रास्ता दिखाने वाला स्वंय रास्ता जानता हो
रास्ता दिखाने वाला स्वंय रास्ता जानता हो
सैय्यदा सकीना बानों अलवी
हज़रत उमर मिब ख़त्ताब रात के समय मदीने की गलियों में भेस बदल कर चक्कर लगाया करते थे।
एक बार वह एक मकान के पास से गुज़रे तो वहां से संदिग्ध आवाज़ें सुनीं , आप तुरन्त दीवार फांदकर मकान से आगन में पहुंच गए,वहां आपने एक व्यक्ति को एक नामहरम औरत के साथ बैठे देखा जिसके सामने शराब का एक जाम भी रखा हुआ था।
हज़रत उमर ने उसकों डांटाः क्या तू यह समझता है कि अल्लाह तेरे राज़ों को फ़ाश नहीं करेगा और तुझे छिपकर ख़ुदा के आदेशों की अवहेलना करते हुए तनिक भी लज्जा नहीं आती है?
उस व्यक्ति ने कहाः हे उमर धैर्य रखों, जल्दबाज़ी ना करो अगर मैंने एक ग़ल्ती की है तो तुम तीन ग़ल्तियां कर चुके हो।
अल्लाह ने क़ुरआन में आदेश दिया है لا تجسسوا (दूसरों के ऍबों की खोजबीन ना करो) लेकिन तुमने हमारी जासूसी करके क़ुरआन की इस आयत का पालन नहीं किया।
और ईश्वर फ़रमाता हैः اتو البیوت من ابوبھا (घरों में उनके द्वारों से प्रवेश करो) लेकिन तुम दीवार फ़ांदकर आए हो यह तुम्हारी दूसरी ग़ल्ती है।
इसके अतिरिक्त ईश्वर का यह भी आदेश हैः و اذا دخلتم بیوتا فسلموا علی اھلھا (जब तुम घर में प्रवेश करों तो घरवालों को सलाम करो) लेकिन तुमने हमें सलाम नहीं किया, इस प्रकार तुम एक ही समय में तीन ग़ल्तियां कर चुके हो।
हज़रत उमर ने कहाः मैं इस शर्त पर तेरी ग़ल्ती क्षमा कर सकता हूँ कि तू वादा कर कि दोबारा ऐसी गल्ति नहीं करेगा।
उसने कहाः ख़ुदा की क़सम मैं दोबारा ऐसी कोई हरकत नहीं करूँगा।
हज़रत उमर ने कहाः निश्चिंत हो जाओं मैं ने भी तुम्हे क्षमा किया।
(अलग़दीर जिल्द 6 पेज 121, शर्हे इबने अबिल हदीद से लिया गया, जिल्द 1 पेज 61, पंदे तारीख़ पेज 30-31)
नई टिप्पणी जोड़ें