दुआ ए अहद

दुआ ए अहद

कुछ लोग यह समझते हैं कि हमारा ग़ैबत के युग में होना हमारे भाग्य का अच्छा ना होना है, जब्कि वास्तविक्ता ठीक इसके उलट है, जो लोग ग़ैबत के युग में जी रहे हैं उनके पास एक तौफ़ीक़ है जो बाद वाले लोगों के पास ना होगी। कौन सी तौफ़ीक?
दो बार जीने की तौफ़ीक़, एक जीवन यह कि अपने मौला की याद में सांस लें उनकी याद में दिल धड़के उनकी याद में कार्य करें, उनकी याद में शादी विवाह करें.... और उसके बाद या तो वह मर जाएं या फ़िर आपनी तमन्ना यानी इमाम के ज़ोहूर के देख लें।

और अगर वह मर जाएं तो चूँकि उनकी दिली तमन्ना यह थी कि काश हम भी मौला के साथ होते, तो ख़ुदा उनकी प्रार्थना को स्वीकार करेगा और इमाम के ज़ोहूर के बाद उनको दूसरा जीवन दिया जाएगा। क्योंकि हमारा अक़ीद है रजअत यानी पलट कर आने पर, और ईश्वरीय नबी हज़रत ईसा ने इस संसार में ऐसा कर के भी दिखाया है कि वह इसी संसार में रहते हुए लोगों को जीवित किया करते थे तो अगर ईसा मुर्दों को जीवित कर सकते हैं तो वह ईश्वर जो ईसा को पैदा करने वाला है वह कैसे ऐसा नहीं कर सकता है।

और हमारे इमाम के ज़ोहूर के समय यह ईसा भी पलटकर आएंगे और हमारे इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ेंगे।

तो वह मोमिन इन्सान जिसका पूरा जीवन इसी में बीता हो, वह सदैव यही चाहता हो कि किसी प्रकार अपने ज़माने के इमाम से मिल जाए, वह मोमिन जिसकी निगाहों में हर दिन आशूरा और हर ज़मीन कर्बला हो, वह कर्बला जिसमें हुसैन दस मोहर्रम को आवाज़ दे रहे थे कि कोई हैं जो मेरी मदद करे, और आज इसी हुसैन का बेटा, हुसैन के ख़ून का इन्तेक़ाम लेने वाला हमारा इमाम आवाज़ दे रहा है कि कोई है जो मेरी सहायता करे। और यह मोमिन इन्सान अपने जीवन के हर क्षण में इस आवाज़ का उत्तर दे रहा है और लब्बैक कह रहा है।

तो ईश्वर के पास यह शक्ति है कि वह उसको जो सदैव इमाम के साथ होने की इच्छा रखता था अगर मर गया होगा तो उसको उसकी क़ब्र से उठाएगा और कहेगा।

तू जो यह कहता था कि मैं अपने मौला को देखना चाहता हूँ

तू जो यह कहता था कि में अपने मौला की सहायता करूंगा

जाओं और मदद करो।

जो लोग अपने मौला की प्रतीक्षा में उनके इश्क में जीवित हैं उनकी आत्मा की यही पुकार हैः जहा भी हमारा मौला है वहा हमारी जन्नत है अगर हमारा मौला ज़मीन पर है तो हमारी जन्नत वहीं है, यह लोग बर्ज़ख़ की जन्नत से भागकर दुनिया की जन्नत में आ जाएंगे क्योंकि उनका मौला वहां है।

इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः जो भी चालीस सुबह इस दुआ को पढ़े वह इमाम ज़माना की सहायता करने वालों में से होगा और अगर आपके ज़ोहूर से पहले मर जाए तो ईश्वर उसको क़ब्र से बाहर लाएगा ।

और इस दुआ के लिए जो सवाब बताया गया है वह यह है कि हर शब्द के बदले ईश्वर उसको एक हज़ार नेकियां देगा, हज़ार पाप मिटा देगा, और हज़ार करामत उसके देगा।

