पैग़म्बरे इस्लाम की फज़ीलत और सीरत के कुछ नमूने
पैग़म्बरे इस्लाम की फज़ीलत और सीरत के कुछ नमूने
सैय्यदा सकीना बानो अलवी
बड़ों का सम्मान
जरीर बिन अब्दुल्लाह कहते हैं जब रसूले इस्लाम (स) को रिसालत दी गई तो मैं उनके पास पहुँचा ताकि उनकी बैअत कर सकूं,
आपने मुझसे फ़रमायाः हे जरीर मेरे पास क्यों आए हो?
मैंने कहाः हे अल्लाह के रसूल मैं आया हूँ ताकि आपके हाथों पर मुसलमान हो जाऊं,
आपने अपनी अबा को मेरे बैठने के लिए जम़ीन पर फैला दिया। फिर आपने अपने साथियों से फ़रमायाः
«اذا اتا کم کريم قوم فاکرموه»
जब कोई ऐसा व्यक्ति जो अपनी क़ौम में सम्मानित हैं तुम्हारे पास आए तो उसका सम्मान करों। (1)
बुरा भला कहने से रोकना
इबने मसऊद कहते हैं: रसूले ख़ुदा ने फ़रमायाः
«قال رسول الله (ص): لا يبلغني احد منکم عن اصحابي شيئا فاني احب ان اخرج اليکم و انا سليم الصدر»
कोई भी मेरे सामने मेरे सहाबियों की बुराई ना करे, मैं चाहता हूँ कि जब मैं तुम लोगों के पास आऊँ तो मेरा दिल तुम लोगों के सम्बन्ध में साफ़ हो (2)
धैर्य और सहनशीलता
जब आपके बेटे इब्राहीम की आत्मा उसके शरीर से निकल रही थी उस समय आपने इस प्रकार फ़रमायाः
و قال لابنه ابراهيم و هو يجود بنفسه: لولا ان الماضي فرط الباقي و ان الاخر لاحق بالاول لحزّنا عليک يا ابراهيم ثم دمعت عينه و قال: تدمع العين و يحزن القلب و لا نقول الا ما يرضي الرب و انّا بک يا ابراهيم لمحزونون:»
अगर बेटे पिछले ज़माने में, पिता के लिए कोई अज्र नहीं रखते थे और अगर यह ना होता कि जीवित लोग मुर्दों से मिल जाएंगे (वह भी मर जाएंगे) तो (अगर ऐसा होता) मैं तुम्हारे लिए दुखी होता हे इब्राहीम, फिर आपने रोना आरम्भ किया और फ़रमायाः आखें आँसू बहाती हैं, दिल जलता है, लेकिन केवल वह जिसपर ईश्वर राज़ी हो बात नहीं करूंगा और हे इब्राहीम हम तुम्हरी जुदाई पर दुखी हैं। (3)
विनम्रता
एक दिन आपकी दूध बहन आपके पास आईं, आपने जब उनको देखा तो प्रसन्न हो गए, आपने अपनी अबा को उनके लिए फैला दिया और उनको अपनी अबा पर बैठाया, उनसे बातचीत की और उनकी बात पर हंसे, फिर वह उठीं और चली गईं, उसके बाद उस औरत का भाई आया, आपने उसके साथ उसकी बहन जैसा व्यवहार नहीं किया!
लोगों ने कहाः हे अल्लाह के रसूल बहन से एक प्रकार का व्यवहार किया और भाई के साथ दूसरी प्रकार का जब्कि वह मर्द है?
आपने फ़रमायाः उस बहन का व्यवहार अपने पिता के लिए इस भाई से अच्छा था। (4)
ईश्वर से पनाह लेना
एक दिन आप बनी फ़हद के पास से गुज़रे जो अपने ग़ुलाम को मार रहा था और वह ग़ुलाम कह रहा थाः अऊज़ो बिल्लाह, लेकिन उसका आक़ा उसको मारे जा रहा था। जब उस ग़ुलाम ने पैग़म्बर को देखा तो कहाः «اعوذ بمحمد» मोहम्मद की पनाह मांगता हूँ, उसके आक़ा ने उसको मारना छोड़ दिया
आपने फ़रमायाः वह ख़ुदा की पनाह मांग रहा था लेकिन तुम उसको मारे जा रहे थे लेकिन जब मोहम्मद की पनाह मांगी तो मारना छोड़ दिया?!! ख़ुदा मोहम्मद से बेहतर है कि बंदा उससे पनाह मांगे,
उसने कहाः ख़ुदा के लिए मैंने उसको स्वतंत्र कर दिया «هو حر لوجه الله»
आपने फ़रमायाः
«والذي بعثني بالحق نبيا لو لم تفعل لواقع و جهُک حرّالنار»
जिस ईश्वर ने मुझे नबी बनाया है उसने फ़रमाया है, अगर ऐसा नहीं करते तो तुम्हारे चेहरे को नर्ग की आग के समाने करता। (5)
मज़ाक़
पैग़म्बर ने अशजा क़बीले की एक बूढ़ी औरत को देखा, तो फ़रमायाः बूढ़ी औरतें स्वर्ग में नहीं जाएंगी, औरत बैठ गई और रोने लगी,
बिलाल बिन रियाह ने कहाः क्यों रो रही हो?!!
उसने कहाः ख़ुदा के रसूल ने कहा हैः बूढ़ी औरतें स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेंगी।
बिलाल आपने पास आए और कहाः हे अल्लाह के रसूल क्या आपने ऐसा फ़रमाया है?
आपने फ़रमायाः काले लोग भी स्वर्ग में नहीं जाएंगे (बिलाल काले थे) बिलाल भी उस औरत के साथ बैठकर रोने लगे,
पैग़म्बर के चचा अब्बास ने उन दोनों को रोते देखा तो रोने का कारण पूछा, उन दोनों ने कहाः पैग़म्बर (स) ने ऐसा फ़रमाया है।
पैग़म्बर के चचा अब्बास आपके पास आए और माजरा पूछा
आपने फ़रमायाः बूढ़े आदमी भी स्वर्ग में नहीं जाएगें
अब्बास भी उन दोनों की भाति रोने लगे।
फिर आपने उन तीनों को बुलाया और फ़रमायाः
و قال: ان اهل الجنة جُرْدْ مُرْدٌ مُکَحّلوُنَ»
ईश्वर बूढ़ी औरतों को और मर्दों और कालों को बेहतरीन शक्ल और सूरत में जीवित करेगा, सब लोग जवानी और नूरानी शक्लों के साथ स्वर्ग में प्रवेश करेंगे। (6)
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स्रोत
(1) मकारिमुल अख़लाक़, पेज 25
(2) मकारिमुल अख़लाक़, पेज 17
(3) उसूल काफ़ी, जिल्द 2, पेज 183
(4) बिहारुल अनवार, जिल्द 16, पेज 295
(5) रौज़तुल वाएज़ीन, पेज 495 मजलिस 74, इस हदीस को अल्लामा मजलिसी ने बिहारुल अनवार जिल्द 169, पेज 214 में ख़िसाल और अमाली शेख़ सदूक़ से नक़्ल किया है और वहां पर यह है कि एक व्यक्ति ने 12 दिरहम रसूल को दिए और आपने वह अली (अ) को दे दिए।
(6) अरबी इबारत «فقاطعهم» है यानी मुक़ातेआ करों लेकिन ऐसा लगता है कि इसका तात्पर्य क़िस्तें हों।
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