इस्लामिक लोकतंत्र 2
इस्लामिक लोकतंत्र 2
विश्व की अन्य क्रान्तियों की तुलना में ईरान की इस्लामी कान्ति की एक अतुल्य विशेषता धार्मिक लोकतांत्रिक नेतृत्व है। अत्याचारी शाही शासन के विरुद्ध ईरानी जनता के संघर्ष में सभी वर्गों की सम्मिलिति का एक मूल कारक इमाम ख़ुमैनी का अनुदाहरणीय नेतृत्व था। इमाम ख़ुमैनी के उत्तराधिकारी और इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता इस बारे में कहते हैं कि दुनिया में कहीं भी ईरान की इस्लामी क्रान्ति ख़ुमैनी नाम के बग़ैर पहचानी नहीं जाती। इमाम ख़ुमैनी ने वरिष्ठ धर्मगुरू के रूप में क्रान्ति का धार्मिक नेतृत्व संभाला। इमाम ख़ुमैनी धार्मिक व इस्लामी नेता थे और ईरान की जनता की इस्लाम, पैग़म्बरे इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम के परिवार से श्रद्धा बहुत गहरी और पुरानी है। इसी लिए ईरानी जनता को एसा लगा कि अत्याचार, अन्याय और भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठ खड़े होने का इमाम ख़ुमैनी का निमंत्रण और उनका प्रोत्साहन वास्तव में क़ुरआन, पैग़म्बरे इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम के परिवार की ओर से निमंत्रण है जो इस महान धर्मगुरू की ज़बान से सुनाई दिया है। वरना यदि यह स्थिति न होती तो ईरान में इतनी बड़ी क्रान्ति नहीं आ सकती है। अत्याचारी शाही शासन के विरुद्ध जनता को संगठित करने में इमाम ख़ुमैनी की शानदार सफलता का रहस्य यह था कि उन्होंने अपने संघर्ष को इस्लामी शिक्षाओं की छत्रछाया में और इन्हीं शिक्षाओं के दायरे में आगे बढ़ाया। इमाम ख़ुमैनी ने अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष किया किंतु अपने इस संघर्ष को इस्लामी शिक्षाओं के दायरे से कभी बाहर नहीं जाने दिया। इमाम ख़ुमैनी ने यह विचार पेश किया कि किसी भी मुसलमान को अत्याचार की चक्की में नहीं पिसना चाहिए, उसे अपमानित होकर नहीं रहना चाहिए, उसे घुटन के वातावरण पर चुप नहीं रहना चाहिए, मोमिन इंसान को नास्तिकों के वर्चस्व और उनकी गुलामी पर मौन धारण नहीं करना चाहिए बल्कि मुसलमान को अत्याचार, अन्याय, साम्राज्यवाद तथा वर्चस्ववाद के विरुद्ध संघर्ष करना चाहिए। इमामा ख़ुमैनी ने विश्व की बहुत बड़ी क्रान्ति का नेतृत्व करके और उसे सफलता तक पहुंचाकर धर्म और राजनीति के बीच विरोधाभास के विचार को ग़लत सिद्ध कर दिया।
स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी क्रान्ति की नींव डालने के लिए पहला क़दम धार्मिक शिक्षा केन्द्र में उठाया तथा समाज के संचालन में इस्लाम की भूमिका के बारे में भाषणों तथा शैक्षिक बहसों के माध्यम से पूरे समाज में इन बहसों को आम किया। देश के कोने कोने में मस्जिदों और इमाम बाड़ों के तंत्र के माध्यम से इमाम ख़ुमैनी के भाषणों के कैसेट और उनके निर्देशों के पम्फ़लेट वितरित होते थे। इन विचारों और निर्देशों ने जनता और धार्मिक नेता के बीच गहरा संबंध स्थापित कर दिया। इस प्रकार की गतिविधियां जो स्तर तथा फैलाव की दृष्टि से अपने आप में अद्वितीय थीं लगभग चौदह साल का समय बीत जाने के बाद फलदायक सिद्ध हुईं। पहले तो लोगों ने कुछ बड़े शहरों में और फिर देश के सभी शहरों में इमाम ख़ुमैनी की तस्वीरें तथा उनके निर्देशों के प्लेकार्ड हाथें में उठाए हुए प्रदर्शन किए और रैलिया निकालीं तथा पहलवी शासन तथा इस शासन के मुख्य समर्थक अमरीका का जमकर विरोध किया। इस प्रकार आंदोलन ने इमाम ख़ुमैनी की आवाज़ पर अपनी आवाज़ उठाई। पूरी प्रक्रिया में और सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और योजनाओं में नेतृत्व आंदोलन के लक्ष्यों और उमंगों को पूरा करने में बहुत प्रभावी होता है। शाही व्यवस्था के पतन और उसके स्थान पर धार्मिक लोकतंत्र पर आधारित शासन व्यवस्था की स्थापना तथा इस्लाम का पुनरजीवन एसी सच्चाई है जो किसी से छिपी नहीं है और विशेषज्ञों के विचार में इसका बहुत अधिक महत्व है। अतः जब हम ईरान की इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक के रूप में इमाम ख़ुमैनी के व्यक्तित्व की समीक्षा करते हैं तो इस विषय का उल्लेख करना आवश्यक हो जाता है कि वे बहुत बहादुर, दूरदर्शी, गहरे विचारों वाले और वैश्विक मामलों और समीकरणों की पूरी जानकारी रखने वाले इंसान थे। उन्होंने अदभुत और अनछुए तरीक़ों से समकालीन युग की सबसे बड़ी क्रान्ति को सफलता के चरण तक पहुंचाया। क्रान्ति की इस ज्वाला में इमाम ख़ुमैनी की हस्ती इतिहास रच देने वाले व्यक्तित्व के रूप में दमकती दिखाई देती है। पूर्वी मामलों की एक जर्मन संस्था के प्रमुख युडो स्टेनबैच इमाम खुमैनी के व्यक्तित्व के बारे में कहते हैं कि इमाम ख़ुमैनी विश्व के सबसे अधिक राजनैतिक सूझबूझ रखने वाले आध्यात्मिक नेता थे, उनका व्यक्तित्व चमत्कारिक और अति रोचक है। इस्लामी लोकतंत्र की सारी उमंगें उन्हीं के विचारों से उत्प्रेरित हैं।
महान इस्लामी विचारक शहीद मुर्तज़ा मुतह्हरी ने इस्लामी क्रान्ति के बारे में शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली अपनी पुस्तक में लिखा है कि मैंने इमाम ख़ुमैनी के व्यक्तित्व में तीन बातों पर गहरा ईमान देखा जिसके चलते इमाम खुमैनी के बारे में मेरी आस्था और बढ़ गई। लक्ष्य पर पूर्ण विश्वास, अर्थात यदि उन्होंने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया है तो फिर सारी दुनिया यदि उनका विरोध करे वे अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हट सकते थे। जनता पर ईमान, अर्थात जनता की भावना और जनता की शक्ति पर विश्वास और सबसे बढ़कर ईश्वर पर ईमान और भरोसा था। इस आधार पर इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी आंदोलन के जनक और इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था के वास्तुकार की हैसियत से बेहतरीन ढंग से नेतृत्व किया। समकालीन युग में सैयद जमालुद्दीन असदाबादी, सैयद क़ुतुब और हसन अलबन्ना जैसे विचारकों ने प्रयास किया कि मुसलमानों को नींद से जगाएं। किंतु कोई भी सुधारक अपने लक्ष्यों को व्यवहारिक बनाने के लिए अनुकूल स्थान और परिस्थितियों का बंदोबस्त नहीं कर सका अतः इतिहास में उनका नाम केवल एक सुधारक के रूप में लिखा गया। किंतु इमाम ख़ुमैनी का आंदोलन सीमाओं को पार कर गया और इस आंदोलन ने पूरे विश्व तथा विशेष रूप से इस्लामी जगत को प्रभावित किया। इस्लामी जगत और मुस्लिम समुदाय को जगाने में इमाम ख़ुमैनी की मूल भूमिका का कोई इंकार नहीं कर सकता। दूसरे शब्दों में यह कहना चाहिए कि इमाम खुमैनी विश्व में महान इस्लामी आंदोलन के ध्वजवाहक हैं। इंटरनेशन रिलेशन्स के शिक्षक प्रोफ़ेसर हमीद मौलाना इमाम ख़ुमैनी के इस गहरे प्रभाव के कारकों को रेखांकित करते हुए कहते हैं, हालिया शताब्दियों के दौरान पश्चिमी जगत में और इस्लाम के आरंभिक काल के बाद पूरे इस्लामी जगत में कोई हस्ती एसी नहीं दिखाई देती जिसने इमाम ख़ुमैनी की भांति अपने आंदोलन, विचारों, क्रियाकलापों तथा शिक्षाओं का विश्व स्तर पर गहरा प्रभाव छोड़ा हो। इमाम ख़ुमैनी ने अपनी अद्वितीय विशेषताओं से एक नयी ज्योति जगाई। वे किसी भी सांसारिक शक्ति से नहीं डरते थे किंतु इसके साथ ही बहुत ही सादा जीवन व्यतीत करते थे, अति शिष्टाचारी और पवित्र इंसान थे। उन्होंने विश्व स्तर पर शक्ति के मापदंड को बदल दिया तथा शक्ति के विदित वैभव को महत्वहीन बताया। इमाम खुमैनी की लोकप्रियता अंतर्राष्ट्रीय थी। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई हमेशा इमाम खुमैनी के नेतृत्व और दूरदर्शिता के बारे में बात करते हैं और उनके क्रियाकलापों का वैभव बयान करते हुए कहते हैं कि वे एक सच्चे मुसलमान का नमूना तथा वास्तविक इस्लामी नेता थे। उन्होंने विश्व में कुरआन की पताका लहराई और इस्लाम को नया वैभव दिलाया। एसे काल में जब सभी शक्तियां धर्म, अध्यात्म और नैतिक मूल्यों को अलग थलग कर देने के प्रयास में थीं इमाम ख़ुमैनी ने धर्म, अध्यात्म और नैतिक मूल्यों के आधार पर शासन व्यवस्था की नींव डाली तथा इस्लामी सरकार व राजनीति का नमूना पेश किया। उन्होंने दस साल तक अति भयानक व निर्णायक तूफ़ानों में भी इस्लामी गणतंत्र का प्रभुत्वशाली ढंग से नेतृत्व किया, उसकी रक्षा की और उसे आगे बढ़ाते हुए संतोषजनक बिंदु तक पहुंचाया। इमाम खुमैनी का दस वर्षीय नेतृत्व ईरान की जनता और सभी वर्गों के लिए कभी न भुलाई जाने वाली यादगार और बड़ी मूल्यवान पूंजी है।
इस समय जब हम ईरान की इस्लामी क्रान्ति के उतार चढ़ाव से भरे इतिहास को देखते हैं तो हमें यह वास्तविकता समझ में आती है कि यह क्रान्ति एतिहासिक आवश्यक और अपरिहार्य बदलाव बन चुकी थी जो समकालीन युग में न्यायप्रेम का प्रतीक बनी। भौतिकवाद और सांसरिक मामलों में डूबे हुए युग में कुछ निडर और ईश्वर पर गहरी आस्था रखने वाले लोग दूरदर्शी और विस्तृत दृष्टिकोण के स्वामी नेता की अगुवाई में, धर्म की सहायता से उठ खड़े हुए तथा संसार पर सत्य और अध्यात्म का प्रकाश फैलाया। ईरान की इस्लामी क्रान्ति ने धर्म की उपयोगिता औ गुणवत्ता को प्रमाणित किया तथा मानव समाज के सामने न्याय और अध्यात्म पर आधारित जीवन का व्यवहारिक उदाहरण पेश किया। स्पेन के बुद्धिजीवी प्रोफ़ेसर इस्माईल कैलबस के कथनानुसार अब धर्म जीवित हो गया है, दैनिक जीवन में अध्यात्म के आकर्षण प्रतिबंबित होने लगे हैं और संसार अपने सामाजिक संबंधों को सुंदर रूप में ढालने के लिए धर्म की शक्ति और आध्यात्मिक आकर्षणों की ओर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहा है। यह प्रक्रिया इमाम खुमैनी के निमंत्रण से तथा उनकी धार्मिक क्रान्ति से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के स्तर पर आरंभ हुई।
इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद के युग के लिए भी पहले ही योजनाबंदी कर ली थी। कम्युनिस्टों के विपरीत इमाम खुमैनी का मानना था कि धर्म केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है। उनका मानना था कि इस्लाम ने जिस प्रकार मुनष्य के अति व्यक्तिगत मामलों के लिए भी नियम निर्धारित किए हैं उसने समाज के संचालन की शैली और विधि का भी निर्धारण किया है। वेलायते फ़क़ीह का इमाम ख़ुमैनी का विचार इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद धार्मिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना पर केन्द्रित था। श्रोताओ अगले कार्यक्रम में भी हम इसी बारे में बात करेंगे।
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