मौत के बाद क्या होगा?

मौत के बाद क्या होगा?

इस्लामी विचारधारा में मौत और उसकी याद को बहुत महत्व दिया गया है और सिफ़ारिश की गई है कि एक सच्चे मुसलमान को सदैव मौत को याद रखना चाहिए, इसका मार्गदर्शक पहलू यह है कि अगर इन्सान सदैव मौत और उसके बाद की चीज़ों को याद करता रहेगा तो वह कभी भी पाप नहीं करेगा और सदैव उसकी निगाहों के सामने ईश्वर रहेगा और वह उसकी प्रसन्नता के लिए ही हर कार्य करने का प्रयत्न करेगा।

क़ुरआन में बहुत सी आयतों में मौत के बारे में बयान किया गया है जैसे

نَحْنُ قَدَّرْنَا بَيْنَكُمُ الْمَوْتَ

أَيْنَمَا تَكُونُواْ يُدْرِككُّمُ الْمَوْتُ وَلَوْ كُنتُمْ فِي بُرُوجٍ مُّشَيَّدَةٍ

كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ الْمَوْتِ

وَمَا جَعَلْنَا لِبَشَرٍ مِّن قَبْلِكَ الْخُلْدَ ۖ أَفَإِن مِّتَّ فَهُمُ الْخَالِدُونَ

आदि यह वह आयतें है जो सदैव एक सच्चे मुसलमान को मौत की वास्तविक्ता और उसके बाद की मंज़िलों को याद कराती रहती हैं।

इसी प्रकार बहुत सी रिवायतें है जिनमें मौत के बारे में मासूमीन (अ) ने फ़रमाया है

हम यहां पर इमाम अली (अ) से एक रिवायत को बयान कर रहे हैं जिसमें आपने मौत के सार्वजनिक होने और हर इन्सान या जीवित चीज़ की मौत होने के बारे में फ़रमाते हैं

لَوْ اَنّ اَحَداً یجِدُ اِلَی الْبَقاءِ سُلَّماً، اَوْ لِدَفْعِ الْمَوْتِ سَبِیلاً، لَكانَ ذلِكَ سُلَیمانَ بنِ داوُدَ ـ علیه السلام ـ اَلَّذِی سُخِّرَ لَهُ مُلْكُ الْجِنِّ وَ الْاِنْسِ

अगर कोई इन्सान जो मौत से बच सकता होता या मौत से भागने का उसके पास कोई रास्ता होता तो वह सुलैमान बिन दाऊद होते जिनके लिए जिन्नातों और इन्सानों को मुसख़्ख़र कर दिया गया था।

यह रिवायत साफ़ साफ़ बता रही है कि मरना हर इन्सान को है कोई इस वास्तविक्ता से भाग नहीं सकता है, तो जब यह साबित ही हो गया है कि सबको मरना है तो हमने इस मौत के लिए तैयार होना चाहिए ना कि उससे भागने की तैयारी करनी चाहिए, हमको चाहिए कि हम अपनी दूसरी दुनिया में होने वाले प्रश्नों के उत्तर के लिए तैयारी करें, और मौत के बाद क्या होना है उसके लिए हम इसी संसार में तैयार रहें।

यह प्रश्न हर इन्सान के दिमाग़ में आता है कि इन्सान के मरने के बाद क्या होगा, आज हम इसी प्रश्न को उत्तर को एक रिवायत की सूरत में बयान कर रहे हैं

असबग़ बिन नबाता कहते हैं कि जिस ज़माने में सलमान फ़ारसी मदाएन के गवर्नर थे तब में एक दिन उनके पास गया उस समय आप बहुत बीमार थे, मैं उनकी देखभाल में लग गया, जब सलमान फ़ारसी को पता चल गया कि अब वह बचने वाले नहीं है तो उन्होंने मुझसे कहा हे असबग़ पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने मुझसे वादा किया था कि जब तुम्हारी मौत का समय क़रीब आएगा तो तुमसे एक मुर्दा बात करेगा।

मैं यह देखना चाहता हूँ कि क्या मेरी मौत का समय क़रीब आ गया है?

