अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) की सीरत

अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) की सीरत

सकीना बानो अलवी

गुनाह से दूरी

इमाम हुसैन (अ) से रिवायत है कि आपने फ़रमाया एक व्यक्ति अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) के पास आया और एक गुट की बुराई करने लगा, मेरे पिता (इमाम अली) ने मुझे आदेश दिया की क़म्बर को बुलाऊँ

जब क़म्बर आये तो मेरे पिता ने क़म्बर से कहाः इस बुराई करने वाले के पास जाओ और कहोः तुमने जो पास हमारे कानों तक पहुंचाई है ख़ुदा उससे क्रोधित है, तो चले जाओं और ख़ुदा की अमान में न रहो। (1)

ग़ीबत सुनने से दूरी

एक व्यक्ति अमीरुल मोमिनीन के घर में आया और इमाम हसन (अ) के पास बैठ गया और अपने दिल की बात कहने लगा यहां तक की बात करते करते वह किसी दूसरे के बारे में बोलने लगाः

इमाम अली (अ) ने अपने बेटे को सम्बोधित करके फ़रमायाः बेरे बेटे अपने कानों को इन प्रकार की बुराईयों से पवित्र रखो क्योंकि ग़ीबत करने वाला, अपने पास मौजूद सबसे बुरी चीज़ें तुम्हारे कान में डाल देता है। (2)

सलाम करने में एहतियात से काम लेना

इमाम सादिक़ (अ) फ़रमाते हैं, पैग़म्बरे इस्लाम औरतों को सलाम किया करते थे, और औरतें भी उनके सलाम का जवाब दिया करती थीं, और अमीरुल मोमिनीन (अ) भी औरतों को सलाम किया करते थे और यह पसंद नहीं करते थे कि औरतों के सलाम का जवाब दे और फ़रमाते थेः

मैं डरता हूँ कि मेरा दिल उनसे प्रभावित हो जाए और उसकी हानि उस सलाम के सवाब से अधिक हो जिसके सवाब को मैं चाहता था। (3)

स्पष्ट रहे कि इमाम अली (अ) या कार्य अपनी जवानी के दिनों में किया करते थे और यह हमारे लिये सीख है कि हमको शैतान की तरफ़ से सदैव सावधान रहना चाहिए क्यों कि संभव है कि शैतान किसी नेक कार्य के माध्यम से इन्सान को बुराई में डाल दे

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1. कश्फ़ुल ग़ुम्मा जिल्द 1, पेज 381
2. अलकाफ़ी, जिल्द 2, पेज 948
3. बिहारुल अनवार जिल्द 75, पेज 259

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