ज़ोहूर की निशानियां हदीस की रौशनी में

ज़ोहूर की निशानियां हदीस की रौशनी में

इमामे ज़माना, उनकी ग़ैबत, आपके ज़ोहूर आदि यह ऐसे विषय हैं जिनके बारे में सबको बहुत खोज रहती है और हर मुसलमान बल्कि हर इन्सान यह जानना चाहता है कि आप कौन हैं, आपकी ग़ैबत क्यों हुई, आपक़ा ज़ोहूर कब होगा, और जब आपका ज़ोहूर होगा तो क्या होगा, आपको ज़ोहूर की निशानियां क्या हैं, ज़ोहूर के बाद आप क्या करेंगे।

इन्हीं प्रश्नों को देखते हुए हम अपने इस लेख में अपने पाठकों की कुछ उत्सुक्ताओं को दूर करने का प्रयत्न करेंगे।

हम अपने इस लेख में इमाम ज़माना के ज़ोहूर की निशानियों को बयान करेंगे।

अगर रिवायतों में बयान होने वाली ज़ोहूर की निशानियों को देखा जाए तो हम उनको कई आधार पर कई भागों में बांट सकते हैं जैसे

1. समान्य निशानिया और असमान्य निशानियां जैसे आसमान से चीख़ का बुलंद होना।

2. रिवायतों के आधार पर हम इन निशानियों को निश्चिंत और अनिश्चितं निशानियों में बांट सकते हैं।

3. निशानियों के आने के बाद आपको ज़ोहूर के समय के आधार पर इन निशानियों को बांटा जा सकता है।

हम अपने इस लेख में दूसरी क़िस्म की निशानियों यानी निश्चिंत और अनिश्चित निशानियों के आधार पर बात करेंगे।

जब हम निश्चित और अनिश्चित का शब्द सुनतें हैं तो हमारे ज़हन में यह प्रश्न उठता है कि यह निश्चित और अनिश्चित क्या है, क्या यह भी हो सकता है कि कुछ निशानियां अनिश्चित हों?

इसके बारे में इस्लामी विद्वानों की तरफ़ से तीन प्रकार के विचार व्यक्त किये गए हैं।

1. निश्चिंत यानी यह निशानियां निःसंदेह ज़ाहिर होंगी, अनिश्चिंत यानी संभव है कि ज़ाहिर न हों।

2. निश्चिंत यानी, उन निशानियों के बाद इमाम का ज़ोहूर अवश्य होगा, अनिश्चिंत यानी संभव है कि उन निशानियों के तुरन्त बाद ज़ोहूर न हो बल्कि कुछ समय के बाद हो।

3. निश्चित यानी उन निशानियों के बाद बदा संभव नहीं है अनिश्चित यानी बदा संभव है (बदाः कोई एसा कार्य जो ईश्वर की तरफ़ से निश्चिंत हो लेकिन बाद में ख़ुदा उसको बदल दे, इसके बारे में सारी जानकारी के लिए बड़ी किताबें और लेख पढ़े जाएं)

इमाम ज़माना के ज़ोहूर के बारे में कुछ निशानियां एसी है जिनको हतमी, यक़ीनी या निश्चिंत कहा जाता है, यानी जब यह निशानियां ज़ाहिर हो जाएंगी तो उसके बाद एक निश्चिंत समय सीमा में इमाम का ज़ोहूर अवश्य होगा और यह पांच निशानिया हैं

1. सुफ़यानी का ख़ुरूजः यह एक व्यक्ति है जो सीरिया में वादी याबिस से इस्लाम को समाप्त करने के लिए उठेगा।

2. बैदा नामी ज़मीन का धंस जानाः यह सुफ़ियानी जब इस्लाम को समाप्त करने के लिए उठेगा और वह लड़ते लड़ते मक्का और मदीना के बीच में बैदा नामी स्थान पर पहुंचेगा तो वहां की ज़मीन उसकी पूरी सेना के साथ धंस जाएगी, उसकी पूरी सेना में से केवल एक आदमी जीवित बचेगा जो जाके सबको बताएगा कि उनके साथ क्या हुए।