असबग़ ने कहा मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ

सलमान ने कहाः जाओ एक ताबूत लाओ और चार उठाने वालों को बुलाओ और मुझे उसमें रखकर कब्रिस्तान में ले जा कर ज़मीन पर रख दो।

असबग़ कहते हैं मैं बाहर गया और मैंने एक ताबूत का प्रबंध किया और चार उठाने वालों को बुलाया और उनको ताबूत में रखकर क़ब्रिस्तान में पहुंचा दिया।

सलमान ने कहाः मुझे क़िब्ले की तरफ़ चेहरा कर के लिटा दो, और जब ऐसा कर दिया तो आपने बुलंद आवाज़ के साथ कहा

सलाम हो तुम पर हे बला की घाटी में रहने वालों

सलाम हो तुम पर दुनिया से मुंह मोड़ लेने वालों (लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला तो आपने फिर फ़रमाया)

सलाम हो तुम पर जिन्होंने मौत के कड़वे घूंट को पिया है।

सलाम हो तुम पर जो ज़मीन के अंदर सोए हुए हो।

सलाम हो तुम पर जिन्होंने अपने दुनिया में किए हुए कार्यों को देख लिया है।

फ़िर आप कहते हैं तुम को क़सम है ख़ुदा और उसके रसूल की कोई मेरा उत्तर दे क्योंकि मैं रसूल का स्वतंत्र किया गया दास सलमान हूँ और उन्होंने मुझसे कहा था कि हे सलमान जब तुम्हारी मौत का समय नज़दीक आएगा तो एक मुर्दा तुम से बात करेगा। मैं जानना चाहता हूँ कि मेरी मौत का समय आ गया है या नहीं

असबग़ कहते हैं जैसै ही सलमान की बात पूरी हुई अचानक एक मुर्दा अपनी क़ब्र से आवाज़ आई

सलाम और ख़ुदा की रहमत हो तुम हे वह लोगों जो समाप्त हो जाने वाले हो।

हो वह लोग जो संसारिक कार्यों में व्यस्त हो और परलोक को भुला चुके हो।

मैं तुम्हारी बातों का उत्तर देने के लिए तैयार हूँ

सलमान ने कहाः हे वह जो मरने के बाद बोल रहे हो मुझे बताओ कि तुम ईश्वर की क्षमा से स्वर्ग के लोगों में से हो या ईश्वर के इन्सानफ़ से नर्क वालों में से।

यहां पर ईश्वर की क्षमा और इन्साफ़ का शब्द बता रहा है कि अगर ईश्वर ने मरने के बाद अपने इन्साफ़ के माध्यम से हमारा हिसाब लिया तो ईश्वरीय अज़ाब से बचना संभव नहीं है इसीलिए दुआओं में कहा जाता है कि हे ईश्वर हमारे अपनी उदारता और विनम्रता का व्यवहार करना अपने अद्ल वाला नहीं।

मुर्दा कहता हैः हे सलमान मैं उन लोगों में से हूँ जिन पर ईश्वर ने कृपा की है और अपनी क्षमा और करम से उनको स्वर्ग में प्रवेश दिया है।

सलमान ने कहाः अब जब कि तुम स्वर्ग वालों में से हो, मुझे बताओ कि मौत क्या चीज़ है? और बताओ कि मौत को तुमने कैसा पाया और क्या देखा?

उसने कहाः हे सलमान क्या पूछते हो ख़ुदा की क़सम कैंची से गोश्ता का काटा जाना और आरी से शरीर का उधेड़ दिया जाना मेरे लिए आसान था मौत की भयानकता से।

हे सलमान जान लो कि मैं दुनिया में उन लोगों में से था जो अच्छे कार्य करते थे और ईश्वरीय वाजिबों को अंजाम देता था, ईश्वर की किताब क़ुरआन की तिलावत करता था, और माता पिता के साथ अच्छा व्यवहार करता था, और हराम चीज़ों से बचता था और लोगों पर अत्याचार करने से दूर रहता था, और क़यामत के दिन किये जाने वाले प्रश्नों के डर से हलाल होज़ी कमाने के लिए मेहनत करता था।

मैं ख़ुशी और सुकून के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था कि एक दिन अचानक बीमार पड़ गया, कुछ दिन बीमार रहा कि एक दिन मेरी मौत का समय आ गया।

और एक लंबा चौड़ा और भयानक व्यक्ति मेरे सामने आ गया और मेरे सामने इस प्रकार खड़ा  हो गया कि न तो वह आसमान से ऊपर जा रहा था और न ही ज़मीन पर आ रहा था, उसने मेरी आँखों की तरफ़ इशारा किया तो वह अंधी हो गईं और मुझे दिखाई देना बंद हो गया, उसने मेरे कानों की तरफ़ इशारा किया तो वह बहरे हो गए और मेरी ज़बान की तरफ़ इशारा किया तो वह गूंगी हो गई, मैं अंधा बहरा और गूंगा हो गया।

मैंने उससे कहा कि तुम कौन हो जिसने मुझे अपने माल और औलाद से दूर कर दिया है?

