इमाम अली (अ) के जीवन में मोआविया के जुर्म

इमाम अली (अ) के जीवन में मोआविया के जुर्म

 मुआविया ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम की ज़िन्दगी में जो ज़ुल्म किये उनका ख़ुलासा इस तरह किया जा सकता है।

1)सन् 37 हिजरी क़मरी से मुआविया ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम की हुकूमत के इलाक़ो में अपनी फ़ौज की छोटी छोटी टुकड़ियों को भेजना शुरू कर दिया था, ताकि वह लोगों का क़त्ले आम करें, उनके घरों को जलायें, उनकी खेतियों को बर्बाद करें और कुछ लोगों को कैदी बना कर वापस पलटें।

2)मुआविया ने जब अपने एक साथी सुफ़यान बिन औफ़ को अम्बार पर हमला करने के लिए भेजा, तो उसको हुक्म दिया कि जो भी तेरे सामने आये उसे क़त्ल कर देना और जो चीज़ भी तुझे दिखयी दे उसे तहस नहस कर देना।

3)मुआविया ने अब्दुल्लाह बिन मसअद को हुक्म दिया कि यहाँ से मक्के तक जो भी बदवी तुझे ज़कात न दे उसे क़त्ल कर देना।
4)मुआविया ने बुस्र बिन अरतात को हुक्म दिया कि पूरे इस्लामी हुकूमत का दौरा कर और जहाँ भी कोई अली अलैहिस्सलाम का चाहने वाला मिले उसे क़त्ल कर देना।

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