ट्र जैसी बिकी हुई संस्थाएं जिनका लक्ष्य केवल इस्लाम को हानि पहुँचाना है लगातार अपना मुंह बंद किये हुए हैं और जब भी इन वहाबी आतंकवादियों के विरुद्ध सच्चे मुसलमान और इन्सानियत के हामियों का पलड़ा भारी होता दिखता है सऊदी अरब और अमरीका के साथ साथ संयुक्त राष्ट्र भी मानवाधिकारों की दुहाई देने लगता है और मानवाधिकार संगठन दुम कुचले कुत्ते की तरह भौंकने लगते हैं जैसे कि हम इस समय सीरिया में देख रहें है कि अब जबकि आतंकवादियों के सीरिया के हलब में हर तरफ़ से घेर लिया गया है और उनकी समाप्ति वहां निश्चिंत दिखाई दे रहे हैं तो अमरीका जैसे देश वहां युद्ध विराम का राग अलाप रहे हैं, और दूसरी तरफ़ इराक़ में स्वंयसेवी बल जो कि इराक़ के अधिकतर इलाक़ों की आज़ादी में सक्रिय रहे और उनका बड़ा किरदार रहा अब सऊदी अरब उसको केवल एक शिया गुट बता रहा है जो सुन्नियों पर अत्याचार कर रहे हैं जब कि सारी दुनिया जानती है कि इस समय इराक़ और सीरिया के वह इलाक़े जिन पर आतंकवादियों का क़ब्ज़ा है वह सुन्नी बहुल क्षेत्र हैं और इन आतंकवादियों का सबसे अधिक निशाना भी सुन्नी मुसलमान ही बने हैं,
इन सारी वास्तविकताओं के बाद भी सऊदी अरब अमरीका और इस्राईल का वहाबियों और आतंकवादियों का साथ देना दिखाता है कि यह लोग न शियों के दुश्मन हैं और न ही सुन्नियों के शत्रु बल्कि इन अगर किसी चीज़ से दुश्मनी है तो वह है इस्लाम से।
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