उसने कहाः मैं यमराज हूं और तुमको इस लोक के घर से परलोक ले जाने आया हूँ, क्योंकि तुम्हारा समय समाप्त हो गया है और मौत का समय आ चुका है।

मैं उससे बात कर रहा था और उसने मेरे शरीर से आत्मा निकाल ली उस समय मेरी यह हालत थी कि लगता था कि मुझे आसमान से उठाकर ज़मीन पर पटक दिया गया हो, यहां तक की मेरी आत्मा सीने तक पहुंच गई फिर उसने एक इशारा किया कि अगर वह इशारा पर्वतों की तरफ़ कर दिया जाता तो वह चूरचूर हो जाते फिस उसमे मेरी आत्मा को मेरी नाक से बाहर खींच लिया।

उसी समय मेरे घरवालों के रोने की आवाज़ें बुलंद हो गईं मैं उनकी हर बात को सुन रहा था और उनके हर कार्य को देख रहा था।

जब उन लोगों का मुझ पर रोना बहुत बढ़ गया तो यमराज ने क्रोधित होकर उनको देखा और कहा तुम लोग किस चीज़ पर रो रहे हो? ख़ुदा की क़सम मैने इस पर कोई अत्याचार नहीं किया है और मेरे इससे कोई शत्रुता नहीं थी कि तुम इसपर रो और चिल्लाओ, हम और तुम एक ही ईश्वर के बंदे हैं और अगर तुमको मेरी आत्मा निकालने का आदेश दिया जाता जैसे मुझे दिया गया है तो तुम भी आदेश का पालन करते जैसा कि मैने किया है। ख़ुदा की क़सम हमने उसको नहीं मारा मगर यह कि उसकी रोज़ी इस संसार में समाप्त हो गई और उसकी मौत का समय आ गया और वह ईश्वर के सामने आ गया कि वह उसके लिए आदेश करे जैसा वह आदेश देना चाहे क्योंकि वह हर चीज़ पर शक्ति रखता है, तो अगर तुम लोग धैर्य रखते तो सवाब पाते और अगर रोओ व चिल्लाओगे तो इसके बारे में प्रश्न किया जाएगा, मैं तुम्हारी तरफ़ वापस आऊँगा यहां तक कि तुम्हारे माता पिता और तुम्हारी संतानों की आत्मा को ले जाऊँगा।

उसके बाद यमराज मेरे पास से मेरी आत्मा लेकर चला गया, फिर एक दूसरा फ़रिश्ता (दूत) आया और उसने मेरी आत्मा को यमराज से लिया और उसको एक रेशम के कपड़े में लपेटा और उसके अपने साथ ले गया और पलक झपकते ही उसको ईश्वर के सामने पहुंचा दिया और जब मेरी आत्मा ख़ुदा के सामने पहुंची तो उसने मेरी आत्मा से बड़े छोटे पापों नमाज़ों, रमज़ान के रोज़े, हज, क़ुरआन की तिलावत, ज़कात, सदक़ा, वाजिब चीज़ों, माता पिता की इताअत, बिना किसी कारण मोमिन की हत्या, यतीम की सम्पत्ती खाने, नमाज़े शब आदे के बारे में प्रश्न किया।

उसके बाद ईश्वर के आदेश से मेरी आत्मा को धरती पर लाया गया।

ग़ुस्ल देने वाला मेरे पास आया और मेरे शरीर को नग्न किया और मेरे शरीर से कपड़े उतारे, मेरी आत्मा ने ग़ुस्ल देने वाले को पुकार के कहा हे ईश्वर के बंदे इस टूटे हुए शरीर पर थोड़ा रहम करो ख़ुदा की क़सम मेरा शरीर टुकड़े टुकड़े हैं और मेरी हर रग कटी हुई है और शरीर का हर अंट अस्त व्यस्त है, ख़ुदा की क़सम अगर ग़ुस्ल देने वाला मेरी आवाज़ सुन लेता तो फिर किसी मुर्दे को ग़ुस्ल नहीं देता।

