म्यांमार के मुसलमानो पर गहराया नागरिकता संकट केवल एक पेन से नागरिकता छीनी जा रही है
रायटर्ज़ ने अपनी रिपोर्ट में लिखाः पिछले साल के अंत से म्यांमार सुरक्षा बलों ने इस देश के उत्तर पश्चिमी गांवों पर जहां रोहिंग्या मुसमान रहते हैं हमला करना शुरू किया जिसके बाद लगभाग 75000 मुसलमान सीमा पार करके बंग्लादेश चले गए, अब इनमें से अधिकतर मुसलमान को यह चिंता खाए जा रही है कि म्यांमार अधिकारी इस प्रवास को हमेशा का प्रवास बना दें।
साल में कम से कम एक बार स्थानीय अधिकारी उत्तरी राज्य राख़ीन आते हैं और मुसलमान परिवारों के सदस्यों का सरकारी लिस्ट में मौजूद नामों के साथ मिलान करते हैं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी मुसलमान लाइन में नहीं होता है उसके नाम के आगे लाल निशान लगा दिया जाता है।
म्यांमार सरकार का कहना है कि परिवारों संख्या की लिस्ट को रोहिंग्या सदस्यों को देश से निकालने के लिए प्रयोग नहीं करती है, और सरकार की तरफ़ से नई लिस्ट बनाने और उसकी समीक्षा को आगे बढ़ा दिया गया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों के नाम पर निशान लगा दिया गया है, उनको देश में वापसी करते समय प्रवासी क़ानून के तहत क़ानूनी प्रक्रिया से गुज़रना होगा।
परिवारों की यह गिनती म्यांमार के दूसरे क्षेत्रों में नहीं की जाती है, मानवाधिकार संगठन 1.1 मिलयन संख्या वाले रोहिंग्या के विरुद्ध इस क़दम को रंगभेद के बराबर मानते हैं।
मुसलमान समुदाय के एक लीडर ने नाम न छापने की शर्त पर बतायाः हम अपने पूरे परिवार के साथ एक फोटो लेने के लिए एक लाइन में खड़े होने पर विवश हैं, वह हमसे परिवार के सभी सदस्यों और जो उपस्थित नहीं हैं के बारे में प्रश्न करते हैं।
स्थानीय लोगों और अधिकारियों के अनुसार म्यांमार सरकार अपने इसी क़ानून को हथियार बनाकर, रोहिंग्या के मुसलमानों को ग़ैर क़ानूनी बताते हुए उनके घरों को ध्वस्त कर रही है।
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