यह एक दुआ है लेकिन इसमें हमारे विश्वासों के मज़बूत स्तंभ हैं

हे ईश्वर हम तेरा धन्यवाद करते हैं, अगर मूसा अपनी क़ौम बनी इस्राईल से केवल चालीस दिनों के लिए बाहर चले गए तो वह केवल इतने दिनों में गाय की पूजा करने लगे और तुझे भूल गए

हमारा मौला कई हज़ार साल हो गए हैं हमारे बीच में नहीं है लेकिन उसकी कृपा भरी द्रष्टि ने हमको बचा रखा है कि हम आज भी तेरे दीन पर हैं और तुझ पर विश्वास रखते हैं।

यह दुआ क्या कह रही है

मैं चाहता हूँ कि सौगंध खाऊं, ईश्वर से अहद करूँ।

कौन सी सौगंध कौन सा अहद?

वह सौगंध और वह अहद जिसे ईश्वर ने आलमे ज़र में हमसे लिया था

ख़ुदा पर अक़ीर रखें उसके नबी और बारह इमामों पर विश्वास रखें चौदह मासूमों पर विश्वास रखें, यह धर्म का स्तंभ हैं।

इमाम रज़ा ने फ़रमायाः

ला इलाहा इल्ललाह शब्द हमारा क़िला है और जो इस क़िले में प्रवेश कर गया वह ईश्वरीय अज़ाब से बच गया।

हे ईश्वर हम उस सौगंध और अहद को दोबार करना चाहते हैं

 

दुआ

بسم الله الرحمن الرحيم

आरम्भ करता हूं अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालू और रहम करने वाला है

اَللّٰھُمَّ رَبَّ النُّورِ الْعَظِیمِ وَرَبَّ الْکُرْسِیِّ الرَّفِیعِ وَرَبَّ الْبَحْرِ الْمَسْجُورِ وَمُنْزِلَ التَّوْراةِ وَالْاِنْجِیلِ وَالزَّبُور

 हे ईश्वर, हे महान नूर के परवरदिगार, हे बुलंद कुर्सी के परवरदिगार हे ठाठें मारते समुन्दर के परवरदिगार और हे तौरैत और इंजील और ज़बूर  के नाज़िल करने वाले

 وَرَبَّ الظِّلِّ وَالْحَرُورِ وَمُنْزِلَ الْقُرْآنِ الْعَظِیمِ وَرَبَّ الْمَلائِکَةِ الْمُقَرَّبِینَ وَالْاََنْبِیاءِ وَ الْمُرْسَلِینَ

 और हे साया और धुप के परवरदिगार, (आज हम अपने साये को कितने हलके में लेते हैं और कभी उसके बारे में सोंचते भी नहीं है लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि जिस प्रकार इस ईश्वर ने प्रकाश को पैदा किया है उसकी प्रकार साये का पैदा करने वाला भी वही है) हे पवित्र क़ुरआन के नाज़िल करने वाले, हे मुक़र्रब फरिश्त्तों और भेजे गए नबियों और रसूलों के ईश्वर

اَللّٰھُمَّ إِنِّی أَسْأَلُکَ بِاسْمِکَ الْکَرِیمِ وَبِنُورِ وَجْھِکَ الْمُنِیرِ وَمُلْکِکَ الْقَدِیمِ یَا حَیُّ یَا قَیُّومُ

हे ईश्वर मै सवाल करता हूँ तेरे पवित्र अस्तित्व के वास्ते से तेरे प्रकाशमी चेहरे के नूर के वास्ते से और तेरे सदैव रहने वाली बादशाही के वास्ते से हे वह जो जीवित है और सदैव से है

(ख़ुदा के पास शरीऱ नहीं है उसके हाथ पैर नहीं है उसकी कोई सूरत नहीं है, लेकिन ख़ुदा ने कुछ ऐसी हस्तियां पैदा की हैं जिनकी तरफ़ देखना इन्सान को ख़ुदा की याद दिलाता है, अगर उस हाथ में अपना हाथ दिया तो ऐसा ही है कि ख़ुदा के हाथ में अपना हाथ दिया, अगर उस चेहरे पर नज़र डाली तो ऐसा ही है कि ईश्वर के चेहरे के देखा, यानी ख़ुदा ने अपने ज्ञान और शक्ति को इस चीज़ में डाल दिया है अब तुम अगर ईश्वर के ज्ञान और शक्ति को देखना चाहते हो तो इस हस्ति को देखो।