उसके बाद ग़ुस्ल देने वाले ने मेरे शरीर पर पानी डालना आरम्भ किया और मुझे तीन ग़ुस्ल दिये, और तीन कफ़न पहनाए, और हुनूत दिया और यह वह चीज़ें थी जो मैं इस संसार से अपने साथ आख़ेरत में लाया था।

उसके बाद मेरे दाहिने हाथ से एक अंगूठी उतारी और जब ग़ुस्ल हो चुका तो वह अंगूठी मेरे बड़े बेटे को दे दी, और कहा ख़ुदा तुमको इस मुसीबत पर सब्र दे और तुमको अज्र दे उसके बाद मुझे कफ़न पहनाया और तलक़ीन पढ़ी और मेरे परिवार वालों से कहा कि आओ और इसको विदा कर दो अब आज के बाद इनको न देख सकोगे, सभी मुझे विदा करने के लिए दौड़े और मुझे अन्तिम विदाई दी।

उसके बाद मुझे एक ताबूत में रखा गया और उस समय मेरी आत्मा मेरे कफ़न में मेरे साथ थी उसके बाद मेरे शरीर पर नमाज़ पढ़ी गई और जब नमाज़ समाप्त हुई तो यह लोग मुझे क़ब्रिस्तान लेकर चल दिये और जब उन लोगों ने मुझे क़ब्र मे उतारा तो मेरे ऊपर ख़ौफ़ तारी हो गया।

हे सलमान हे अल्लाह के बंदे इतना जान लो कि मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे आसमान से ज़मीन पर पटक दिया गया हो, उसके बाद मेरी क़ब्र पर तख़्ते लगाए गए और उसपर मिट्टी डाल दी गई और तभी मेरी आत्मा ने मेरे शरीर में प्रवेश किया और मेरी आखें और कान देखने और सुनने लगे, और जब मुझे क़ब्रिस्तान लाने वाले वापस जाने लगे तो मैं उनकी तरफ़ हसरत भरी निगाहों से देख रहा था और तब मैने कहा “या लैतनी कुन्तो मिनर्रजीन” काश मैं भी वापस जाने वालों में से होता।

अचानक मैने किसी की आवाज़ सुनी जो कह रहा था

كَلَّا ۚ إِنَّهَا كَلِمَةٌ هُوَ قَائِلُهَا ۖ وَمِن وَرَ‌ائِهِم بَرْ‌زَخٌ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ

(सूरा मोमिनून आयत 100)

कदापि नहीं यह एक बात है जो कह रहा है और उनके पीछे एक बर्ज़ख़ है जो क़यामत के दिन तक बाक़ी रहने वाला है।

मैंने कहा कि तुम कौन हो जो मुझसे बात कर रहे हो?

उसने कहा मैं मलके मुनब्बेह (सावधान करने वाला फ़रिश्ता) हूँ जिसके अल्लाह ने अपने बंदो पर निगरान रखा है ताकि मैं बंदों को मरने के बाद बताऊँ ताकि वह ईश्वर के दरबार में अपने कार्यों को लिखें।

उसके बाद उसने मुझे खींचा और बिठा दिया और कहा कि अपने कार्यों को लिखो।

मैंने कहा कि मैने कितने कार्य किये हैं मुझ नहीं पता मुझे अपने कार्य याद नहीं हैं।

तो उसने कहा कि क्या तुमको याद नहीं कि ख़ुदा फ़रमाता है

يَوْمَ يَبْعَثُهُمُ اللَّـهُ جَمِيعًا فَيُنَبِّئُهُم بِمَا عَمِلُوا ۚ أَحْصَاهُ اللَّـهُ وَنَسُوهُ ۚ وَاللَّـهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ شَهِيدٌ أَلَمْ تَرَ‌ أَنَّ اللَّـهَ يَعْلَمُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْ‌ضِ ۖ مَا يَكُونُ مِن نَّجْوَىٰ ثَلَاثَةٍ إِلَّا هُوَ رَ‌ابِعُهُمْ وَلَا خَمْسَةٍ إِلَّا هُوَ سَادِسُهُمْ وَلَا أَدْنَىٰ مِن ذَٰلِكَ وَلَا أَكْثَرَ‌ إِلَّا هُوَ مَعَهُمْ أَيْنَ مَا كَانُوا ۖ ثُمَّ يُنَبِّئُهُم بِمَا عَمِلُوا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۚ إِنَّ اللَّـهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ

