इमाम अली नक़ी (अ) के कथन भाग 2
इमाम अली नक़ी (अ) के कथन भाग 2
सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
11- قال الإمام الهادی علیه السلام:
مَنْ رَضِی عَنْ نَفْسِهِ کَثُرَ السَّاخِطُونَ علیه؛
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
जो भी अपने आप से राज़ी हो, उससे क्रोधित होने वालों की संख्या अधिक होगी।
(बिहारुल अनवार जिल्द 75 पेज 368)
12- قال الإمام الهادی علیه السلام:
عن الحزم، فقال هو أن تنتهز فرصتک و تعاجل ما أمکنک.
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
किसी ने आपसे दृण निश्चय के बारे में प्रश्न किया उसके उत्तर में आपने फ़रमायाः
दृण निश्चय और मज़बूत इराकडे का अर्थ यह है कि मौक़े को ग़नीमत जानो और जितना संभव हो उसका लाभ उठाने में तीव्रता दिखाओ।
13- قال الإمام الهادی علیه السلام:
إِذَا كَانَ زَمَانٌ، اَلعَدلُ فِیهِ أَغلَبَ مِنَ الجَورِ فَحَرَامٌ أَن یُظَنَّ بِأَحَدٍ سُوءً حَتَّی یُعلَمَ ذَلِكَ مِنهُ، وَإِذَا كَانَ زَمَانٌ، اَلجَورُ أَغلَبَ فِیهِ مِنَ العَدلِ فَلَیسَ لأَحَدٍ أَن یَظُنَّ بِأَحَدٍ خَیراً مَا لم یُعلَم ذَلِكَ مِنهُ.
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
जब भी समय ऐसा हो कि जब अदालत ज़ुल्म से शक्तिशाली हो तो किसी के बारे में बुरी सोंच रखना हराम है मगर यह कि उसकी बुराई का तुम्हे ज्ञान हो, और जब समय ऐसा हो कि जब जुल्म एवं अत्याचार अदालत और न्याय पर भारी हो तो यह सही नहीं है कि किसी के बारे में अच्छी सोंच रखी जाए, मगर यह कि उसकी अच्छाई का तुम्हे ज्ञान हो।
(अअलामुद्दीन पेज 312)
14- قال الإمام الهادی علیه السلام:
اَلْمُصِِیبَةُ للِصّابِرِ واحِدَهٌ وَ لِلْجازِعِ اِثْنَتانِ؛
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
मुसीबत एवं कठिनाई धैर्य रखने वालों के लिये एक है लेकिन जो धैर्य वाला न हो उसके लिये दो हैं।
(बिहारुल अनवाल जिल्द 75 पेज 368)
15- قال الإمام الهادی علیه السلام:
اَلْهَزْلُ فُکاهَةُ السُّفَهاءِ وَصَناعَةُ الْجُهّالِ؛
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
बेकार की बातें और हास्य, बेवक़ूफों की तफ़रीह और जाहिलों का हुनर है।
(बिहारुल अनवार जिल्द 75 पेज 369)
16- قال علی بن محمد بن علی الرضا علیهالسلام:
«من کانت له إلی الله حاجة فلیَزُر قبر جدی الرضا علیه السلام بطوس و هو علی غسل و لیُصَلِّ عند رأسه رکعتین، و لیسأل الله تعالی حاجته فی قنوته، فإنّه یَستجیب له ما لم یسأل فی مأثمٍ أو قطیعة رحم، و إنَّ موضع قبره لَبُقعَةٌ من بقاع الجنة، لا یزورها مؤمن إلاّ أعتَقَهُ الله تعالی من النار، و أحلَّهُ دار القرار.»
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
जो भी ईश्वर के कोई हाजत चाहता है उसको चाहिए कि मेरे दादा (इमाम) रज़ा (अ) की तूस में ज़ियारत करे, ग़ुस्ल की अवस्था में फिर आपके सर की तरफ़ दो रकअत नमाज़ पढ़े और उसके क़ुनूत में ईश्वर से अपनी हाजत चाहे। इस अवस्था में उसकी प्रार्थना स्वीकार है, मगर यह कि उसने पाप या रिश्तेदारों से संबंध तोड़ने की दुआ की हो (यानी इन दोनों के अतिरिक्त हर प्रकार की प्रार्थना स्वीकार है) निःसंदेह उनकी क़ब्र का स्थान स्वर्ग का एक टुकड़ा है कि जिसकी कोई भी मोमिन ज़ियारत नहीं करता है मगर यह कि ईश्वर उसको नर्क की आग से नजात देता है और सुकून के स्थान (स्वर्ग) में दाख़िल करता है।
(अमाली शेख़ सदूक़, मजलिस 86)
17- قال الإمام الهادی علیه السلام:
اَلسَّهَرُ اَلَذُّ لِلْمَنامِ وَ الجُوعُ یزِیدُ فی طِیبِ الطَّعامِ؛
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
रात भर जागना (शब बेदारी) नींद को अधिक अच्छा और भूख खाने के स्वाद को बढ़ा देती है।
(बिहारुल अनवार जिल्द 75 पेज 379)
18- قال الإمام الهادی علیه السلام:
اَذُکُرُ مَصْرَعَکَ بَینَ یدَی اَهْلِکَ و لا طَبِیبٌ یمْنَعُکَ و لا حَبیبٌ ینْفَعُکَ؛
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
याद करो हालते एहतेज़ार (मरने से ठीक पहले का समय) को कि तुम अपने परिवार वालों के सामने पड़े हो और उस अवस्था में न कोई डॉक्टर है जो तुमको मौत से बचा सके और न कोई दोस्त जो तुमको लाभ पहुंचा सके।
(बिहारुल अनवार जिल्द 75 पेज 370)
19- قال الإمام الهادی علیه السلام:
المَقادِیر تَریکَ مَا لا یخطِر ِببالِک.
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
तक़दीर तुम्हारे लिये उन चीज़ों को सामने लाती है जो तुम्हारी सोंच में भी नहीं आती है।
(मुसनदे इमाम हादी, पेज 303)
20- قال الإمام الهادی علیه السلام:
اَلْحِکْمَةُ لا تَنْجَعُ فی الطّباع الفاسِدَهِ؛
इमाम अली नक़ी (अ) ने फ़रमायाः
हिकमत (अच्छी बात) का बुरे दिलों पर कोई प्रभाव नहीं होता है।
(बिहारुल अनवार जिल्द 75 पेज 370)
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