चाहने वालों की दुआ (मुनाजातुल मुरीदीन)

चाहने वालों की दुआ (मुनाजातुल मुरीदीन)

---- بِسْمِ اﷲِ الرَحْمنِ الرَحیمْ---

आरम्भ करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालू और बहुत रहम करने वाला है

سُبْحانَکَ مَا ٲَضْیَقَ الطُّرُقَ عَلَی مَنْ لَمْ تَکُنْ دَلِیلَہُ، وَمَا ٲَوْضَحَ الْحَقَّ عِنْدَ مَنْ ھَدَیْتَہُ سَبِیلَہُ؟

पवित्र है तू! कितना कठिन है रास्त उसके लिए जिसका तू मार्गदर्शक न हो, और कितना स्पष्ट है हक़ जिसको तूने रास्ता बताया है

إلھِی فَاسْلُکْ بِنا سُبُلَ الْوُصُولِ إلَیْکَ ، وَسَیِّرْنا فِی ٲَقْرَبِ الطُّرُقِ لِلْوُفُودِ عَلَیْکَ،

हे ईश्वर हमें अपनी बारगाह तक पहुँचने वाले रास्तों पर चला, और हमें स्वंय तक ले जाने वाले सबसे क़रीबी रास्तों पर लगा दे

 قَرِّبْ عَلَیْنَا الْبَعِیدَ، وَسَہِّلْ عَلَیْنَا الْعَسِیرَ الشَّدِیدَ، 

जो दूर हैं उसे हमारे निकट कर दे , और कठिन एवं सख़्त रास्तों को हमारे लिए आसान एवं समतल कर दे

وَٲَ لْحِقْنا بِعِبادِکَ الَّذِینَ ھُمْ بِالْبِدارِ إلَیْکَ یُسارِعُونَ وَبابَکَ عَلَی الدَّوامِ یَطْرُقُونَ،

हमें अपने उन बंदों से मिला दे जो तेरी तरफ़ बढ़ने में जल्दी करने वाले हैं और तेरी कृपा के द्वार को सदैव खटखटाते रहते हैं

وَ إیَّاکَ فِی اللَّیْلِ وَالنَّہارِ یَعْبُدُونَ، وَھُمْ مِنْ ھَیْبَتِکَ مُشْفِقُونَ، الَّذِینَ صَفَّیْتَ لَھُمُ الْمَشَارِبَ،

और दिन एवं रात में तेरी आराधना में लगे रहते हैं, जो तेरे वैभव से डरे रहते हैं, वह वहीं हैं जिनकी पीने के स्थान को तू ने साफ़ किया

وَبَلَّغْتَھُمُ الرَّغائِبَ، وَٲَ نْجَحْتَ لَھُمُ الْمَطالِبَ، وَقَضَیْتَ لَھُمْ مِنْ فَضْلِکَ الْمَآرِبَ،

और उन्हें उनकी आशाओं तक पहुँचाया है, और उन्हें अपने मक़सदों एव लक्ष्यों में कामियाब बनाया, और अपनी कृपा से उनकी आवश्यकताओं को पूरा किया,

وَمَلَائ ِتَ لَھُمْ ضَمائِرَھُمْ مِنْ حُبِّکَ وَرَوَّیْتَھُمْ مِنْ صافِی شِرْبِکَ فَبِکَ إلَی لَذِیذِ مُناجاتِکَ وَصَلُوا،

उनके दिलों को अपनी मोहब्बत से भर दिया है, और अपनी मारेफ़त (ज्ञान) के साफ़ पानी से उनको तृप्त किया है, उन्होंने तेरे माध्यम से तेरी प्रार्थना के स्वाद को चख लिया हैं,

 وَمِنْکَ ٲَقْصیٰ مَقاصِدِھِمْ حَصَّلُوا، فَیا مَنْ ھُوَ عَلَی الْمُقْبِلِینَ عَلَیْہِ مُقْبِلٌ

और तुझ ही से उन्होंने अपने सारे लक्ष्यों को प्राप्त किया है, तो हे वह जो अपनी तरफ़ देखने वालों की तरफ़ निगाह करता है

، وَبِالْعَطْفِ عَلَیْھِمْ عائِدٌ مُفْضِلٌ، وَبِالْغافِلِینَ عَنْ ذِکْرِھِ رَحِیمٌ ر ئُوْفٌ،

और अपनी कृपा से उन्हें लगातार नेमत देने वाला और क्षमा करने वाला है और अपनी याद से बेख़बर रहने वालों पर नर्म और कृपालु है