जिस दिन ख़ुदा सबको जीवित करेगा और उन्हे उसके कार्यों को बताएगा जिसे उसने सुरक्षित कर रखा है और उन लोगों ने उसे भुला दिया है और अल्लाह हर चीज़ को देखने वाला है। क्या तुम नहीं देखते हो कि अल्लाह ज़मीन और आसमान की हर चीज़ को जानता है कहीं भी तीन आदमियों के बीच राज़ की बात नहीं होती है मगर यह कि मगर यह कि वह उनका चौथा होता है और पाँच के बीच राज़ की बात होती है तो वह उनका छठवां होता है और कम और ज़्यादा के बीच कोई राज़दारी होती है तो वह उनके साथ अवश्य रहता है चाहे वह कहीं भी रहें, उसके बाद क़यामत के दिन उनको बताएगा कि उन्होंने क्या किया है कि निःसंदेह वह हर चीज़ का जानने वाला है। (सूरा मुजादेला आयत 6,7)

मैंने कहाः मेरे पास काग़ज़ नहीं है, उसने कफ़न का एक कोना मेरे हाथ में दिया, और वह काग़ज़ में बदल गया और कहा कि यह तुम्हारा काग़ज़ है।

मैंने कहाः मेरे पास क़लम नहीं है, उसने कहा कि तुम्हारी तर्जनी उंगली क़लम है।

मैंने कहा मेरे पास स्याही नहीं है, उसने कहा तुम्हारा थूक स्याही है।

उसके बाद मैंने जो कुछ भी दुनिया मे किया था उसको लिखा और छोटे बड़े कार्यों में से कुछ भी लिखने से बाक़ी नहीं बचा जैसा कि ख़ुदा ने फ़रमाया है

وَوَجَدُوا مَا عَمِلُوا حَاضِرً‌ا ۗ وَلَا يَظْلِمُ رَ‌بُّكَ أَحَدًا

और सब अपने आमाल को बिलकुल हाज़िर पायेंगे और तुम्हारा परवरदिगार किसी एक पर भी अत्याचार नहीं करता है (सूरा कहफ़ आयत 49)

उसके बाद उसने उस लेख को लिया और उसपर एक अंगूठी से मोहर लगाई और मेरी गर्दन में डाल दिया, वह इतना भारी था कि जैसे पहाड़ मेरी गर्दन में डाल दिया गया हो।

मैंने उससे कहाः यह तुमने मेरे साथ क्या किया?

उसने कहाः क्या तुमने नहीं सुना है कि अल्लाह फ़रमाता हैः

وَكُلَّ إِنسَانٍ أَلْزَمْنَاهُ طَائِرَ‌هُ فِي عُنُقِهِ ۖ وَنُخْرِ‌جُ لَهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ كِتَابًا يَلْقَاهُ مَنشُورً‌ا

और हमने हर इन्सान के नामा ए आमाल को उसकी गर्दन में लटका दिया है और क़यामत के दिन उसे एक खुली हुई किताब की तरह पेश करेंगे (सूरा असर आयत 13)

اقْرَ‌أْ كِتَابَكَ كَفَىٰ بِنَفْسِكَ الْيَوْمَ عَلَيْكَ حَسِيبًا

अपनी किताब को पढ़ लो, तुम्हारे हिसाब के लिये यही किताब काफ़ी है (सूरा असरा आयत 14)

उसके बाद वह फ़रिश्ता मेरे पास से चला गया।

उसके बाद मुनकिर एक अजीब और भयानक चेहरे के साथ मेरे पास आया उसके हाथो में लोहे की एक गदा थी कि अगर सारे इन्सान और जिन्नात भी जमा हो जाते तो उसको हिला भी न पाते, वह मुझपर चिल्लाया यह ऐसी आवाज़ थी कि अगर धरती पर रहने वाले लोग सुन लेते तो सब मर जाते

उसके बाद उसने मुझसे कहाः हे अल्लाह के बंदे मुझे बताओ कि तुम्हारा अल्लाह कौन है, तुम्हारा दीन क्या है, तुम्हारा नबी कौन है तुम्हार कलमा क्या है?

