एक छात्र और बादशाह की लड़की
एक छात्र और बादशाह की लड़की
प्राचीनकाल की बात है ईरान के एक धार्मिक शिक्षा केन्द्र में एक छात्र अध्धयन में व्यस्त था। रात का समय था। मुहम्मद बाक़र नाम का छात्र अपने कमरे में बैठा हुआ अध्धयन कर रहा था। एकदम से उसके कमरे में एक जवान लकड़ी प्रविष्ठ हुई। वह बहुत घबराई हुई थी। देखने में वह किसी बड़े घर की लड़की लग रही थी। लड़की जैसे ही कमरे में घुसी उसने दरवाज़ा बद कर दिया और छात्र से इशारे से कहा कि चुप रहो। थोड़ी देर के बाद लड़की ने छात्र से पूछा कि क्या तुम्हारे पास कुछ खाना होगा? छात्र के पास जो कुछ खाना था उसने वह लड़की को लाकर दे दिया। लड़की ने खाना खाया और एक कोने में जाकर सो गई। मुहम्मद बाक़र अध्धयन में लीन हो गया।
उधर लड़की की तलाश में राजा के सिपाही इधर-उधर घूम रहे थे क्योंकि वह शाहज़ादी थी। अगली सुबह जब लड़की सोकर उठी तो इसी बीच राजा के सिपाही वहां पर पहुंच गए। वे राजकुमारी के साथ ही मुहम्मद बाक़र को भी अपने साथ ले गए। तत्कालीन शासक का नाम शाह अब्बास था जो सफ़वी शासन श्रंखला का एक प्रभावशाली राजा था।
शाह अब्बास ने बड़े ग़ुस्से में मुहम्मद बाक़र से पूछा कि तुमने रात ही हमें क्यों सूचित नहीं किया कि शाहज़ादी तुम्हारे कमरे में है? उत्तर में मुहम्मद बाक़र ने कहा कि शाहज़ादी ने मुझको धमकी दी थी कि यदि मैंने किसी को सूचित किया तो वह मुझको जल्लाद के हवाले कर देगी। पूछताछ के बाद शाह अब्बास इस परिणाम पर पहुंचा कि मुहम्मद बाक़र रात भर अध्धयन में व्यस्त रहा। उसे विश्वास हो गया कि छात्र ने कोई ग़लत क़दम नहीं उठाया।
शाह अब्बास ने मुहम्मद बाक़र से पूछा कि तुम किस प्रकार अपनी भावनाओं और आंतरिक इच्छाओं पर क़ाबू पाने में सफल रहे? राजा के प्रश्न के उत्तर में मुहम्मद बाक़र ने अपने हाथों की दसों उंगलिया सामने कर दीं जो आग से जली हुई थी। जब शाह अब्बास ने इसका कारण पूछा तो मुहम्मद बाक़र ने कहा कि जब शाहज़ादी सो गई तो उसकी आंतरिक इच्छाओं ने उसे परेशान करना आरंभ किया। उसने कहा कि जब-जब मेरी आंतरिक इच्छा ने मुझको प्रेरित किया मैंने अपनी उंगली को शमा पर रख दिया। इस प्रकार मेरी दसों उंगलियों के आगे के भाग जल गए। इस प्रकार से मैंने अपनी आंतरिक इच्छाओं से मुक़ाबला किया और ईश्वर की कृपा से शैतान के जाल में फंसने से बच गया। मुहम्मद बाक़र की बात सुनकर शाह अब्बास बहुत प्रभावित हुआ।
उसे इस बात अनुमान हो गया कि यह छात्र कितना पवित्र और योग्य है। उसके बाद राजा ने आदेश दिया कि उसकी सुपुत्री का विवाह मुहम्मद बाक़र से कर दिया जाए। शाह अब्बास ने मुहम्मद बाक़र को मीर दामाद की उपाधि दी। आगे चलकर मीर दामाद ने बहुत बड़े विद्वान और दर्शनशास्त्री के रूप में ख्याति पाई। आज भी ईरान में मीर दामाद को बड़े ही सम्मान से जाना जाता है।
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