न्याय के मुंह पर कटे हाथों का तमाचा!!

गत 13 फरवरी को गोधरा के बाद फैले गुजरात दंगों के 70 आरोपियों को बरी कर दिया।

50 साल की हवरीबीबी के दोनों हाथ नहीं हैं। वह आसानी से उठ भी नहीं सकती और बैठ भी नहीं सकती। 28 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग के बाद, जिसमें 59 या‌त्रियों की मौत हो गई, गुजरात दंगों की आग में जल उठा। ट्रेन के उन यात्रियों के बारे में कहा जाता है कि वे अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे।

दंगों की उस आग की गिरफ्त में 2 मार्च, 2002 को बांसकाठा जिले की देवदार तालुका का सेसननवा गांव भी आ गया। गांव के 16 लोग मारे गए और 34 घायल हो गए। मारे जाने वालों में 14 मुस्लिम थे और दो हिंदू। दंगों की उसी आग में ह‌वरीबीबी ने अपने दोनों हाथ गंवा दिए।

दंगाइयों ने हवरीबीबी की दोनो कलाइयां काट डाली। दंगों के 70 आरोपियों को बरी किया गया तो हवरीबीबी भी नहीं समझ पाईं कि आखिर उनके हाथ किसने काट डाले? 2 मार्च, 2002 को सेसन नवा में तांडव करने वाले दंगाई आखिर कहां गायब हो गए?

आपबीती सुनाते हुए हवरीबीबी ने बताया, 'वो करीब 4,000 से 5,000 लोग होंगे, मुझे उनकी संख्या याद नहीं। वो हाथों में तलवार, पिस्टल और राइफल लेकर आए थे और उन्होंने घर जलाना शुरू कर दिया। महिलाएं चिल्ला रही थीं और वो अपने बच्चों को छुपाने की जगह ढूंढ रही थीं।'

उन्होंने बताया कि इसके पहले वो भाग पातीं उन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए, उन्हें अपने हाथों से बहता हुआ खून और जमीन पर पड़ी लाशों के मंजर अब भी याद हैं।

उन्होंने बताया, 'हऊ हऊ, मुझे सब कुछ याद है। मुझे याद है मेरे कटे हुए हाथ जमीन पर पड़े थे और खून की तेज धार मेरे हाथों से बह रही थी। मैं दर्द से तड़प रही थी। हर जगह खून ही खून था, सिर्फ खून और आग। दंगाइयों ने घर जलाना शुरू कर दिया, हमारे घर के 14 लोग मारे जा चुके थे।'

बनासकाठा जिले की देवघर तालुका के सूखाग्रस्त गांव सेसननवा में करीब 1000 मुस्लिम परिवारों का आशियाना है जो कई पीढ़ियों पहले बलूचिस्तान से विस्थापित होकर आए थे।

मगर अब यह उस गांव में हिंदुओं का बहुमत है। सेसननवा में एक ही मुस्लिम परिवार बचा है, शेष गांव को छोड़कर चले गए।
उस खौफनाक रात को याद कर हवरीबीबी अब भी सिहर उठती हैं। ऐसे में जब गुजरात दंगे के 70 आरोपियों को बरी किया गया, तब हवरीबीबी के धैर्य ने भी जवाब दे दिया। उनका कहना है कि उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया।

50 साल की हवरीबीबी को अब तक इंसाफ की उम्मीद थी। उन्हें भरोसा था कि करीब 13 साल पहले 2 मार्च 2002 को उनके साथ जो ज्यादती की गई थी उसके गुनहगारों को वाजिब सजा दी जाएगी।

हालांकि इस पीड़िता की बूढ़ी आंखें अब तलक इंसाफ की बांट जोह रही है।

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