जब मैंने उसको इस सूरत में देखा और उसकी यह बातें सुनी तो डर के मारे मेरी बोलती बंद हो गई, मैं घबरा गया मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या उत्तर दूँ मेरे शरीर का हर अंग डर के मारे कांप रहा था, तब अल्लाह की रहमत का मुझ पर साया हुआ और मेरा दिल ठहर गया और मेरी ज़बान में बोलने की शक्ति आ गई और मैने उससे कहाः हे अल्लाह के बंदे मुझे डरा क्यों रहे हो, जब्कि मैं जानता हूँ और कहता हूँ

अश्हदों अन ला इलाहा इल्लललाहो व अन्ना मोहम्मदन रसूलुल्लाह व अन्नललाहा रब्बी व अन्ना मोहम्मदन नबीय्यी वल इस्लामो दीनी वल क़ुरआनो किताबी वल काबतो क़िबलती व अलीयुन इमामी वल मोमिनूना इख़्वानी व अश्हदो अन ला इलाहा इल्लललाहो वहदहु ला शरीका लहु व अन्ना मोहम्मदन अब्दोहु व रसूलोहु

यह मोरा अक़ीदा और कथन है मैं इसी विश्वास के साथ क़यामत के दिन ख़ुदा के समाने जाऊँगा।

जब मुनकिर ने यह सुना तो उसने कहाः बशारत है तुम्हारे लिए और हम तुमको सलामती की बशारत देते हैं और तुम कामियाब हो गए, उसने यह कहा और मेरे पास से चला गया।

फिर नकीर मेरे पास आया मेरे ऊपर एक चीख़ मारी जो पहले (मुनकिर की) चीख़ से भी डरावनी थी, उसकी आवाज़ को सुनकर मेरे बदन का जोड़ जोड़ हिल गया और सारे अंग उंगलियों की भाति अलग अलग हो गए, फिर उसने कहा हे अल्लाह के बंदे अपना नामा ए आमाल लाओ।

जब मैंने यह स्थिति देखी तो मैं गूंगा सा हो गया, मुझे कोई उत्तर समझ में नहीं आया, तभी कृपालु ईश्वर ने मेरे दिल से डर को समाप्त कर दिया और मैंने उससे कहा

हे अल्लाह के बंदे मेरे साथ उदारता से पेश आओ, क्योंकि मैं दुनिया से यह कहता हुआ बाहर आया हूँ

अश्हदो अन ला इलाहा इल्लललाहो वहदलु ला शरीकलहु व अश्होद अन्ना मोहम्मदन अब्दोहुव रसूलहु व अन्नल जन्नता हक़्कुन वन्नारा हक़्क़ुन, वस्सिराता हक़्क़ुन, वल मीज़ाना हक़्क़ुन, वलहिसाबा हक़्क़ुन, व मसअलतो मुनकेरन व नकीरन हक़्क़ुन, वल बअसा हक़्क़ुन, व अन्नल जन्नता वमा वअदहुल्लाहो फ़ीहा मिन्ननईमे हक़्क़ुन, व अन्नननारा वमा वअदाल्लाहो फ़ीहा मिनल अज़ाबे हक़्क़ुन, व अन्नस साअता आतियतुन लारैबा फ़ीहा व अन्नल्लाहा यबअसो मन फ़िल क़ुबूरे

यानी मैं गवाही देता हूँ कि ख़ुदा एक है और उसका कोई साथी नहीं है, और मोहम्मद (स) बंदे और उसके रसूल हैं, और स्वर्ग वास्तविक्ता है, और नर्क, सिरात और मीज़ान और हिसाब, वास्तविक्ता है, मुनकिर और नकीर का प्रश्न करना वास्तविक्ता है, और क़यामत सच है और स्वर्ग और उसका सवाब एवं नर्क और उसका अज़ाब सच्चाई है।

जब नकीर ने यह सुना तो उसमे कहाः मैं तुमको सदैव बाक़ी रहने वाली अनुकम्पाओं की बशारत देता हूँ फिर उसने मुझे सुला दिया और कहाः दुलहनों की भाति सो जाओ।

