सैय्यद हसन नसरुल्लाहः ISIS सबके लिये ख़तरा है

(टीवी शिया मध्यपूर्व एशिया) हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने 2006 में ज़ायोनी शासन की 33 दिन की जंग में हार की वर्षगांठ के अवसर पर वीडियों कान्फ़ेन्स के द्वारा अब से कुछ देर पहले दिये जाने वाले भाषण में कहाः 33 दिन की जंग में ज़ायोनी शासन का लक्ष्य हिज़्बुल्लाह को समाप्त कर देना था, केवल उनका निरस्त्रीकरण करना नहीं था, यह जंग वह थी जो लेबनान और फ़िलिस्तीन की सीमाओं से बाहर निकलकर पूरे क्षेत्र में फैल गई।

हसन नसरुल्लाह ने कहाः 33 दिन की जंग में इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के दस हज़ार लोगों को गिरफ़्तार करने का प्रोग्राम बना रखा था, और वह लेबनान, फ़िलिस्तीन और सीरिया में हिज़्बुल्लाह के प्रमुख लीडरों को अपना निशाना बनाना चाहते थे, और इस क्षेत्र के तेल स्रोतों पर क़ब्ज़ा करना चाहते थे।

उन्होंने लेबनानी प्रतिरोध के शहीदों विशेषकर सैय्यद अब्बास मूसवी, राग़िब हर्ब और एमाद मुग़निया की तारीफ़ करते हुए कहाः मैं आभार व्यक्त करता हूँ हस उस व्यक्ति का जिसने अपनी ज़िम्मेदारी को निष्ठा के साथ अंजाम दिया और इस जीत में अपना रोल अदा किया, और मैं आभार व्यक्त करता हूँ सारे लीडरों प्रमुखों, क़ौमों का जो हमारे साथ खड़े रहे और हमारा समर्थन किया विशेषकर वह जिन्होंने इसके लिये ख़तरा उठाया, मेरा तात्पर्य सीरिया और ईरान हैं।

हसन नसरुल्लाह ने कहाः इस जंग ने प्रतिरोध के लिये संजीवनी का काम किया और ग़ज़्ज़ा की जंग को कम से कम दो साल के लिये टाल दिया।

नसरुल्लाह ने आगे कहाः 33 दिन की जंग में ज़ायोनी शासन की हार हुई है लेकिन अमरीका और इस्राईल की साज़िशी परियोजनाएं अभी भी जारी हैं, और हम आज भी इस बात की शक्ति रखते हैं कि पहले की तरफ़ उनकी साज़िशों पर पानी फेर दें।

उन्होने कहाः 1948 के बाद से इस क्षेत्र ने बहुत से बुरे वक़्तों को देखा है और यह सब इस क्षेत्र में ज़ायोनी शासन की स्थापना का कारण है।

अमरीका और यूरोप इस्राईल के नौकर

हसन नसरुल्लाह ने ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में लेबनान के प्रतिरोध के प्रभाव को बताते हुए कहाःमैदान में प्रतिरोध का डट जाना और जनता द्वारा उनका समर्थन और राजनीतिक स्तर पर इस देश के कड़े तेवर ने अमरीका और यूरोप को विवश कर दिया कि वह जंग बंदी के लिये अपनी शर्तों से मुंह मोड़ लें जिसका नतीजा यह हुआ की प्रतिरोध और शक्तिशाली हो गया और सीरिया एवं ग़ज़्ज़ा की जंग टल गई।

उन्होंने ग़ज़्ज़ा की स्थिति की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः जो ग़ज़्ज़ा में हो रहा है उसने अरबी क्षेत्र को 33 दिन की जंग के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए एक नये रास्ते पर डाल देगा, अमरीका और यूरोप इस क्षेत्र में थल सेना की उपस्थिति को लेकर बहुत सतर्क हैं, लेबनाना और यह क्षेत्र इस समय बहुत की ख़तरनाक स्थिति में है।

अमरीका और अरबी देशों ने ISIS को बढ़ावा दिया

हसन नसरुल्लाह ने इराक़ में आतंकवादी हमले के बारे में बोलते हुए कहाः इराक़ में प्रतिरोध और इस देश की जनता ने अमरीकियों को इराक़ से बाहर जाने पर विवश कर दिया, मैं आज फिर कहता हूँ कि हम ख़तरों से मुक़ाबला करने और धमकियों से निपटने के लिए तैयार हैं।

उन्होने कहाः स्थिति यह हो गई हैं कि एक आतंकवादी संगठन आज सीरिया और इराक़ पर क़ब्ज़ा करता है, बैंकों में डांका डालता है इन देशों के इनर्जी स्रोतों पर क़ब्ज़ा करता है और तेल को बेचता है।

उन्होंने ISIS की बर्बर्ता और अत्याचार की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः इराक़ और सीरिया में जिसने भी दाइश के सदस्यों का विरोध किया और इन लोगों के विचारों के विरुद्ध मुंह खोला उसको मार दिया गया ताकि लोगों के दिलों में डर बैठ जाए, आज इराक़ में एक करोड़ा पाँच लाख से अधिक बेघर लोग सुन्नी हैं।

हिज़्बुल्लाह के महासचिव हसन नसरुल्लाह ने यह कहते हुए कि दाइश ने एक नक़्शा जारी करके अपने लक्ष्यों को स्पष्ट कर दिया है ताकीद कीः इस नक़्शे के आधार पर कुछ अरबी देश भी ISIS की इस नामनिहाद इस्लामी हुकूमत से जुड़ना होगा, यह वही अरबी देश हैं जिन्होंने इस आतंकवादी संगठन का समर्थन करके इसको इस स्थान पर पहुंचाया है, और अमरीकी अधिकारियों ने इनके अपराथों पर अपनी आंखें मूंद रखी हैं।

ISIS सबके लिये ख़तरा है।

सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने अंत में आतंकवाद के विरुद्ध क्षेत्रीय देशों की एकता पर बल देते हुए कहाः मैं इराक़, फ़िलिस्तीन, सीरिया और फ़ारस की खाड़ी के दूसरे देशों से चाहता हूँ कि दुश्मनी को भूल जाए और मतभेदों को समाप्त कर दें क्योंकि दाइश सबके लिये एक ख़तरा है।

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