आयतुल्लाह सीस्तानी के फ़तवे पर सुन्नी आलिम का कमेंट

आख़िर ऐसा क्या है कि जो शिया आपने मरजा के फ़तवे का इतना सम्मान करते हैं और उसके लिए उठ ख़ड़े होते हैं।


1923  से लेकर आज के दिन तक इराक़ में आयतुल्लाह सीस्तानी का जिहाद का फ़तवा पहला फ़तवा है कि जिसमें isis को शिया और सुन्नी दोनों का शत्रु बताया गया है।

जब्कि हमारे (सुन्नी) फ़तवे दिन में दो बार बदलते हैं एक बार हम किसी चीज़ के समर्थन में फ़तवा देते हैं और दूसरी बार उसी दिन उसके विरोध में।


आख़िर ऐसा क्या है कि जो शिया आपने मरजा के फ़तवे का इतना सम्मान करते हैं और उसके लिए उठ ख़ड़े होते हैं।

मुझे कहना पड़ेगा कि उसका कारण यह है कि उनके आलिमे दीन अपनी पसंद और इच्छाओं को देखकर फ़तवा नहीं देते हैं।

हम नहीं चाहते हैं कि हम अपनी लगाम को क़रज़ावी और अरऊर (दो वहाबी मुफ़्ती) जैसे लोगों के हाथ में दें जो कि जर्मनी पंखों की तरफ़ इधर उधर घूमते रहेते हैं।

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