इमाम अली के कथन संक्षिप्त विवरण के साथ

इमाम अली (अ) के कथन संक्षिप्त विवरण के साथ

इमाम अली अलैहिस्सलाम इस्लामी दुनिया की इकलौती एसी हस्ती हैं जो पैग़म्बरे इस्लाम के साथ बचपन से रहे और जब आपकी वफ़ात का समय क़रीब आया तो भी यह अली ही थे जो पैग़म्बर के साथ थे, यह अली ही थे जो कभी ग़दीर में पैग़म्बर के उत्तराधिकारी बन रहे थे तो कभी ज़ुलअशीरा में ख़िलाफ़त की उपाधि ले रहे थे, यह अली ही थे जिनकी इमामत ने इस्लाम को उसके उच्चतम स्थान तक पहुंचा दिया जिसके बाद ईश्वर ने कहा कि आज मैने तुम्हारे दीन को पूर्ण कर दिया।

आज भले ही अली हमारी आखों के सामने से चले गए हों लेकिन आपके मार्गदर्शन कथन आज भी हमारे लिए रास्ते का दिया हैं, अगरचे हमारा अक़ीदा यह है कि मासूम कभी मरता नहीं वह सदैव जीवित हैं और इसी लिए हम नमाज़ में उस पर सलाम भेजते हैं, आज हम अपने प्रिय पाठकों के सामने आपके कुछ मार्गदर्शक कथनों को पेश कर रहे हैं।

जीने की सालीक़ा

इमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं

خالِطُوا النَّاسَ مُخالَطَهً إن مُتُّم مَعَها بَكَوا عَليكُم و إن عِشتُم حَنُّوا إليكُم (1)

लोगों के साथ इस प्रकार मिल जुल कर रहो कि अगर मर जाओ तो वह तुम पर रोएं और अगर जीवित रहो तो वह तुम्हारे साथ मेलजोल करना चाहें।

अली नजफ़ी कहते हैं कि इन्सान ईश्वरीय गुणों का रूप हैं उसको उसी प्रकार जीवन व्यतीत करना चाहिए, अगर ईश्वर कृपालु है तो इन्सान को भी उदार होना चाहिए।

वह कहते हैं कि एक बार हज़रत मूसा (अ) ने ईश्वर से कहा कि हे ईश्वर अगर तू मेरे स्थान पर होता अगर तू इन्सान होता अगर तेरे साथ मेरे जैसी समस्याएं होती, अगर तुझको मेरे स्थान पर रख दिया जाता तो तू क्या करता?

ईश्वर ने उत्तर दिया अगर मैं तुम्हारे स्थान पर होता तो लोगों की सेवा करता।

ख़ुदा लोगों को नेमतें देता है उनके दुखों को दूर करता है उनकी परेशानियों को दूर करता है, अगर इन्सान ईश्वरीय गुणों वाला है तो उसको भी दूसरों की समस्याओं में उनका साथ देना चाहिए लोगों को परेशानियों से नजात दिलाना चाहिए।

यह बात सदैव याद रखनी चाहिए कि इन्सान एहसान का ग़ुलाम है, जो भी उसपर एहसान करेगा वह उसकी बात मानेगा, मोहब्बत दिलों को रिझाती है उनको माएल करती है।

इसी कारण एक हदीस में है कि तीन लोग ईश्वर के आसमान के नीचें हैं उनमें से एक लोगों की सहायता करने वाला है।

लोग तीन प्रकार के हैं

اَلنّاسُ ثَلاثَةٌ: عالِمٌ رَبّاني وَ مُتَعَلِّمٌ عَلي سَبيلِ نَجاةٍ وَ هَمَجٌ رَعاعٌ اَتْباعُ كُلِّ ناعِقٍ يَميلونَ مَعَ كُلِّ ريحٍ لَمْ يَسْتَضيئوا بِنورِ الْعِلْمِ فیهتدوا وَ لَمْ يَلْجَؤُوا اِلي رُكْنٍ وَثيقٍ فینجوا (2)

