सलवात की बरकतें
सलवात की बरकतें
सलवात के फ़ायदे और उसकी बरकतों के बारें में बहुत सी रिवायतें बयान की गई हैं जिनमें से कुछ रिवायतों को हम यहां पर बयान करेंगे। ताकि हम और आप अधिक से अधिक मोहम्मद और उनकी आल पर सलवात पढ़ सकें।
रसूले इस्लाम (स) ने फ़रमायाः
ما من مجلس لم یذکر اللہ یعالی و لم یصل علی، الا ویکون حسرتا و وبلا
1. पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः जो भी बैठक हो और उसमें ख़ुदा की याद और मुझपर सलवात ना पढ़ी जाए, तो जान लो कि वह बैठक वबाल और गिरफ़्तारी होगा।
2. जो भी चाहता है कि क़यामत के दिन ईश्वर को देखे, जब्कि ईश्वर उससे प्रसन्न हो, तो वह मुझ पर अधिक से अधिक सलवात भेजे
3. जो भी मोहम्मद और आले मोहम्मद पर हज़ार सलवात पढ़े वह नहीं मरेगा जब तक कि वह स्वर्ग की ख़ुशख़बरी ना सुन ले।
4. जो भी मोहम्मद और उनकी आल पर एक हज़ार बार सलवात पढ़े ईश्वर उसकी एक हज़ार हाजतों को पूरा करता है।
5. जो भी एक बार मुझ पर सलवात पढ़े, वह दो फ़रिश्ते जो उसकी निगरानी कर रहे हैं, तीन दिन तक उसका कोई पाप नही लिखते हैं, और फिर आप फ़रमाते हैं: जो भी हर सुबह दस बार और हर शाम दस बार मोहम्मद और आले मोहम्मद पर सलवात पढ़े, मैं आवश्यकता के समय उसकी सहायता करुंगा।
6. मुझ पर अधिक से अधिक सलवात भेजो क्योंकि मोहम्मद और आले मोहम्मद पर सलवात एक प्रकाश की भाति है भेजने वाले के लिए उसकी क़ब्र में और प्रकाश है सिरात के पुल पर और प्रकाश है स्वर्ग में।
7. जो भी मुझ पर ज़्याद सलवात पढ़े वह मौत की सख़्तियों और परेशानियों से बचा रहेगा।
8. मुझ पर और मेरे अहलेबैत पर सलवात निफ़ाक़ को दूर करता है।
9. क़यामत के दिन मैं आमाल का तराज़ू हूँ मेरे दोस्तों मे से जिसका भी पाप का पलड़ा उसकी अच्छाइयों से भारी होगा तो उसने जो सलवातें मोहम्मद और आले मोहम्मद पर भेजी होंगी उनको मैं उसकी नेकियों में बढ़ा दूँगा ताकि नेकियों का पलड़ा भारी हो जाए।
10. जो भी जुमे के दिन मुझ पर सौ सलवात पढ़े ख़ुदा उसकी साठ हाजतों को पूरा करेगा, तीस इस दुनिया में और तीस आख़ेरत में।
11. इमाम अली (अ) ने फ़रमायाः
कोई भी दुआ आसमान तक नहीं पहुँचती है मगर यह कि दुआ करने वाला मोहम्मद और आले मोहम्मद पर सलवात पढ़े।
12. इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः
जुमे के दिन कोई भी कार्य मोहम्मद और आले मोहम्मद पर सलवात पढ़ने से बेहतर नहीं है।
13. इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमायाः
जो भी अपने पापों का कफ़्फ़ारा ना दे सके, उसको मोहम्मद और आले मोहम्मद पर अधिक से अधिक सलवात पढ़ना चाहिए क्योंकि सलवात पापों को जला देती है और उनको समाप्त कर देती है।
तो आइये हम सब मिलकर पढ़े
अल्ला हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद व आले मोहम्मद
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