भारत में अल्पसंख्यकों में भय का माहौलः नारायण मूर्ति
इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने एक कार्यक्रम में कहा है कि देश के अल्पसंख्यक लोगों के मन में डर समाया हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक विकास के लिए लोगों के मन से डर निकालना बहुत जरूरी है।
उन्होंने भारत के मौजूदा माहौल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके पास बहुत से ईमेल आते हैं जिसमें लोग अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। वे बोले कि लोगों की परेशानियों को जानने के बाद उन्हें यही लग रहा है कि यूपीए और एनडीए सरकार में कोई फर्क नहीं है।
भारत में हालिया दिनों लगातार उठ रहे असहनशीलता के सवाल पर यह पहला मौक़ा है जब इस देश किसी जानेमाने व्यापारी ने मौजूदा माहौल के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई है।
वे बोले, "यूं तो मैं कोई नेता नहीं हूं, न ही मेरी राजनीति में कोई रुचि है, लेकिन अल्पसंख्यकों में एक डर है। उन लोगों में डर समाया हुआ है जो अपने प्रदेश को छोड़कर दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं। लोगों के बीच भरोसे और उत्साह का माहौल बनाना बहुत जरूरी है, तभी आर्थिक प्रगति हो सकेगी।
उन्होंने मौजूदा माहौल की तूलना 1960 के दशक से करते हुए कहा कि यह खौफ कुछ वैसा ही है जैसा 1960 के दशक में उत्तर भारतीयों में शिवसेना को लेकर था। अब कुछ तत्व अल्पसंख्यकों के बीच ख़ौफ़ पैदा कर रहे हैं। नारायण मूर्ति ने कहा कि पहले लोगों के बीच विश्वास बहाली की ज़रुरत है, इसके बाद ही आर्थिक ग्रोथ संभव है। उन्होंने कहा कि भारत के विकास के लिए दो समुदायों के बीच विश्वास बहाली और भयमुक्त वातावरण बेहद ज़रुरी है।
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