وَبِجَذْبِھِمْ إلَی بابِہِ وَدُودٌ عَطُوفٌ، ٲَسْٲَلُکَ ٲَنْ تَجْعَلَنِی مِنْ ٲَوْفَرِھِمْ مِنْکَ حَظّاً،

और उन्हें अपने द्वार पर लाने में प्यार करने वाला और मेहरबान है, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ कि मुझे उन लोगों में रख जो तेरे यहां अधिक हिस्साल रखने वाले हैं

وَٲَعْلاھُمْ عِنْدَکَ مَنْزِلاً، وَٲَجْزَلِھِمْ مِنْ وُدِّکَ قِسْماً ،

और तेरे निकट उनका स्थान ऊँचा है, और उन्होंने तेरी कृपा एवं रहमत का अधिक हिस्सा पाया है

وَٲَ فْضَلِھِمْ فِی مَعْرِفَتِکَ نَصِیباً، فَقَدِ انْقَطَعَتْ إلَیْکَ ھِمَّتِی، وَانْصَرَفَتْ نَحْوَکَ رَغْبَتِی،

और वह तेरी मारेफ़त में अधिक हिस्सा ले चुके हैं कि मेरी आशा हर तरफ़ से टूट कर तेरी तरफ़ आ चुकी है, और मेरी चाहत एवं आरज़ू तेरी तरफ़ फिर चुकी है,

 فَٲَ نْتَ لاَ غَیْرُکَ مُرادِی، وَلَکَ لاَ لِسِوَاکَ سَھَرِی وَسُہادِی، 

कि तेरे अतिरिक्त कोई मेरा मक़सद नहीं है और मेरी निद्रा एवं जागना केवल तेरे लिए ही है किसी और के लिए नहीं,

وَ لِقاؤُکَ قُرَّۃُ عَیْنِی، وَ وَصْلُکَ مُنَیٰ نَفْسِی، وَ إلَیْکَ شَوْقِی، وَفِی مَحَبَّتِکَ وَلَھِی، 

तेरी मुलाक़ात मेरी आँखों की ठंडक और तुझ से मिलना मेरी दिली तमन्ना है, और मुझे तेरा ही शौक़ है, और मुझे तेरी ही मोहब्बत का जुनून है

وَ إلَیٰ ھَواکَ صَبابَتِی وَرِضاکَ بُغْیَتِی، وَرُؤْیَتُکَ حاجَتِی، وَجِوارُکَ طَلَبِی، وَقُرْبُکَ غایَۃُ سُؤْلِی،

और तेरी चाहत मेरा इश्क़ है और तेरी मर्ज़ी मेरा मक़सद, तेरा दीदार मेरी आवश्यकता है, और तेरा साथ मेरी चाहत है, तेरी निकटता मेरी दिली ख़्वाहिश है

وَفِی مُناجَاتِکَ رَوْحِی وَرَاحَتِی، وَعِنْدَکَ دَوائُ عِلَّتِی، وَشِفائُ غُلَّتِی، 

और तुझ से राज़ की बातें करना मेरी प्रसन्नता और ख़ुशी है, और तेरे ही पास मेरी बीमारी की दवा है और मेरे मरज़ का इलाज तेरे ही पास है

وَبَرْدُ لَوْعَتِی، وَکَشْفُ کُرْبَتِی، فَکُنْ ٲَنِیسِی فِی وَحْشَتِی، وَمُقِیلَ عَثْرَتِی، وَغافِرَ زَلَّتِی،

तू ही मेरे जले दिल की ठंडक है और मेरी कठिनाइयों का दूर होना है, तो हे (ईश्वर) तू मेरे एकांत का साथी बन जा, और मेरे पापों को क्षमा करने वाला और मेरी कोताहियों को माफ़ करने वाला

وَقابِلَ تَوْبَتِی وَمُجِیبَ دَعْوَتِی وَوَ لِیَّ عِصْمَتِی وَمُغْنِیَ فاقَتِی، وَلاَ تَقْطَعْنِی عَنْکَ،

और मेरी तौबा को स्वीकार करने वाला और मेरी प्रार्थनाओं को स्वीकार करने वाला, और मेरी देखभाल का दायित्व उठाने वाला और कमी को पूरा करने वाला बन जा, मुझे ख़ुद से अलग न कर,

وَلاَ تُبْعِدْنِی مِنْکَ، یَا نَعِیمِی وَجَنَّتِی، وَیَا دُنْیَایَ وَآخِرَتِی، یَا ٲَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ ۔

और मुझे ख़ुद से दूर न कर, हे मेरी नेमत, और हे मेरी जन्नत, और हे मेरी दुनिया और हे मेरी आख़ेरत, हे सबसे अधिक रहम करने वाले।

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