पैग़म्बर के सहाबियों और शिया इमामों के रौज़ों को शिर्क बता कर शहीद करने वाले वहाबियों ने सद्दाम का मक़बरा ज़ियारत के लिए खोला + चित्र
इराक़ के पूर्व डिक्टेटर का मक़बरा जिसको इराक़ी सरकान ने बंद करवा दिया था, वह इराक़ में अस्थिरता के बाद दोबारा खोल दिया गया है।
isis के वहाबी आतंकवादी जो अपने आप को मुसलमान कहते हैं और उनका दावा है कि मक़बरा बनाना अनेकेश्वरवाद और शिर्क है, और इसी दावे के साथ उन्होंने पैग़म्बर के सहाबी ओवैस क़रनी, ताफ़रे तय्यार, हुज्र बिन उदैय... शहीद किया और अभी कुछ दिन पहले ही जिन्होंने सुन्नियों सबसे बड़े आलिम अब्दुल क़ादिर जीलानी के शागिर्दों की क़ब्रों को शहीद कर दिया, आज इन्ही आतंकवादियों ने जल्लाद और डिक्टेटर सद्दाम के रौज़े को खोल दिया है।
अब इस मक़बरे को खोलने का राज़ क्या है यह तो वही बता सकते हैं, लेकिन हमारा प्रश्न यह है कि
क्या सद्दाम की क़ब्र पर जाना शिर्क नहीं है?
या सद्दाम और उसके जैसे लोग ही इन वहाबियों के वास्तविक ख़ुदा है?
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