होशियार रहो!

होशियार रहो!


قال الامام محمد بن علی الباقر علیہ السلام

«إِنَّ الشَّیطَانَ یغْرِی بَینَ الْمُؤْمِنِینَ- مَا لَمْ یرْجِعْ أَحَدُهُمْ عَنْ دِینِهِ- فَإِذَا فَعَلُوا ذَلِكَ اسْتَلْقَى عَلَى قَفَاهُ وَ تَمَدَّدَ ثُمَّ قَالَ فُزْتُ- فَرَحِمَ اللَّهُ امْرَأً أَلَّفَ بَینَ وَلِیینِ لَنَا یا مَعْشَرَ الْمُؤْمِنِینَ تَأَلَّفُوا وَ تَعَاطَفُوا »

इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:

शैतान सदैव मोमिनों और हमारे दोस्तों के बीच फूट, बुराई और फ़साद फैलाता रहता है, ताकि इस प्रकार उनके बीच जुदाई और दूरी पैदा कर सके, और जब मोमिनों के बीच में फूट और बदगुमानी पैदा हो जाती है तो वह प्रसन्नता के साथ के साथ सो जाता है और उसकी थकान उतर जाती है, और कहता हैः

मैं जीत गया और अपने मक़सद को पा गया,

फिर इमाम फ़रमाते हैं: ख़ुदा कृपा करे उस व्यक्ति पर जो हमारे दोस्तों में से दो लोगों के बीच मेलमिलाप पैदा करे और मतभेद को दूर करे, हे हमारे दोस्तों एक दूसरे के साथ पक्के दोस्त रहो, और मोहब्बत मेहरबानी और संवेदनशीलता दिखाओ।

बिहारुल अनवार जिल्द 75, पेज 175, काफ़ी जिल्द 2, पेज 245

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