इमाम हुसैन (अ) के महान इन्सानी गुण

हम शियों का अक़ीदा और विश्वास है कि मासूमीन (अ) हर गुण के उच्चतम बिंदु तक और हर फ़ज़ीलत के कमाल पर पहुँचे हुए हैं, और इस मामले में कोई भी उनके बराबर का नहीं है। लेकिन हर मामूस के युग के विशेष समाजिक हालात इस बात का कारण बने कि एक विशेष गुण उन हालात के आधा

लेखकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

उदार और सम्मानीय

एक दिन एक आराबी इमाम हुसैन (अ) के पास आया और कहने लगाः हे पैग़म्बर के बेटे मैंने एक इन्सान की दियत की ज़मानत ली है लेकिन अब उसको दे नहीं सकता। मैंने स्वंय से कहा है कि सबसे सम्मानीय और उदार व्यक्ति से इसके बारे में तक़ाज़ा करूँगा और पैग़म्बर के ख़ानदान से अधिक सम्मानीय और उदार मैंने किसी दूसरे को नहीं पाया।

इमाम हुसैन (अ) ने उससे फ़रमायाः हे भाई मैं तुमसे तीन प्रश्न करूँगा अगर तुमने उनमें से एक का सही उत्तर दिया तो एक तिहाई दियत मैं तुमको दूँगा और अगर दो का सही उत्तर दिया तो दो तिहाई और अगर तीनों का सही उत्तर दे दिया तो मैं तुम्हारी पूरी दियत अदा कर दूँगा।

आराबी ने कहाः क्या आप के जैसा ज्ञानी और सम्मानीय मुझ जैसे से प्रश्न करेंगा?

आपने फ़रमायाः हां। मैंने अपने नाना पैगम़्बरे इस्लाम से सुना है कि आपने फ़रमायाः नेकी मारेफ़त (ज्ञान) की मात्रा भर है।

आराबी ने कहाः जो आप चाहते हैं पूछें अगर मैंने सही उत्तर दिया तो ठीक अगर नहीं दिया तो आप से उसका उत्तर जान लूँगा।

इमाम हुसैन (अ) ने पूछाः बेहतरीन अमल (कार्य) क्या है?

आराबीः ईश्वर पर ईमान

आपने पूछाः समाप्ती और मौत से बचने का रास्ता क्या है?

आराबीः ईश्वर पर विश्वास।

इमाम हुसैन (अ) ने पूछाः इन्सान का श्रंगार क्या है?

आराबीः ज्ञान जो धैर्य के साथ हो

इमाम हुसैन (अ) :अगर यह न हो तो?

आराबीः माल मुरव्वत (मानवता) के साथ ।

इमाम हुसैन (अ) अगर यह न हो तो?

आराबीः ग़रीबी सब्र के साथ।

इमाम हुसैन (अ) अगर यह न हो तो?

आराबीः तब तो आसमान से बिजली गिरे और उसको मौत दे दे क्योंकि वह इसी के योग्य है।

इमाम हुसैन (अ) लोगों को उदारता और बख़्शिश की प्रेणणा देते हुए यह शेर पढ़ा करते थेः

"अगर दुनिया तुमको दे तो तुम भी इससे पहले की वह सारी चीज़ें तुम से छिन जाएं लोगों को दे दो।"

तब इमाम हुसैन (अ) मुस्कुराए एक आपने एक थैला जिसमें एक हज़ार दीनार थे उसको दिया और अपनी अंगूठी जिसके नग की क़ीमत दो सौ दीनार था उसको दी और फ़रमायाः हे आराबी यह सोना अपने क़र्ज़दार को दे दो और इस अंगूठी को अपने कार्य के लिये इस्तेमाल करो।

आराबी ने उन सारी चीज़ों को लिया और कहाः ईश्वर बेहतर जानता है कि अपनी रिसालत को कहां रखें। (1)

कमज़ोरों के सहायक

यह गुण वास्तव में आपकी उदारता और करम की एक शाख़ा के तौर पर है क्योंकि जब भी आत्मा पवित्र गुणों की उच्चतम चोटी पर पहुँच जाती है और उन गुणों वाला व्यक्ति दूसरों पर उदारता दिखाता है और करम करता है जैसे कि बादल धरती पर और सूर्य दूसरे सितारों पर मेहरबानी करता है।

कर्बला में जब इमाम हुसैन (अ) अत्याचारों के साथ शहीद कर दिये गए तो आशूरा के बाद कुछ लोगों ने आपके एक शाने पर गहरा घाव देखा, ऐसा लगता था कि यह घाव तलवार के कई हमलों से बना है, जिन लोगों ने यह घाव देखा समझ गये कि यह मामूली घाव नहीं है। इस घाव के बारे में इमाम सज्जाद (अ) से प्रश्न किया। अपने कहाः यह घाव उस बोझ को उठाने के कारण हुआ है जिसकों इमाम हुसैन (अ) उठाते थे और बेवाओं, यतीमों और ग़रीबों के घर पहुंचाया करते थे। (3)

