इमाम ज़माना (अ.ज) के विशेष प्रतिनिधि हुसैन बिन रौह
इमाम ज़माना (अ.ज) के विशेष प्रतिनिधि हुसैन बिन रौह
हुसैन बिन रौह उन चार व्यक्तियों में से हैं जो इमामे ज़माना की गै़बते सुग़रा के ज़माने में आपके विशेष प्रतिनिधि थे जिनको हमलोग नव्वाबे ख़ास कहते हैं, इन लोगों का कार्य यह था कि यह लोग इमाम के आदेश से लोगों से शरई पैसों को इकठ्ठा करते थे, लोगों को अगर इमाम से कोई प्रश्न करना होता था तो इनके माध्मय से लोग प्रश्न किया करते थे और इमाम से अपने प्रश्नों का उत्तर पाया करते थे।
मुहम्मद बिन उस्मान की वफ़ात के बाद हज़रत इमाम जम़ाना अलैहिस्सलाम के आदेश से हज़रत हुसैन बिन रौह को यह महान उपाथि यानी इमाम का विशेष प्रतिनिधि बनना नसीब हुआ।
जाफ़र बिन मुहम्मद बिन उस्मान सईद का कहना है कि मेरे पिता मुहम्मद बिन उस्मान ने मेरे सामने जनाब हुसैन बिन रौह को अपने बाद इस उपाधि की ज़िम्मेदारी से सम्बंधित इमाम अलैहिस्सलाम का पैग़ाम पहुँचाया था।
जनाब हुसैन बिन रौह की कुन्नियत अबू क़ासिम थी। आप महल्ले नौ बख़्त के रहने वाले थे। आप गुप्त रूप से तमाम इस्लामी देशों का दौरा किया करते थे।
आप दोनों फ़िर्क़ों (शिया और सुन्नी) के नज़दीक मोतमिद, सिक़ा (जिसकी बातों पर विश्वास किया जा सकता हो) और सालेह (नेक) क़रार दिये गये हैं।
आपकी वफ़ात शाबान 326, हिजरी में हुई और आप महल्ले नौ बख़्त कूफ़े में दफ़न हुए।
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