नबी को पहचानने के तरीक़े

नबी को पहचानने के तरीक़े

किसी भी दावा करने वाले के दावे को ग़ौर व फ़िक्र के बग़ैर क़ुबूल कर लेना अक़्ल व शऊर के ख़िलाफ़ है। मुम्किन है कि नबुव्वत व रिसालत का दावा करने वाला सच्चा हो और ख़ुदा की तरफ़ से ही भेजा गया हो लेकिन उसके साथ यह ऐहतेमाल व इम्कान भी पाया जाता है कि नबुव्वत व रिसालत का मुद्दई झूठा हो और ज़ाती मफ़ाद के पेशे नज़र अपनी नबुव्वत का दावा कर बैठा हो, लिहाज़ा ज़रूरी है कि सच्चे नबी को पहचानने के लियह हमारे पास चंद मेयार मौजूद हों। जिनमें से दो बहुत अहम हैं :

1. मोजिज़ा

पैग़म्बरों की नबुव्वत और आलमे ग़ैब से उनके राब्ते को साबित करने वाले चंद रास्तों में से एक रास्ता मोजिज़ा है। मोजिज़ा वह काम है जिसे अंबिया (अ) ख़ुदा वंदे आलम के हुक्म से अपनी हक़्क़ानियत और आलमे ग़ैब से अपने राब्ते को साबित करने के लिये अंजाम देते हैं और दूसरे अफ़राद उसे अंजाम देने से आजिज़ व मजबूर होते हैं। क़ुरआन करीम में मोजिज़ा को आयत यानी अलामत से ताबीर किया गया है। हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) फ़रमाते हैं: ख़ुदा ने अपने पैग़म्बरों और जानशीनो को मोजिज़ा इनायत किया ताकि उनके दावे की सदाक़त पर गवाह हो, मोजिज़ा एक ऐसी अलामत है जिसे ख़ुदा अपने पैग़म्बरों, रसूलों और अपनी हुज्जतों के अलावा किसी और को नही देता ताकि उसके ज़रिये सादिक़ व सच्चे नबी को झूठे मुद्दई से जुदा कर सके और सच्चे और झूठे में पहचान हो सके।[6]

2. ग़ुज़िश्ता पैग़म्बरों की पेशीनगोई

नबी को पहचानने का दूसरा रास्ता यह है कि उसके बारे में गुज़िश्ता नबी ने ख़बर दी हो । पैग़म्बरे इस्लाम (अ) ने भी जब अपनी नबूवत का ऐलान किया तो गवाही के तौर पर यह दलील पेश की कि मैं वही पैग़म्बर हूँ जिसका नाम तौरैत व इंजील में आया है लेकिन बहुत से यहूदियों और ईसाईयों ने न सिर्फ़ यह कि  अपनी आसमानी किताबों की तरफ़ रुजू न किया और पैग़म्बरे इस्लाम (स) की हक़्क़ानियत को क़बूल न किया बल्कि इस्लाम व मुसलेमीन से बहुत सी जंगें लड़ीं, उन की किताबों में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के इस्में गिरामी के मौजूद होने के बारे में क़ुरआने मजीद में इरशाद होता है:

وَإِذْ قَالَ عِيسَى ابْنُ مَرْ‌يَمَ يَا بَنِي إِسْرَ‌ائِيلَ إِنِّي رَ‌سُولُ اللَّـهِ إِلَيْكُم مُّصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيَّ مِنَ التَّوْرَ‌اةِ وَمُبَشِّرً‌ا بِرَ‌سُولٍ يَأْتِي مِن بَعْدِي اسْمُهُ أَحْمَدُ ۖ فَلَمَّا جَاءَهُم بِالْبَيِّنَاتِ قَالُوا هَـٰذَا سِحْرٌ‌ مُّبِينٌ(2)

याद करो उस वक़्त को जब ईसा (अ) बिन मरियम ने बनी इस्राईल से कहा: मैं तुम्हारी तरफ़ ख़ुदा का भेजा हुआ रसूल हूँ, तौरैत की तस्दीक़ करता हूँ और तुम्हें अपने बाद आने वाले पैग़म्बर की बशारत देता हूँ जिसका नाम अहमद है लेकिन जब वह पैग़म्बर मोजिज़ात और निशानियो के साथ आया तो उन लोगों (यहूदियों और ईसाईयों) ने कहा कि यह तो ख़ुला हुआ जादू है।

उन्हीं यहूदियों की नस्ल ‘’इसराईल’’ आज भी पूरी दुनिया में मुसलमानों के ख़िलाफ़ साज़िश में मसरूफ़ है और इस्लाम को तबाह करना चाहती है लेकिन जिस तरह से पैग़म्बर (स) के ज़माने में यहूदी कामयाब न हो सके। उसी तरह आज भी वह इस्लाम व मुसलेमीन के सामने ज़लील व बेबस नज़र आ रहे हैं।

सारांश

- सच्चे नबी को इन रास्तों से पहचाना जा सकता है : 1. मोजिज़ा 2. गुज़िश्ता पैग़म्बरों की पेशीनगोई

- मोजिज़ा वह काम है जिसको अंजाम देने से आम इंसान आजिज़ व नातवाँ होता है।

- अंबिया (अ) अपनी हक़्क़ानियत और आलमें ग़ैब से अपने राब्ते को साबित करने के लि यह ख़ुदा के हुक्म से मोजिज़ा दिखाते थे।

- गुज़िश्ता आसमानी किताबों में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के आने की बशारत दी गई है, इस सिलसिले में क़ुरआन में आयत भी मौजूद है।

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(1) बिहारुल अनवार जिल्द 11 पेज 21

(2) सूरा सफ़ आयत 6

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