यह घटना इमाम ज़माना के ज़ोहूर से तीन दिन पहले होगी।

3. सैय्यदे यमानी का विद्रोहः यह महान व्यक्ति यमन की धरती सो सुफ़यानी का मुक़ाबला करने के लिए उठेंगे

3. पवित्र इन्सान की हत्याः यह एक महान इन्सान होंगे तो मक्के में काबे के क़रीब लोगों को इमाम ज़माना की सहायता करने का निमंत्रण देंगे, तो वह लोग जो इमाम के शत्रु होंगे इन्हीं को इमाम समझेंगे और काबे के पास आपकी हत्या कर दी जाएगी, यह इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 25 ज़िलहिज़ को होगा।

4. आसमानी चीख़ः यह रमजान महीने की 23 तारीख़ को होगा जब आसमान से आवाज़ आएगी कि इमाम ज़माना का ज़ोहूर हो चुका है, यह ऐसी आवाज़ होगी जिसकी इस धरती पर रहने वाला हर व्यक्ति सुनेगा।

इमाम के ज़ोहूर और उस समय दुनिया की क्या हालत होगी इस बारे में अल्लामा मोहम्मद हुसैन तेहरानी किताब मआद शिनासी की चौथी जिल्द में पैग़म्बरे इस्लाम से एक रिवायत बयान करते हैं।

इस रिवायत में आया है कि अता बिन अबी रियाह अब्दुल्लाह बिन अब्बास से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमायाः हम पैग़म्बरे इस्लाम (स) के साथ आपके अन्तिम हज में समिलित थे।

पैग़म्बर ने काबे के द्वार को पकड़ा और हमारी तरफ़ चेहरा करके फ़रमायाः क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हें क़यामत की निशानियां बताऊँ?

उस समय सलमान पैग़म्बर के सबसे क़रीब खड़े हुए थे, सलमान ने कहाः हे अल्लाह के रसूल हम चाहते हैं कि आप हमें बताएं

पैग़म्बर ने फ़रमायाः जान लो कि क़यामत की निशानियों में से यह है कि लोग नमाज़ को बरबाद करेंगे, शारीरिक इच्छाओं का अनुसरण करेंगे, माल को बड़ा समझेंगे, और दीन को दुनिया के लिए बेच देंगे।

हे सलमान उस समय लोगों पर शासन करने वाले ज़ालिम और अत्याचारी होंगे, और उनकी वज़ीर (सलाहकार) फ़ासिक़, और अधिकारी सब भ्रष्ट, और अमानतदार सब ख़यानत करने वाले होंगे।

हे सलमान उस समय बुरे कार्य लोगों के बीच अच्छे हो जाएंगे, और अच्छे कार्य बुरे समझे जाएंगे, ख़यानत करने वालों पर भरोसा किया जाएगा और अमानतदार पर ख़यानत का आरोप लगाया जाएगा, झूठें को सच्चा कहा जाएगा और सच्चे को झुठलाया जाएगा।

हे सलमान, उस समय औरतें मर्दों पर हुकूमत करेंगी, और दासियों से सलाह ली जाएगी, बच्चे (अज्ञानी और कम जानकारी रखने वाले) मिम्बरों पर जाएंगे और लोगों के लिए ख़ुत्बा पढ़ेंगे, और लोगों के धार्मिक कार्यों को यह कम जानकारी रखने वाले लोग अपने ज़िम्मे लेंगे। झूठ को चालाकी समझा जाएगा, और ज़कात को नुक़सान समझा जाएगा, बैतुल माल और सार्वजनिक समपत्ती को चुराने को ग़नीमत समझा जाएगा, लोग अपने माता पिता के साथ ज़ुल्म करेंगे और उनको कोई महत्व नहीं देंगे और उनके वाजिब हक़ को भी नहीं देंगे, दोस्तों के साथ नेकी की जाएगी,  आसमान से दुमदार तारा निकलेगा।

