फ़ातेमा ज़हरा (स.) आयते "सिराते मुस्तक़ीम" में
अनुवादक़ः सक़ीना बानों अलवी
ख़ुदावंदे आलम क़ुरआन में फ़रमाता है
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ .صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ(1)
हमको सीधे रास्ते की हिदायत कर, जो उन लोगों का रास्ता है जिन पर तूने नेमत नाज़िल की है, उन लोगों का रास्ता नहीं जिन पर तूने अपना क्रोध नाज़िल किया है।
हमारे लेख की हेडिगं और इस आयत का अनुवाद देखने के बाद संभव है कि किसी के दिमाग़ में यह प्रश्न पैदा हो कि आख़िर इस आयत से हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) का क्या सम्बंध है?
तो परेशान होने की कोई बात नहीं है हम अभी बताते हैं कि इसका पैग़म्बर की बेटी और ग्यारह मासूमों की मा हज़रत फ़ातेमा ज़हरा से क्या सम्बंध है
1. ईश्वर ने इस आयत में सीधे रास्ते को बताया है और कहा है कि सीधा रास्ता वह रास्ता है कि जिस पर चलने वालों पर नेमतें नाज़िल की गई हैं और ख़ुदा ने लोगों के चाहा है कि उससे प्रार्थना करें कि वह भी सीधे रास्तें पर रहें ताकि उन पर भी उसकी नेमतें नाज़िल हों।
2. इसी क़ुरआन में एक दूसरी आयत है जिसमें उन लोगों का रास्ता जिन पर नेमतें नाज़िल की गई हैं को कुछ लोगों पर मुनतबिक़ किया गया है जैसे कहा गया है कि यह रास्ता सिद्दीक़ीन यानी सच्चों का रास्ता है। ईश्वर क़ुरआन में फ़रमाता है
وَمَن يُطِعِ اللَّـهَ وَالرَّسُولَ فَأُولَـٰئِكَ مَعَ الَّذِينَ أَنْعَمَ اللَّـهُ عَلَيْهِم مِّنَ النَّبِيِّينَ وَالصِّدِّيقِينَ وَالشُّهَدَاءِ وَالصَّالِحِينَ ۚ وَحَسُنَ أُولَـٰئِكَ رَفِيقًا(2)
और जो भी अल्लाह और उसके रसूल का अनुसरण करेगा वह उन लोगों के साथ होगा जिन पर ख़ुदा ने नेमतें नाज़िल की हैं अम्बिया सिद्दीक़ीन, शोहदा (शहीद होने वाले) साहेली हैं और यह बेहतरीन साथी हैं।
3. क़ुरआन में ईश्वर ने हज़रते मरयम के सिद्दीक़ा कहा है जैसा कि अल्लाह फ़रमाता है
وَأُمُّهُ صِدِّيقَةٌ(3)
और उनकी माँ सिद्दीक़ा थीं।
4. कुछ रिवायतों के अनुसार हज़रते फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा इस संसार की सबसे श्रेष्ठ चार औरतों कि जिनमें हज़रते मरयम (स) भी हैं से भी श्रेष्ठ हैं।
इन सारी चीज़ों को एक साथ रखने से यह नतीजा निकलता है कि हज़रते फ़ातेमा ज़हरा आयत में प्रयोग होने वाले शब्द सिद्दीक़ीन की एक मिस्दाक़ हैं कि जिन सिद्दीक़ीन के बारे में कहा गया है कि उनका रास्ता सीधा रास्ता है और लोगों को यह आदेश दिया गया है कि सब उनके रास्ते पर चलें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह उनके रास्ते पर सबको बनाए रखे।
अंत में हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे ईश्वर हमको मोहम्मद और आले मोहम्मद का चाहने वाला क़रार दे और हमको उनके रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ दे (आमीन)
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(1) सूरा फ़ातेहा आयत 6 और 7
(2) सूरा निसा आयत 69
(3) सूरा माएदा आयत 75
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