ज़लैख़ा ने जब पैग़म्बर के गुणों के बारे में सुना, फिस उसकी निगाह में यूसुफ़ की कोई अहमियत नहीं रह गई, फिर यूसुफ़ को आदेश दिया गया, है यूसुफ़ अब तुम इस ज़लैख़ा से शादी करो।

है ईश्वर जब वह जवान थी मैं उससे दूर रहा अब जब्कि वह बूढ़ी हो गई है तो उससे शादी का आदेश दे रहा है?

हां। क्योंकि मेरे पैग़म्बर की मोहब्बत उसके दिल में पैदा हो गई है।

प्रकाशमयी चेहरा यानी वह चेहरा जिससे प्रकाश बाहर आता है, हज़रत ज़हरा के बारे में है कि जब आप इबादत के लिए खड़ी होती थीं तो आपके चेहरे से एक प्रकाश निकलता था।)

 أَسْأَلُکَ بِاسْمِکَ الَّذِی أَشْرَقَتْ بِہِ السَّمٰوَاتُ وَالْاََرَضُونَ وَبِاسْمِکَ الَّذِی یَصْلَحُ بِہِ الْاََوَّلُون وَالْاَخِرُونََ

मै तुझ से सवाल करता हूँ तेरे नाम के वास्ते से जिस से चमक रहे हैं सारे आसमान और सारी ज़मीनें, और तेरे नाम के वास्ते से जिस से अव्वलीन व आखेरीन ने भलाई पाई,

 یَا حَیّاً قَبْلَ کُلِّ حَیٍّ وَیَا حَیّاً بَعْدَ کُلِّ حَیٍّ وَیَا حَیّاً حِینَ لاَ حَیَّ

  हे वह जो हर चीज़ से पहले जीवित है और हे वह जो हर चीज़ के बाद भी जीवित रहेगा और हे वह जो उस समय भी जीवित था जब कोई जीवित नहीं था

یَا مُحْیِیَ الْمَوْتیٰ وَمُمِیتَ الْاََحْیاءِ یَا حَیُّ لاَ إِلہَ إِلاَّ أَنْتَ۔ اَللّٰھُمَّ بَلِّغْ مَوْلانَا الْاِمامَ الْہادِیَ الْمَھْدِیَّ الْقائِمَ بِأَمْرِکَ صَلَواتُ اللهِ عَلَیْہِ وَعَلَی آبائِہِ الطَّاھِرِینَ عَنْ جَمِیعِ الْمُؤْمِنِینَ وَالْمُؤْمِناتِ فِی مَشارِق ِالْاَرْضِ وَمَغارِبِہا

और हे मुर्दों को जिंदा करने वाले, और जीवितों को मारने वाले, हे वह जो जीवित है जिसके अतिरिक्त कोई ईश्वर नहीं है, हे ईश्वर पहुंचा दे

(फिर दुआ करने वाला कहता है हे ईश्वर हमारी तरफ़ से पहुंचा दे और पहुंचा दे हमारी बहुत अधिक अक़ीदतों को, कि हे मौला हम आप को ना देख सके आपके प्रकाशमयी चेहरे पर निगाह ना डाल सके आप को सलाम ना कर सके, लेकिन हे ईश्वर हमारे मौला, हमारे इमाम, हमारे पीशवा और मार्गदर्शक, हमारे सरदार, जो हमको आज़ाद कर सकता है, जो मेरा दोस्त है, मेरा साथी है, जो मेरा सरपरस्त है, जो हमारा इमाम है उस तक हमारी अक़ीदत को पहुंचा दे)