हे सलमान उस समय औरतें अपने पतियों के साथ घर के बाहर के कार्यों और व्यापार में हिस्सा लेंगीं, और गर्मियों में बारिश होगी, महान और सम्मानित लोगों पर क्रोध किया जाएगा, और ग़रीब लोगों का उपहास उड़ाया जाएगा उस ज़माने में बज़ार एक दूसरे के पास आ जाएंगे (इन्टरनेट शापिग से सारी दुनिया के ख़रीद कर सकते हैं) और चूंकि व्यापारिक केन्द्र बहुत होंगे हर इन्सान कहता हुआ दिखाई देगाः मैंने कुछ नहीं बेचा, दूसरा कहेगा मुझे कुछ लाभ नही हुआ, और उस समय तुम देखोगे कि हर इन्सान ख़ुदा से शिकायत और उसकी निंदा करेगा।

हे सलमान उस समय लोगों पर वह लोग शासन करेंगे कि अगर लोग अपने अधिकारो की रक्षा और प्राप्ति या आज़ादी के लिये आवाज़ उठाएंगे तो क़त्ल कर दिये जाएंगे, और अगर लोग चुप भी रहेंगे तो यह लोग उनकी सम्पत्ती और इज़्ज़त को बरबाद कर देंगे, उनकी औरतों और लड़कियों को अशलीलता पर विवश करेंगे (जैसे कि आज यूरोप में औरतों को दुकानों में सजा कर उनकी क़ीमत लगाई जा रही है या इस्लामी दुनिया में इस्लाम के दावेदार वहाबी मुफ़्ती और उनके अनुयायी जो सेक्स जिहाद के नाम पर कर रहे हैं) और उनके सम्मान को पामाल करेंगे और कमज़ोर एवं भोले भाले लोगों का ख़ून बहाया जाएगा (जैसा कि दाइश इराक़ और सीरिया में लोगों का गला काट रहा है) और उनके दिलों में भय बिठा दिया जाएगा कि कोई सांस भी न ले सकेगा।

हे सलमान उस समय तमाम लोग डरे हुए भयभीत और ख़ौफ़ में होंगे।

हे सलमान उस समय लोगों के लिए एक चीज़ पूर्व से लाई जाएगी और दूसरी पश्चिम से और इस प्रकार मेरी उम्मत को रंग किया जाएगा, वाय वाय (अफ़सोस) हो मेरी उम्मत के कमज़ोरों पर इन अत्याचारियों से, और वाय हो उन पर ख़ुदा से, कमज़ोर और छोटे लोगों पर रहम नहीं करते हैं, और बड़ों का सम्मान नहीं करते हैं, और गल्ती करने वाले और वह व्यक्ति जिसने अपने व्यक्तिगत कार्यों में ग़ल्ती की हो उसको क्षमा नहीं करते हैं, उनकी बातें सब गाली और फ़ह्हाशी होगी, उनकी सूरत आदमियों जैसी लेकिन उनके दिन शैतान के होंगे।

हो सलमान उस समय मर्द मर्दों से सम्पर्क करेंगें और आरतों औरतों से (समलैंगिग्ता, और इसको क़ानूनी किया जाना यही दिखाता है) उस ज़माने में जिस प्रकार पति के घर में औरत की सुरक्षा की जारी है ताकि कोई उस पर ग़लत नज़र न डाले इसी प्रकार जवान लड़कों की सुरक्षा की जाएगी और उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ती की जाएगी, मर्द औरतों जैसे होंगे और औरतें मर्दों जैसी अपने आप को दिखाएंगी, और औरतें घोड़ों पर सवारी करेंगी, मेरी उम्मत की ऐसी औरतों पर ख़ुदा की लानत हो।

