हदीसे लानोवर्रिस (हम मीरास नहीं छोड़ते) की समीक्षा
हदीसे लानोवर्रिस (हम मीरास नहीं छोड़ते) की समीक्षा
जैसा कि हमने बताया है कि जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा से फ़िदक छीन लिया गया तो आपने उसको पैग़म्बर का दिया हुआ उपहार कहकर वापस मांगा और जब नहीं मिला तो आपने उसको पैग़म्बर की मीरास बताकर वापस मांगा, तो उसके उत्तर में पहले ख़लीफ़ा अबूबक्र ने कहा कि पैग़म्बर ने फ़रमाया है किः हम अंबिया मीरास नहीं छोड़ते हैं जो छोड़ते हैं वह सदक़ा है।
प्रिय पाठकों आज के लेख में हम इसी हदीस के बारे में छानबीन और और इसकी समीक्षा करेंगे।
अगर हम और आप देखें तो यह हदीस जिसको पहले ख़लीफ़ा ने फ़ातेमा ज़हरा के फ़िदक को वापस न देने के लिए तर्क बनाया है उसपर कई प्रकार की आपत्तिया दिखाई देती हैं और इस हदीस में कई प्रकार की त्रुटियां हैं जो इस हदीस को संदिग्ध बनाती हैं।
1. पहली बात तो यह है कि अगर पैग़म्बर को यह बात फ़रमाना होती कि हम मीरास नहीं छोड़ते हैं तो वह किस से यह बात कहते, क्या वह अबूबक्र जैसे व्यक्ति से यह बात कहते जिसको वास्तव में उनकी मीरास से कोई लेनादेना नहीं है, या हज़रत फ़ातेमा, अब्बास...आदि से फ़रमाते जिनको आपनी मीरास मिलनी है?
अक़्ल तो यही बात कहती है कि अगर आपको यह कहना था तो आपको अब्बास और फ़ातेमा से कहना चाहिए था ना कि अबूबक्र से, लेकिन इस हदीस में हमको दिखाई इसके उलट देता है कि आपने अबूबक्र से तो यह फ़रमा दिया कि हम मीरास नहीं छोड़ते हैं लेकिन फ़ातेमा और अब्बास से इस बारे में कुछ नहीं कहा!!
2. दूसरी बात यह है कि इस हदीस के बारे में स्वंय सुन्नी विद्वानों ने कहा है कि इस हदीस को केवल अबूबक्र ने नक़्ल किया है, और किसी दूसरे सहाबी ने इस हदीस को बयान नहीं किया है।
अब प्रश्न यह है कि यह कैसे सम्भव है कि जिस मदीने में पैग़म्बर के हज़ारों सहाबी हों वहा पर एक हदीस को केवल एक ही सहाबी सुने और किसी दूसरे सहाबी को इस हदीस के बारे में पता भी न हो, सहाबी तो दूर की बात स्वंय पैग़म्बर की बेटी को इस हदीस की जानकारी न हो?!!!
और इससे अधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि पैग़म्बर ने अपनी मीरास के बारे में तो बारीक से बारीक चीज़ फ़रमा दी लेकिन दीन के बारे में, हुकूमत के बारे में अपने बाद होने वाले ख़लीफ़ा के बारे में कुछ भी नहीं फ़रमाया, कमाल की बात है!!!
एक चरवाहा भी अगर अपनी भेड़ों को छोड़ कर कहीं जाता है तो किसी दूसरे व्यक्ति को अपने स्थान पर उनकी देखभाल करने के लिए छोड़ कर जाता है, लेकिन पैग़म्बर जिन्होंने इस्लाम को पूरे संसार में फैलाने का बीड़ा उठाया था, उन्होंने अपने बाद में आने वाले ख़लीफ़ा के बारे में कुछ भी नहीं फ़रमाया!!!
3. तीसरी बात यह है कि यह हदीस जिसको पहले ख़लीफ़ा पैग़म्बर की बता रहे हैं वह क़ुरआन के विरुद्ध है सूरा नम्ल की आयत 16 में क़ुरआन स्पष्ट शब्दों में फ़रमा रहा है कि हज़रत सुलैमान हज़रत दाऊद (जो कि दोनों नबी हैं) के वारिस हुए और उनसे मीरास पाई
وَوَرِثَ سُلَيْمَانُ دَاوُودَ
इसी प्रकार सूरा मरयम की आयत 4 और 5 में हज़रते ज़करिया अपनी मीरास के बारे में फ़रमा रहे हैं कि कोई हो जो उनसे मीरास पाए।
وَإِنِّي خِفْتُ الْمَوَالِيَ مِن وَرَائِي وَكَانَتِ امْرَأَتِي عَاقِرًا فَهَبْ لِي مِن لَّدُنكَ وَلِيًّا ﴿٥﴾ يَرِثُنِي وَيَرِثُ مِنْ آلِ يَعْقُوبَ
अब प्रश्न यह है कि क्या इन नबियों को यह पता नहीं था कि नबी मीरास नहीं छोड़ते हैं? या फिर यह नबीं ईश्वर के आदेशों की अवहेलना कर रहे थे?
एक तरफ़ तो क़ुरआन यह कह रहा है कि नबी मीरास छोड़ते हैं और दूसरी तरफ़ पहले ख़लीफ़ा यह कह रहे हैं कि पैग़म्बर ने फ़रमाया है कि नबी मीरास नहीं छोड़ते हैं!!!
अब हम क़ुरआन की बात मानें या पहले ख़लीफ़ा की????
4. चौथी बात यह है कि यह हदीस स्वंय अबूबक्र की एक हदीस के विरुद्ध है।
जब हज़रत फ़ातेमा ने अबू बक्र से पूछाः
انت ورثت رسول الله ام اهله؟
रसूल की मीरास तुम पाओगे या उनके परिवार वाले
तब पहले ख़लीफ़ा ने यह नहीं कहा कि नबी मीरास नहीं छोड़ते हैं बल्कि आपने कहाः
بل اهله
उनके परिवार वाले।
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