आयत जिसने शिम्र की जान बचा ली!
आयत जिसने शिम्र की जान बचा ली!
सकीना बानो अलवी
आशूरा का सुबह शिम्र इस चक्कर में लगा हुआ ता कि किसी प्रकार ख़ैमों की पीछें पहुँच सके और कोई अपराध कर सके लेकिन उसको यह नहीं पता था कि इमाम हुसैन (अ) ने आदेश दिया है कि ख़ैमों के एक दूसरे के क़रीब और एक विशेष कोण (चाँट की तरह मुड़ा हुआ) बनाएं और उसके पीछें खाई कोध दें और उसके अंदर आग जलाई जाए ताकि शत्रु उधर से आक्रमण न कर सके।
शिम्र ने जब इमाम के ख़ैमों की यह स्थिति और खाई देखी तो क्रोधित हो गया और बुराभला सहने लगा।
इमाम के एक सहाबी ने कहाः या अबाअब्दिल्लाह! आज्ञा दें एक तीर से अभी उसको मौत के घाट उतार दूँ।
आपने फ़रमायाः नहीं!
इमाम का सहाबी समझा कि शायद इमाम ने शिम्र को पहचाना नहीं है, और वह उसके नीचपन को नहीं जानते हैं, इसिलये कहाः मैं उसको जानता हूँ वह बहुत नीच और गंदा इंसान है।
इमाम ने फ़रमायाः मैं भी पहचानता हूँ!
उसने कहाः फिर क्यों मारने की अनुमति नहीं देते हैं?!
आपने फ़रमायाः मैं नहीं चाहता कि मैं युद्ध आरम्भ करने वालों में से होऊँ, जब तक वह युद्ध रक्तपात को आरम्भ नहीं करते मैं भी युद्ध आरम्भ नहीं करूँगा और मैं क़ुरआन के इस क़ानून का सम्मान करता हूँ कि ख़ुदा ने फ़रमायाः
اَلشَّهْرُ الْحَرامُ بِالشَّهْرِ الْحَرامِ وَالْحُرُماتُ قِصاصُ فَمَنِ اعْتَدی عَلَیْکُمْ فَاعْتَدُوا عَلَیْهِ بِمِثْلِ مَا اعْتَدی عَلَیْکُمْ وَاعْلَمُوا اَنَّ اللّهَ مَعَ الْمُتَّقینَ (1)
हराम महीनों के मुक़ाबले में हराम महीन, (अगर दुश्मन उनके सम्मान को ठोस पहुँचाएं, और उसमें तुम से जंग करें तो तुम को भी अधिकार है कि उन्ही के जैसा करो) और तमाम हरामों के लिये क़िसास है तो भी तुम पर अत्याचार करे तुम भी उसके जैसे उसकी साथ पेश आओ, और जान हो कि अल्लाह तक़वा रखने वालों के साथ है। (2)
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(1) बक़रा आयत 194
(2) जलवहाई अज़ नूरे क़ुरआन, अबदुल क़रीम पाकनेया
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