मस्जिद में नमाज़ियों के नरसंहार की जि़म्मेदारी ISIS ने ली
दियाला प्रांत के ख़ालिस क्षेत्र के गवर्नर अदी ख़िदरान ने कहा है कि प्राप्त जानकारियों और पुष्ट प्रमाणों के आधार पर पिछले दिन पूर्वोत्तरी बाक़ूबा में मस्जिद में नमाज़ियों पर होने वाले हमले में आतंकी संगठन आईएस का हाथ है।
इराक़ की सूमरिया न्यूज़ एजेन्सी के हवाले से अल आलम टीवी चैनल ने रिपोर्ट दी है कि अल ख़ालिस क्षेत्र के गवर्नर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इराक़ के कुछ राजनेता देश के तनाव से अपने हितों के लिए लाभ उठाने की चेष्टा में हैं। उनका कहना था कि गवर्नर हाऊस को जो सूचना मिली है उसके आधार पर बनी वेस गांव में मुसअअब बिन अमीर नामक मस्जिद में नमाज़ियों के जनसंहार में सशस्त्र लोग चेहरे पर नक़ाब लगाये हुए थे और उनके पास बीकेसी हथियार थे और लोगों का जनसंहार करने के बाद वे निकटवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों की ओर भाग गये जहां आईएस का नियंत्रण है।
गवर्नर का कहना था कि इस घटना को अंजाम देने वाले आईएसआईएल के पिट्ठु हैं और वे इस घटना को अंजाम देकर देश में सांप्रदायिक हिंसा को हवा देना चाहते हैं। उन्होंने देश के कुछ राजनेताओं और मीडिया चैनलों पर देश में सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह लोग अपनी कार्यवाहियों के नकारात्मक परिणाम की अनदेखी किए बिना राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध कार्यवाही कर रहे हैं। उनका कहना था कि बनी वेस नामक गांव जिस क्षेत्र में है वहां पर विभिन्न समुदाय के क़बीले एक दूसरे के साथ बहुत ही अच्छे वातावरण में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और वे सब आईएसआईएल के विरुद्ध स्वयंसेवी बलों में शामिल हैं।
उनका कहना था कि मस्जिद में होने वाला हमले एक लक्ष्य, इराक़ में सांप्रदायिक हिंसा भड़काना है किन्तु अतीत की भांति यह षड्यंत्र भी होशियार और युक्ति से विफल हो गया।
शिया स्वयंसेवी बल ने किया खंडन
दूसरी ओर शिया स्वयंसेवी बल असाएब अहले हक़ के महासचिव शैख़ क़ैस ख़ज़अली ने मुसअअब बिन अमीर मस्जिद में हुए जनसंहार की निंदा करते हुए कुछ प्रांतों में उत्पन्न सुरक्षा संकट के लिए कुछ राजनैतिक दलों को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि यह लोग अपने व्यक्तिगत हितों के लिए देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकना चाहते हैं। उन्होंने बग़दाद में एक कार्यक्रम में कहा कि इराक़ के समस्त वर्गों को एक प्लेटफ़ार्म पर एकत्रित हो जाना चाहिए और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए उठ खड़े होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ दल अपनी पार्टी के हितों के लिए मस्जिद पर हुए हमले के लिए असाब अहले हक़ पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के समस्त राजनैतिक दलों को जनता के संबंध में अपनी ज़िम्मेदारियों को अदा करना चाहिए। उन्होंने देश के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को नकारते हुए कहा कि इराक़ी जनता और सुरक्षा कर्मी चुनौतियों से मुक़ाबले के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि असाएब अहले हक़ ने बीजी रिफ़ाइनरी में आतंकवादियों को भारी हानि पहुंचाई और अब हमारा मुक़ाबला जर्फ़े सख़्र में आतंकियों से हो रहा है जहां पर ईश्वर की कृपा से उन्हें फिर निराशा हाथ लगेगी।
नमाज़ियों पर हमले का उद्देश्य
उधर सद्र धड़े के प्रमुख सैयद मुक़तदा सद्र ने मुसअब मस्जिद पर हुए हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि अतीत की घटनाओं के दृष्टिगत इस घटना में भी तकफ़ीरी आतंकियों का हाथ है। उन्होंने कहा कि नमाज़ियों का जनसंहार एक अपराध है और यह सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए अंजाम दी गयी है। उन्होंने बल दिया कि सलाम ब्रिगेड सुरक्षा कर्मियों के साथ सहयोग करते हुए आमेरली क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा और उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने अमरीकी प्रशासन से मांग की है कि वह अश्वेत प्रदर्शनकारियों की मांगों पर ध्यान दे और उनका जनसंहार रोके। सैयद मुक़तदा सद्र ने कहा कि अमरीकी पत्रकार जेम्स फोली की हत्या का इस्लाम धर्म से कोई लेना देना नहीं है।
ज्ञात रहे कि पिछले दिन हमरैन क्षेत्र के बनी वेस गांव में एक मस्जिद पर आतंकियों ने हमला करके तीस नमाज़ियों की हत्या कर दी थी।
आईएस से संघर्ष पर बल
दूसरी ओर इराक़ के धर्मगुरूओं ने आईएस के आतंकियों से मुक़ाबले के लिए युवाओं से निकलने का अह्वान किया है।
देश की विभिन्न मस्जिदों से लाउडस्पीकर से यह घोषणा की है जा रही है कि आईएस के आतंकियों से निपटने और देश की रक्षा के लिए युवाओं को मैदान में आना चाहिए और देश की रक्षा का अपने दायित्व का निर्वाह करना चाहिए।
आईएस ने ली ज़िम्मेदारी
आतंकवादी संगठन आईएसआईएल ने मुसअअब बिन अमीर मस्जिद में हुए जनसंहार की ज़िम्मेदारी स्वीकार कर ली है।
आईएसआईएल की ओर से इन्टरनेट पर जारी बयान में कहा गया है कि यह कार्यवाही आईएस के लड़ाकों ने अंजाम दी है क्योंकि इन लोगों ने मुसलमानों के ख़लीफ़ा अबू बक्र बग़दादी के आज्ञापालन से इन्कार कर दिया था। बयान में कहा गया है कि यदि फिर इन्कार किया गया तो कार्यवाही फिर की जाएगी।
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