मेरी तरफ़ से मेरे मौला, मेरे इमाम जो मार्गदर्शक हैं हो महदी है जो क़ाएम हैं, (जो खड़ा है जो तेरे अम्र की प्रतीक्षा कर रहा है। इमामे ज़माना इमाम हुसैन (अ) की शहादत से पहले से तैय्यार हैं खड़े हैं नूरी दुनिया में) इन पर और इनके पवित्र पूर्वजों पर खुदाई रहमतें हों और तमाम मोमिन मर्दों और मोमिना औरतों की तरफ से (अगर कोई इन्सान कोई मुस्तहेब कार्य किसी की तरफ़ से अंजाम दे तो इसके सवाब में कोई कमी नहीं होगी और इसकी नियत के कारण इसका सवाब दूसरों तक भी पहुंच जाएगा) जो ज़मीन के पूर्वों और पश्चिमों में हैं

इस दुआ में कहा जा रहा है मुर्दों के जीवित करने वाले ईश्वर

यह दुआ कौन सी दुआ यह? यह दुआ वह दुआ है हम इसको पढ़ते हैं कि इसी दुनिया में दोबार जीवित हों इसीलिए आवश्यक है कि ईश्वर को हय्य (वह जो जीवित है) के नाम  से पुकारें, और क्या ऐसा हुआ है?

हां हुआ हैं।

कहां?

शहीद के बार में।

क्या शहीद जीवित नहीं है?

निःसंदेह वह जीवित है। क़ुरआन फ़रमाता है शहीद के मरा हुआ गुमान भी ना करों बल्कि वह जीवित है और अपने रब के पास से रोज़ी पा रहा है

यह ऐसा ही है कि हम ईश्वर से कह रहें है कि हे ईश्वर जब मेरा मौला ज़ोहूर कर ले जब वह प्रकट हो जाए और मैं मरा हुआ हूं तो मेरी आत्मा को मेरे शरीर में पलटा दे और मुझे जीवित कर दे।

 سَھْلِہا وَجَبَلِہا وَبَرِّہا وَبَحْرِہا وَعَنِّی وَعَنْ وَالِدَیَّ مِنَ الصَّلَواتِ زِنَةَ عَرْشِ اللهِ

 मैदानों और पहाड़ों और सूखे और समुन्दरों में मेरी तरफ से मेरे माता पिता की तरफ से बहुत दरूद पहुंचा दे जो अर्श के वज़न के बराबर हो (यह आसमान का वज़न क्या है यह पूरी स्रष्टि हैं जो ख़ुदा का अर्श है यानी इस पूरी स्रष्टि के बराबर सलवात भेज दे)

 وَمِدادَ کَلِماتِہِ وَمَا أَحْصاھُ عِلْمُہُ وَأَحاطَ بِہِ کِتابُہُ۔ اَللّٰھُمَّ إِنِّی أُجَدِّدُ لَہُ فِی صَبِیحَةِ یَوْمِی ہذَا

और उसके कलमात की  रोशनाई के और जो चीज़ें इसके इल्म में हैं (ईश्वर का ज्ञान कितना है? ईश्वरीय स्रष्टि कि किताब कितनी बड़ी है? यह सबकुछ जितनी है उतनी ही मोहम्मद और आले मोहम्मद पर सलवात भेज, क्यों? क्योंकि

अमीरिल मोमिनीन (अ) फ़रमाते हैं

مَا رَأَيْتُ شَيْئًا إلَّا رَأَيْتُ اللَهَ قَبْلَهُ وَ مَعَهُ وَ بَعْدَهُ

ईश्वर ने इस पूरी स्रष्टि को घेर रखा है, और इसी महान ईश्वर ने एक ऐसी चीज़ पैदा की है जो सारे ईश्वरीय गुण रखती है।

क़ुरआन में आया है

و کل شیء احصیناہ فی امام مبین

और इस की किताब में दर्ज हैं हे ईश्वर मैं ताज़ा करता हूँ (अपनी बैअत को) इन के लिए आज के दिन की सुबह को और जब तक जिंदा हूं

وَمَا عِشْتُ مِنْ أَیَّامِی عَھْداً وَعَقْداً وَبَیْعَةً لَہُ فِی عُنُقِی لاَ أَحُولُ عَنْہ وَلاَ أَزُولُ أَبَداً اَللّٰھُمَّ