हे सलमान उस समय मस्जिदों को सजाया जाएगा जैसा कि यहूदी और ईसाईयों की इबादतगाहों को सजाया जाता है और क़ुरआन को ज़ेवर पेंटिंग और शक्लों से सजाया जाएगा, मस्जिद की मीनारों को ऊँचा बनाया जाएगा, जमाअत की सफ़ों में लोग अधिक होंगे लेकिन उनके दिल कीने हसद और जलन से भरे होंगे, और उनके बोल चाल मुनाफ़ेक़ाना होंगें

उस समय मेरे उम्मत के मर्द सोना पहनेंगे और रेशम और दीबाज के कपड़े पहनेंगे, और शेरों की खालों को अपना कपड़ा बनाएंगे।

हे सलमान उस समय लोगों में सूद आम और खुलम्ख़ुल्लाह होगा और लोग एक दूसरे के साथ ग़ीबत और रिश्वत के माध्यम से व्यापार करेंगे, लोगों के बीच दीन छोटा और कमज़ोर हो जाएगा, लेकिन दुनिया शक्तिशाली और बड़ी हो जाएगी।
हे सलमान उस ज़माने में तलाक़ ज़्यादा हो जाएंगे, ख़ुदाई हदों को जारी नहीं किया जाएगा और यह सब कदापि ख़ुदा को हानि नहीं पहुंचा सकते।

हे सलमान उस ज़माने में लोगों के बीच गाने वाली औरतें आएंगी और म्यूज़िक उपकरण रेवाज पाएंगे, और लोगों पर मेरी उम्मत का सबसे बुरा व्यक्ति हुकूमत करेंगा।

हे सलमान उस समय मेरी उम्मत के मालदार लोग हज पर तफ़रीह के लिए जाएंगे, और मध्यम वर्ग वाले व्यापार के लिये और ग़रीब लोग अपने को बड़ा दिखाने के लिए हज पर जाएंगे।

उस समय बहुत से लोग ग़ैरे ख़ुदा के लिए क़ुरआन को सीख़ेंगे और क़ुरआन को गाने की आवाज़ और उपकरणों के साथ पढ़ेंगे, और बहुत से लोग ग़ैरै ख़ुदा के लिये धार्मिक उलूम को प्राप्त करेंगे, ज़िना की औलाद लोगों के बीच ज़्यादा हो जाएंगी, और क़ुरआन को गाने और ग़ैर शरई तरीक़े से पढ़ा जाएगा, सारे लोग दुनिया को प्राप्त करने के लिये मुक़ाबला करेंगे और दुनियावी कार्यों में एक दूसरे से आगे निकलने का प्रयत्न करेंगे।

हे सलमान उस ज़माने में लोगों की हुर्मत को पामाल किया जाएगा, पाप किये जाएंगे बुरे और पापी लोग अच्छे  लोगों पर शासन करेंगे, झूठ फ़ैल जाएगा कट्हुज्जती और सम्प्रदायिकता आम होगी, बारिश के मौसम के अलावा में मूसालाधार बारिश होगी गाने बजाने के कार्य को अच्छा समझा जाएगा, अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर को अंजाम न देना तो दूर की बात उसको बुरा समझेगें, ज़माना इतना बदल जाएगा कि मोमिन इन्सान सबसे ज़लील समझा जाएगा, क़ारियों, इबादत करने वालों और उलेमा में हसद होगा,

ऐसे लोग मलकूत आसमान में गंदे और पस्त नाम से पुकारे जाएंगे।

हे सलमान उस ज़माने में मालदार लोग सबसे अधिक ग़रीबी से डरेंगे, फ़क़ीरों और कमज़ोरो की सहायता नहीं की जाएगी यहां तक कि एक मांगने वाला एक हफ़्ते तक (एक जुमे से दूसरे जुमे तक) मांगेगा लेकिन कोई उसके हाथ पर कुछ नहीं रखेगा।

सलमान ने कहाः हे अल्लाह के रसूल क्या वास्तव में ऐसा होगा?!!! पैग़म्बर ने कहा मुझे क़सम है उसकी जिसके हाथों में मेरी जान है, ऐसा अवश्य होगा।

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