हज़रत उम्मुल बनीन को पहचानें
सकीना बानो अलवी
हज़रत उम्मुल बनीन हेज़ाम की बेटी थी और एक मोमिन, बहादुर और वीर महिला थी।
रिवायत में आया है कि अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा की शहादत के बाद अपने भाई अक़ील से जो कि अरब के नसबों और उनके जीवन को बहुत अच्छी तरह से जानते थे फ़रमायाः मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिए किसी ऐसी महिला को तलाश करें जो किसी बहादुर ख़ानदान की हो ताकि उससे एक वीर बच्चा पैदा हो।
हज़रते अक़ील ने फ़ातेमा कलाबिया (उम्मुल बनीन) को परिचय कराया और कहाः पूरे अरब में इनके ख़ानदान से अधिक बहादुर कोई दूसरा ख़ानदान नहीं है।
उसके बाद इमाम अली अलैहिस्सलाम ने उम्मुल बनीन से शादी की जिसके नतीजे में आपके यहां अब्बास जैसा बेटा पैदा हुआ और आपने अपने चारों बेटे अब्बास, जाफ़र, अब्दुल्लाह और उस्मान की ऐसी तरबियत की कि सब के सब अपने बड़े भाई हज़रत इमाम हुसैन के शैदाई हुए और सबने अपनी जान इमाम हुसैन पर क़ुर्बान कर दी।
हज़रत उम्मुल बनीन क़र्बला में नहीं थी लेकिन जब बशीर मदीन पहुंचा और उसने उम्मुल बनीन से भेंट की और चाहा कि आपको उनके चारों बेटों की शहादत की सूचना दे तो उम्मुल बनीन ने कहाः हे बशीर देर न कर मुझे केवल इतना बता कि मेरा बेटा हुसैन क्या हुआ?
बशीर कहता है कि हुसैन की तीन दिन का भूखा प्यासा क़त्ल कर दिया गया।
उम्मुल बनीन कहती हैं कि मैं यह बात नहीं मान सकती, कि मेरा बेटा अब्बास जीवित रहे और हुसैन शहीद कर दिए जाएं, हे बशीर अगर तेरी बात सच है तो मैं अब्बास का दूध न बख़्शूंगी।
बशीर कहता हैः ऐसा न कहिए जब हुसैन शहीद हुए तो उससे पहले ही अब्बास अपने दोनों शाने कटाकर दरिया के किनारे सो चुके थे।
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