बाक़ी है यह पैमान यह बंधन और इनकी बैअत जो मेरी गर्दन पर है न इस से तोड़ूंगा न कभी तर्क करूंगा हे ईश्वर

 اجْعَلْنِی مِنْ أَنْصارِھِ وَأَعْوانِہِ وَالذَّابِّینَ عَنْہُ والْمُسارِعِینَ إِلَیْہِ فِی قَضاءِ حَوَائِجِہِ وَالْمُمْتَثِلِینَ

 मुझे इन के सहायकों इन के साथियों और इन की सुरक्षा वालों करार दे मैं इच्छा पूरी होने के लिए इन की तरफ बढ़ने वालों

 لاََِوامِرِھِ وَالْمُحامِینَ عَنْہُ وَالسَّابِقِینَ إِلی إِرادَتِہِ وَالْمُسْتَشْھَدِینَ بَیْنَ یَدَیْہِ۔

इनके अहकाम पर अमल करने वालों इनकी तरफ से दावत देने वालों इनके इरादों को जल्द पूरा करने वालों और इनके सामने शहीद होने वालों में करार दे

اَللّٰھُمَّ إِنْ حالَ بَیْنِی وَبَیْنَہُ الْمَوْتُ الَّذِی جَعَلْتَہُ عَلَی عِبادِکَ حَتْماً مَقْضِیّاً فَأَخْرِجْنِی مِنْ قَبْرِی مُؤْتَزِراً کَفَنِی شاھِراً

हे ईश्वर अगर मेरे और मेरे इमाम (अ) के बीच मौत रुकावट बन जाए जिसे तूने अपने बंदों एक अटल फैसला बना दिया है तो फिर मुझे क़ब्र से इस हालत में बाहर निकाल कि मैंने कफ़न ओढ़ रखा हो

سَیْفِی مُجَرِّداً قَناتِی مُلَبِّیاً دَعْوَةَ الدَّاعِی فِی الْحاضِرِ وَالْبادِی اَللّٰھُمَّ أَرِنِی الطَّلْعَةَ الرَّشِیدَةَ وَ

मेरी तलवार नियाम से बाहर हो (यानी मैं पूर्ण रूप से तैयार हों) मेरा नैज़ा बुलंद हो पुकारने वाले की आवाज़ पर लब्बैक कहूं   आबादी में या वीराने में (यानी जहां पर भी हों वहां से उनकी आवाज़ पर उत्तर दूं) हे ईश्वर मुझे हज़रत का प्रकाशमयी चेहरा

الْغُرَّةَ الْحَمِیدَةَ وَاکْحَُلْ ناظِرِی بِنَظْرَةٍ مِنِّی إِلَیْہِ وَعَجِّلْ فَرَجَہُ وَسَہِّلْ مَخْرَجَہُ وَأَوْسِعْ مَنْھَجَہُ وَ

और आप की चमकती पेशानी दिखा, इन के दीदार को मेरी आँखों का सुरमा बना, उन के ज़ोहूर में जल्दी कर, इन के ज़हूर को आसान बना, उन का रास्ता वसी-अ कर दे और

اسْلُکْ بِی مَحَجَّتَہُ وَأَنْفِذْ أَمْرَھُ وَاشْدُدْ أَزْرَھُ۔وَاعْمُرِ اَللّٰھُمَّ بِہِ بِلادَکَ وَأَحْیِ بِہِ عِبادَکَ فَإِنَّکَ

मुझ को इन की राह पर चला, उन का हुक्म जारी कर, इन की शक्ति को बढ़ा और हे ईश्वर इन के माध्यम से अपने शहर आबाद कर और अपने बंदों को जीवन दे

قُلْتَ وَقَوْلُکَ الْحَقُّ ظَھَرَ الْفَسَادُ فِی الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا کَسَبَتْ أَیْدِی النَّاسِ