उसके बाद मेरे सर की तरफ़ से स्वर्ग की तरफ़ एक द्वार खोल दिया और मेरे पैरों की तरफ़ से नर्क की तरफ़ एक द्वार खोल दिया और कहाः हे अल्लाह के बंदे देखों उस स्वर्ग की तरफ़ जो तुमको मिली है और देखो उस नर्क को जिससे तुम बच गये हो, फिर उसने नर्क वाले द्वार को बंद कर दिया लेकिन स्वर्ग वाले द्वार को खुला छोड़ दिया जिससे स्वर्ग की हवा आ रही थी और उसके नेमतें भी, और उसके बाद उसने मेरी क़ब्रो को जहां तक आखें देख सकती थी फैला दिया और फिर चला गया।

हे सलमान यहीं मेरी कहानी है और मैने जो चीज़ें देखी हैं ईश्वर गवाह है कि मौत की कड़वाहट क़यामत तक मेरे गले में बाक़ी रहेगी।

उसके बाद मुर्दे ने कहा

فراقب الله أيها السائل من وقفة المسائل، وخف من هول المطلع وما قد ذكرته لك، هذا ما لقيته ثم انقطع كلامه

हे प्रश्न करने वाले प्रश्न किये जाने वाले स्थान पर रुक जाने (उत्तर न दे पाने) से डरो। यह कहकर मुर्दा ख़ामोश हो गया।

यही वह समय था कि जब सलमान ने आसमान की तरफ़ देखा और रोने लगे और कहा

 हे वह जिसके हाथ में हर चीज़ का अधिकार है और उसी की तरफ़ सबको पलट कर जाना है वह सबको पनाह देने वाला है और कोई उसको पनाह देने वाला नहीं है, मैं तुझ पर ईमान लाया, और तेने नबी का अनुसरण किया, और तेरी किताब पर ईमान लाया,.....

जैसे ही सलमान फ़ारसी की गवाही तमाम हुई उनकी आत्मा उनके शरीर से निकल गई, असबग़ कहते हैं कि हम उनके कफ़न दफ़न के बारे में सोंच ही रहे थे कि अचानक चेहरे पर नक़ाब डाले एक व्यक्ति हमारे सामने आया और सलाम किया और कहा हे असबग़ सलमान के कफ़न दफ़न की तैयारी करों, हम समझ गए कि यह अली हैं और हम कार्य में लग गए हम सलमान के लिए काफ़ूर का तलाश करने लगे कि आपने फ़रमाया जो कुछ तुम लोगों को चाहिए वह मेरे पास है हमने पानी और तख़्त का प्रबंध किया और सलमान को ग़ुस्ल दिया कफ़न पहनाया और नमाज़ पढ़के उनको दफ़ना दिया गया।

असबग़ कहते हैं कि जब मौला जाने लगे तो मैंने उनसे प्रश्न कियाः हे अमीरुल मोमिनीन (अ) आपको सलमान के बारे में कैसे पता चला और आप कैसे इतनी जल्दी पहुंच गएः

आपने फ़रमायाः हे असबग़ मुझसे वादा करो जब तक मैं जीवित हूँ यह बात किसी से नहीं कहोगे।

हे असबग़ मैंने पैग़म्बर को स्वप्न में देखा कि आप फ़रमा रहे हैं कि हे अली मदाएन में सलमान का देहांत हो गया है उनके कफ़न दफ़न का प्रबंध करो।

यह कहानी सुनने से ही रोंगटे खड़े कर देने वाली है, और हमको चाहिए कि हम उससे सीख लें इससे पहले कि समय ग़ुज़र जाए, ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह उस मुर्दे का हाथ है जिसकी विशेषता यह थी कि

1.    वह समय पर नमाज़ पढ़ता था

2.    हलाल रोज़ी कमाता था।

3.    कभी किसी का बुरा नहीं चाहता था

4.    वाजिबात को पूरा करता था

5.    माता पिता के साथ अच्छा व्यवहार करता था।

6.    हराम चीज़ों से दूर रहता था।

7.    दूसरों पर अत्याचार नहीं करता था।

सोंचने वाली बात हैं कि जब एक नेक और अच्छे कार्य करने वाले इन्सान की आख़ेरत इस प्रकार की थी तो हमारा.....

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