नमाज़े ग़ुफ़ैला पढ़ने का तरीक़ा
मुस्तहब्बी नमाज़ों में से एक नमाज़े ग़ुफ़ैला है, जो मग़रिब व इशा की नमाज़ के बीच पढ़ी जाती है। इसका वक़्त नमाज़े मग़रिब के बाद पश्चिम की तरफ़ की सुर्ख़ी ख़त्म होने तक है।
यह नमाज़ दो रकअत है।
और पहली रकअत में हम्द के बाद दूसरे सूरे के स्थान यह आयत पढ़ी जाती है
«وَ ذَالنُّونِ إِذْ ذَهَبَ مُغَاضِباً فَظَنَّ أَنْ لَنْ نَقْدِرَ عَلَيْهِ فَنَادَي فِيالظُّلُمَاتِ أَنْ لَاإِلَهَإِلاَّأَنْتَ سُبْحَانَک إِنِّي کنْتُ مِنَ الظَّالِمِينَ فَاسْتَجَبْنَا لَهُ وَ نَجَّيْنَاهُ مِنَ الْغَمِّ وَ کذَلِکَ نُنْجِي الْمُؤْمِنِينَ.»
“व ज़न्नूनि इज़ ज़हाबा मुग़ाज़िबन फ़ज़न्ना अन लन नक़दिरा अलैहि फ़नादा फ़िज़्ज़ुलिमाति अन ला इलाहा इल्ला अन्ता सुबहानका इन्नी कुन्तु मिन अज़्ज़ालीमीन फ़स्तजबना लहु व नज्जैनाहु मिन अलग़म्मि व कज़ालिका नुनजिल मोमिनीना ”
और दूसरी रकअत में हम्द के बाद यह आयत पढ़ी जाती है
«وَ عِنْدَهُ مَفَاتِحُ الْغَيْبِ لَا يعْلَمُهَا إِلاَّ هُوَ وَ يعْلَمُ مَا فِي الْبَرِّ وَ الْبَحْرِ وَ مَا تَسْقُطُ مِنْ وَرَقَةٍ إِلاَّ يعْلَمُهَا وَ لَا حَبَّةٍ فِي ظُلُمَاتِ الْأَرْضِ وَ لاَ رَطْبٍ وَ لَا يَابِسٍ إِلاَّ فِي کتَابٍ مُبِينٍ.»
“व इन्दा मफ़ातिहुल ग़ैबि ला यअलमुहा इल्ला हुवा व यअलमु मा फ़िल बर्रे वल बहरे व मा तसक़ुतु मिन वरक़तिन इल्ला यअलमुहा व ला हब्बतिन फ़ी ज़ुलुमातिल अर्ज़ि व ला रतबिंव व ला याबिसिंव इल्ला फ़ी किताबिम मुबीन।”
और क़ुनूत में यह दुआ पढ़ी जाती है
«أَللَّهُمَّ إِنِّي أَسْئَلُک بِمَفَاتِيحِ الْغَيْبِ الَّتِي لَا يعْلَمُهَا إِلاَّ أَنْتَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَي مُحَمَّدٍوَآلِهِ وَ أَنْ تَفْعَلَ بِي کذَا وَ کذَا»
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका बिमफ़ातिहिल ग़ैबि अल्लती ला यअलमुहा इल्ला अन्ता अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिवं व आलि मुहम्मद व अन तफ़अला बी
इसके बाद अपनी दुआ माँगे
और फिर यह दुआ पढ़े
«أَللَّهُمَّ أَنْتَ وَلِيُّ نِعْمَتِي وَ الْقَادِرُ عَلَي طَلَبَتِي تَعْلَمُ حَاجَتِي فَأَسْئَلُک بِحَقِّ مُحَمَّدٍوَآلِمُحَمَّدٍ عَلَيْهِ وَ عَلَيْهِمُ السَّلَامِ لَمَّا قَضَيتَهَا لِي.»
अल्लाहुम्मा अन्ता वलियु नेअमति वल क़ादिरु अला तलिबति तअलमु हा-जति फ़असअलुका बिहक़्क़ि मुहम्मदिंवं व आलि मुहम्मदिन अलैहि व अलैहिमुस्सलाम लम्मा क़जैतहा ली।
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