क्योंकि तुने फरमाया और तेरा कथन सच्चा है की प्रकट हुआ फसाद खुश्की और समुन्दर में यह नतीजा है लोगों के गलत कार्यों का

فَأَظْھِرِ اَللّٰھُمَّ لَنا وَلِیَّکَ وَابْنَ بِنْتِ نَبِیِّکَ الْمُسَمَّیٰ بِاسْمِ رَسُولِکَ صَلَّی اللہ عَلَیْہِ وَآلِہِ

तो हे ईश्वर! ज़हूर कर हमारे लिए अपने वली (अ) और अपने नबी की बेटी (स) के बेटे का जिन का नाम तेरे रसूल (स)  के नाम पर है

حَتَّی لاَ یَظْفَرَ بِشَیْءٍ مِنَ الْباطِلِ إِلاَّ مَزَّقَہُ وَیُحِقَّ الْحَقَّ وَیُحَقِّقَہُ۔ وَاجْعَلْہُ اَللّٰھُمَّ مَفْزَعاً لِمَظْلُومِ عِبادِکَ وَناصِراً لِمَنْ

यहाँ तक की वह बातिल का नाम व निशाँ मिटा डालें हक़ को हक़ कहें और इसे क़ाएम करें, ऐ माबूद करार दे इनको अपने मजलूम बन्दों के लिए

لاَ یَجِدُ لَہُ ناصِراً غَیْرَکَ وَمُجَدِّداً لِمَا عُطِّلَ مِنْ أَحْکامِ کِتابِکَ وَمُشَیِّداً لِمَا وَرَدَ مِنْ أَعْلامِ

जाए पनाह और इनके मददगार जिन के तेरे सिवा कोई मददगार नहीं बना इनको अपनी किताब के अहकाम के ज़िंदा करने वाले जो भुला दिए गए इन को अपने दीन के

دِینِکَ وَسُنَنِ نَبِیِّکَ صَلَّی اللهُ عَلَیْہِ وآلِہِ وَاجْعَلْہُ اَللّٰھُمَّ مِمَّنْ حَصَّنْتَہُ مِنْ بَأْسِ الْمُعْتَدِینَ۔

ख़ास अहकाम और अपने नबी के तरीकों को रासुख़ करने वाला बना इन पर और इनकी अल (स:अ) पर खुदा की रहमत हो और ऐ माबूद इन्ही लोगों में रख़ जिनको तुने जालिमों के हमले

اَللّٰھُمَّ وَسُرَّ نَبِیَّکَ مُحَمَّداً صَلَّی اللهُ عَلَیْہِ وآلِہِ بِرُؤْیَتِہِ وَمَنْ تَبِعَہُ عَلَی دَعْوَتِہِ وَارْحَمِ اسْتِکانَتَنا بَعْدَہُ۔

से बचाया ऐ माबूद खुशनूद कर अपने नबी मुहम्मद (स:अ:व:व) को इनके दीदार से और जिन्हों इनकी दावत में इनका साथ दिया और इनके बाद हमारी हालतज़ार पर रहम

اللَّھُمَّ اکْشِفْ ہذِہِ الْغُمَّةَ عَنْ ہذِہِ الْاَُمَّةِ بِحُضُورِھِ وَعَجِّلْ لَنا ظُھُورَھُ إِنَّھُمْ یَرَوْنَہُ بَعِیداً وَنَرَاھُ

फर्मा ऐ माबूद इनके ज़हूर से उम्मत की इस शकल और मुसीबत को दूर करदे और हमारे लिए जल्द इनका ज़हूर फर्मा के लोग इनको दूर और हम इन्हें नज़दीक समझते हैं

قَرِیباً بِرَحْمَتِکَ یَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ۔

तेरी रहमत का वास्ता ऐ सब से ज़्यादा रहम करने वाले

یَامَوْلایَ یَا صاحِبَ الزَّمانِ۔

या मौलाया या साहेबुज़-ज़मान

फिर तीन बार ज़ानू पर हाथ मारें और कहें

الْعَجَلَ  الْعَجَلَ  الْعَجَلَ

जल्द आइये जल्द आइये जल्द आइये

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