एक वह जो ख़ुदाई आलिम है दूसरा वह जो राहे नजात का विद्यार्थी है और और बाक़ी लोग मच्छरों की भाति हैं जो हर आवाज़ और पुकार के पीछे चल देते हैं और हर हवा से उड़ जाते हैं और यह लोग ज्ञान के प्रकाश के नीचे नहीं है कि हिदायत पा सकें और किसी मज़बूत स्तंभ का सहारा भी नहीं लेते हैं कि नजात पा सकें।

यह संसार एक कश्ती की भाति है पहली ख़ुदाई आलिम इस कश्ती को चलाने वाले हैं, विद्यार्थी इस कश्ती में यात्रा करने वाले हैं उनके अतिरिक्त जो भी हैं उनकी हैसियत मात्र मच्छर जैसी है जो हर हवा के झोंके पर इधर उधर उड़ते रहते हैं।

आलिमः ध्यान देने वाली बात यह है कि इमाम ने अपने कथन में केवल आलिम का शब्द प्रयोग नहीं किया है बल्कि कहा है कि ख़ुदाई आलिम यानी वह विद्वान जो हलाल और हराम को जानता हो, ज्ञान एक दुधारी तलवार की भाति हैं अगर यह ज्ञान ईश्वर के साथ हो तो वह लाभदायक हैं स्वंय इन्सान के लिए भी और दूसरों के लिए भी लेकिन अगर यहीं ज्ञान ईश्वर से हटकर हो तो दोनों के लिए विनाशकारी है, वरना एगर आधार केवल ज्ञान होता तो शैतान से बड़ा ज्ञानी कौन हो सकता है, वह शैतान जो अपने ज्ञान से फ़रिश्तों के बीच तक पहुंच गया था, लेकिन चूँकि यह ज्ञान ईश्वर से हटकर था इसलिए उसी शैतान को हमेशा के लिए ख़ुदा की लानत उठानी पड़ी।

अगर कोई इस संसार के लिए उपाधि के लिए इल्म हासिल करता है तो रिवायत में है कि वह इस्लाम को यज़ीद से अधिक हानि पहुंचाता है।

विद्यार्थीः सच्चा तालिबे इल्म या विद्यार्थी वह है जो हक़ के रास्ते पर चलने वाला अहलेबैत के आदेशों का अनुसरण करने वाला हो और वह लाभदायक ज्ञान प्राप्त करता हो और जो ऐसा होता है वही कामियाब होता है लेकिन जिसने अहलेबैत का रास्ता छोड़ दिया वह समस्याओं में गिरफ़्तार हो गया।

वह लोग जो ज्ञान नहीं रखतेः यह वह है जो हर हल्की सी हवा की लहर पर भी इधर उधर डोल जाता है इनके पास ज्ञान नहीं होता है जिसके माध्यम से वह सत्य और असत्य में अंतर कर सकें, और चूँकि यह किसी भी ज्ञानी के पास नहीं जाते हैं इसलिए यह हर एक की बात पर कान धरते हैं और उसके कहे अनुसार चलने लगते हैं, यानी हर बुलाने वाली की आवाज़ पर उत्तर देते हैं, लेकिन बाज़ वह है तो तेज़ आँधियों में भी उड़ता रहता है और अपने निशाने पर निगाहें गड़ाए रहता है,

यह सदैव याद रखना चाहिए कि यह संसार अंधकारमय हैं हमारा जीवन केवल एक बार का है, आज हमारे जीवन में समस्याएं इसलिए हैं कि हमने ज्ञान का दिया नहीं जलाया है और इसी लिए ठोकरें खा रहे हैं।

 وَمِنَ النَّاسِ مَن يَعْبُدُ اللَّـهَ عَلَىٰ حَرْ‌فٍ

कुछ लोगों का ख़ुदा केवल उनकी ज़बानों पर है। (3)

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1. नहजुल बलाग़ा, कलेमाते क़िसार 9

2. बिहारुल अनवार जिल्द 78, पेज 76

3. सूरा हज आयत 11

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