दोनों पैरो से अपाहिज हमास का वह कमांडर जिससे थर्राता है इस्राईल


फ़िलिस्तीनी संगठन हमास की सैनिक शाखा इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम के कमांडर मोहम्मद ज़ैफ़ के नाम की आजकल बड़ी चर्चा है और इस चर्चा के पीछे हालिया दो घटनाएं जुड़ी हुई हैं।

पहली घटना हमास के जवानों की उस साहसिक कार्यवाही की है जिसमें उन्होंने एक सुरंग से निकल कर इस्राईली सैनिक केन्द्र पर हमला कर दिया और हमले में दस से अधिक इस्राईली सैनिक मारे गए।

इस कार्यवाही की वीडिया हमास की ओर से जारी की गई जिसके बाद हमास के विख्यात कमांडर मोहम्मद ज़ैफ़ ने कहा कि इस्राईल से कोई भी संघर्ष विराम उस समय तक नहीं हो सकता जब तक इस्राईल गज़्ज़ा पट्टी पर हमले और ग़ज़्जा पट्टी का परिवेष्टन समाप्त नहीं कर देता। उन्होंने कहा कि इस्राईल उस समय तक शांति का सपना भी नहीं देख सकता जब तक कि हमारी जनता को शांति और स्वतंत्रता नहीं मिल जाती। मोहम्मद ज़ैफ़ ने कहा कि हमने अपने हमलों में आम नागिरकों को निशाना नहीं बनाया बल्कि शत्रु सेना के कर्मियों को निशाना बनाया है जबकि ज़ायोनी शासन आम नागरिकों का नरसंहार कर रहा है।

दूसरी घटना बृहस्पतिवार की है जिसमें इस्राईल ने मोहम्मद ज़ैफ़ के बारे में अपने जासूसों से मिली जानकारी के बाद ग़ज़्ज़ा में एक घर पर पांच बड़े बम गिराए इस हमले में मोहम्मद ज़ैफ़ बच गए किंतु उनकी पत्नी और सात महीने का बच्चा शहीद हो गया। इस बड़े हमले से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस्राईल मोहम्मद ज़ैफ़ की सफल कार्यवाहियों से कितना बौखलाया हुआ है।

मोहम्मद ज़ैफ़ का जन्म

अलआलम टीवी चैनल ने हमास के इस कमांडर के बारे में कुछ जानकारियां प्रकाशित की हैं जिनके अनुसार मोहम्मद ज़ैफ़ जिनका असली नाम मोहम्मद दयाब इब्राहीम अलमिस्री है वर्ष 1965 में जन्मे। उनके परिवार को वर्ष 1948 में फ़िलिस्तीन के क़बीबा नगर से उस समय निष्कासित कर दिया गया जब इस शहर पर ज़ायोनियों का क़ब्ज़ा हो गया। मोहम्मद ज़ैफ़ का परिवार पहले किसी अन्य शरणार्थी शिविर में गया किंतु बाद में दक्षिणी गज़्ज़ा पट्टी के ख़ान युनुस शरणार्थी शिविर में जाकर उसने शरण  ले ली। ग़रीबी के कारण मोहम्मद ज़ैफ़ को बहुत कम आयु में ही काम करना पड़ा। उन्होंने अपने आवास के पास ही छोटा से पोल्ट्री फ़ार्म खोल लिया। फिर वह हमास संगठन से जुड़ गए।

इस्राईल के विरुद्ध कई कार्यवाहियों के सूत्रधार हैं मोहम्मद ज़ैफ़

इस्राईल का कहना है कि गत 20 साल के दौरान मोहम्मद ज़ैफ़ ने इस्राईल के विरुद्ध कड़े बड़े हमलों की योजनाबंदी की, जिसमें सुरंगे खोदना, मिज़ाइल फ़ायर करना, इस्राईली सैनिकों को बंधक बनाना तथा शहादात प्रेमी हमले वाला  जैसी कई कार्यवाहियां शामिल हैं।

वर्ष 2002 में इस्राईली हमले में हमास के वरिष्ठ कमांडर सलाह शहादह के मारे जाने के बाद मोहम्मद ज़ैफ़ क़स्साम ब्रिगेड के प्रमुख बन गए। इससे पहले मई वर्ष 2000 में फ़िलिस्तीनी प्रशासन ने उन्हें दूसरे इंतेफ़ाज़ा आंदोलन के दौरान गिरफ़तार कर लिया था किंतु वे भाग निकलने में सफल हो गए।

मोहम्मद ज़ैफ़ को मारने के लिए पांच हमले करवा चुका है इस्राईल

मोहम्मद ज़ैफ़ पर अब तक इस्राईल पांच बड़े हमले करवा चुका है। एक हमले में वे घायल होकर अपने दोनों पांव गवां चुके हैं और एक आंख भी चली गई। सितम्बर 2002 में भी उनकी गाड़ी पर गज्ज़ा नगर में हमला हुआ था किंतु वे बाल बाल बच गए।

मोहम्मद ज़ैफ़ मोबाइल जैसे उपकरणों का प्रयोग नहीं करते और बड़े गुप्त रूप से गतिविधियां करते हैं। वह बहुत ही तेज़ी से काम करने में दक्षता रखते हैं। उनको ज़ैफ़ अर्थात मेहमान इसी लिए कहा जाता है कि वे कभी एक स्थान पर नहीं टिकते।

मोहम्मद ज़ैफ की विशेषताओं में यह भी है कि वे ग़रीब छात्रों की हमेशा मदद करते हैं। हमेशा नीची आवाज़ में बात करते हैं और बहुत शांत रहते हैं। मोहम्मद ज़ैफ़ को पढ़ने लिखने का बड़ा शौक़ है।

मोहम्मद ज़ैफ़ पहली बार वर्ष 1989 में हमास के कई कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ़तार किए गए थे और 16 महीने तक बिना न्यायिक कार्यवाही के जेल में रहे।

अहमद अलजाबरी उनके सहयोगी थे जो इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम के आप्रेशनल कमांडर थे और मोहम्मद ज़ैफ़ की तैयार की हुई योजनाओं को व्यवहारिक बनाते थे किंतु नवंबर 2012 में ग़ज़्ज़ा पट्टी पर इस्राईल ने जब हमले शुरू किए तो एक हमले में उन्हीं को निशाना बनाया जिसमें जाबरी मारे गए।  हस कमांडर की शहादत के बाद मोहम्मद ज़ैफ़ ने क़स्साम ब्रिगेड के भीतर बहुत बड़े पैमाने पर बदलाव किया और यह बदलाव इस्राईल के लिए डरावना सपना बन गया है। क्योंकि इस बदलाव के बाद हमास की सैनिक शाखा की शक्ति और सैनिक कार्यवाहियों की सूक्ष्मता बहुत अधिक बढ़ गई  है।

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