वीरता और बहादुरी

हम शियों का अक़ीदा और विश्वास है कि मासूमीन (अ) हर गुण के उच्चतम बिंदु तक और हर फ़ज़ीलत के कमाल पर पहुँचे हुए हैं, और इस मामले में कोई भी उनके बराबर का नहीं है। लेकिन हर मामूस के युग के विशेष समाजिक हालात इस बात का कारण बने कि एक विशेष गुण उन हालात के आधार पर उनमें अधिक दिखाई दे।

इस आधार पर कहा जा सकता है कि हर मासूम दूसरे मासूम से अलग एक विशेष गुण को अपने अंदर समाहित किये हुए है, इमाम हुसैन (अ) का वह विशेष गुण जिसने आपको दूसरे मासूमीन से अलग किया है वह आपकी वीरता और बहादुरी है।

जब भी इन्सान कर्बला की घटना को उनकी सारी विशेषताओं के साथ याद करता है, वह तस्वीरें जो ख़ून, आँसूओं, उदारता, मानवता, और बलिदान सभी को अपने अंदर संजोये हुए हैं, यह सब मिलकर इन्सानी इतिहास के सबसे बड़े बीर और बहादुर की तस्वीर बनाती हैं जिसका नाम हुसैन (अ) है।

इमाम हुसैन (अ) हर मौक़े पर युद्ध के मैदान में दिखाई देते हैं दौड़ते हुए घोड़ों के बीच अपने साथी का बनी हाशिम के किसी शहीद की लाश को तलाश करते हुए दिखाई देते हैं, और बहुत संभव है कि अपने साथी की लाश तक पहुंचने के लिये आप शत्रु से जंग भी करते हो।

हर हमला और हर जंग स्वंय एक कठिन मरहला होता है, मुसीबत इन्सानी हौसले और इसकी शक्ति को कम कर देती है, भूख और प्यास उसको थका और कमज़ोर कर देती है, और कर्बला की गर्मी इस बात का तक़ज़ा करती है कि आप और अधिक कोशिश करें।

यह सारी समस्याएं इमाम हुसैन पर एक साथ आईं लेकिन इन सबके बावजूद इमाम हुसैन (अ) पूरी बहादुरी के साथ शत्रु पर टूट पड़ते थे और बिजली की भाति उनके दिलों में डर पैदा करते थे और शत्रु के सिपाहियों को पत्तों की भाति उड़ा देते थे।

एक व्यक्ति जो आशूरा के दिन उस स्थान पर उपस्थित था कहता हैः

मैंने किसी को भी हुसैन (अ) से अधिक दिलेर नहीं देखा, शत्रु कमज़ोर जानवरों की भाति जो शेर के सामने से भागते हैं उनके सामने से भागते थे।

ओक़ाद इस बारे में लिखता हैः इन्सानों के बीच कोई भी हुसैन (अ) से अधिक दिलेर मैंने नहीं देखा। (3)

सहनशील

सहनशीलता यह है कि इन्सान कठिन से कठिन समय में भी स्वंय पर कंट्रोल रखे, और निसंदेह आशूरा के दिन इमाम हुसैन सबसे कठिन और सख़्त हालत में थे लेकिन इन सबके बावजूद आपने सहनशीलता दिखाई, यहां तक कि आसमानी फ़रिश्ते भी आपकी वीरता, दिलेरी और प्रतिरोध देखकर दंग रह गये।

इतिहास में है कि इमाम हुसैन (अ) का एक दास जिसने एक जुर्म किया था और उसकी सज़ा उसपर जारी होनी थी, इमाम हुसैन (अ) ने उसपर हद जारी करने का आदेश दिया।

दास ने कहाः मेरे मौला وَالْكَاظِمِينَ الْغَيْظَ  (और वह लोग जिन्होंने अपने क्रोध को पी लिया)

इमाम ने फ़रमायाः इसको छोड़ दो।

दास ने कहाः وَالْعَافِينَ عَنِ النَّاسِ (और लोगों की बुराई को क्षमा कर देते हैं)

इमाम ने फ़रमायाः तुमको क्षमा किया।

दास ने कहाः وَاللَّهُ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ (और ईश्वर नेक कार्य करने वालों को पसंद करता है)

इमाम ने फ़रमायाः तुमको ईश्वर के लिये स्वतंत्र किया और इससे पहले जितना पैसा तुमको दिया करता था उसको दुगना तुमको दूँगा। (4)
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1.     आयानुश शिया, पेज 29 – 40

2.     आयानुश शिया, जिल्द 4, पेज 132

3.    अबुश शोहदा, पेज 46

4.    अलफ़ुसूलुल मुहिम्मा, पेज 159

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