सबसे बड़ा पर्दा
सबसे बड़ा पर्दा
इन्सान का सबसे बड़ा पर्दा कौन सा है हो उसको ख़ुदा तक पहुँचने से रोकता है?
यह बात यक़ीन के साथ कही जा सकती है कि ख़ुद ख़वाही (फ़क़त अपने आप को चाहना), ख़ुद बरतर बीनी (अपने आप को दूसरों से बेहतर समझना),व ख़ुद महवरी (केवल अपने आप को सबका केन्द्र समझना) से बुरा कोई पर्दा नही है। इल्में अख़लाक़ के कुछ बुज़ुर्ग उलमा का कहना है कि ख़ुदा की राह में यात्रा करने वालों के लिए “अनानियत ” सब से बड़ी रुकावट है। और ख़ुदा तक पहुँचने के लिए इस “अनानियत ” को कुचलना बहुत ज़रूरी है लेकिन यह काम आसान नही है क्यों कि यह एक तरह से अपने आप से जुदा होना है।
ईरान के प्रसिद्ध कवि हाफ़िज़ ने क्या ख़ूब कहा है
तू ख़ुद हिजाबे ख़ुदी , हाफ़िज़ अज़ मयान बर ख़ेज़।
लेकिन यह काम प्रेक्टिस, अपने आप को तैयार करने , हक़ से सहायता ने और औलिया अल्लाह से तवस्सुल के ज़रिये आसान हो सकता है। हाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि अल्लाह की मुहब्बत का यह ताज़ा लगाया हुआ पौधा उस वक़्त तक नही फूल फल सकेगा जब तक दिल की ज़मीन से ग़ैरे ख़ुदा की मुहब्बत के सबज़े को जड़ से उखाड़ कर न फ़ेँक दिया जाये।
एक वलीये ख़ुदा की जीवनी में मिलता है कि अपनी जवानी के दौरान वह प्रसिद्ध पहलवानो माने आते थे एक दिन यह पेश कश की गई कि इस जवान पहलवान को एक पुराने प्रसिद्ध पहलवान के साथ कुश्ती लड़ाई जाये। जब तमाम तैयारियां पूरी हो गईं और दोनों पहलवान कुश्ती लड़ने के लिए उख़ाड़े में उतर गये तो उस पुराने पहलवान की माँ जवान पहलवान के पास गई और उस के कान में कुछ कह कर पलट गई । उसने कहा था कि ऐ जवान ऐसा लगता है कि तू कामयाब होगा लेकिन देख तू ऐसा न करना कि एक ज़माने से हमारी इज़्ज़त जो बनी है वह ख़ाक में मिल जाये और हमारी रोज़ी रोटी छिन जाये। यह सुन कर जवान पहलवान सख़्त कशमकश में पड़ गया एक तरफ़ उसकी अपनी “अनानियत ” व “नामवर शख़्सियतों को शिकस्त देने ” का जोश दूसरी तरफ़ उस औरत की बात, अंत उसने एक फ़ैसला ले ही लिया और अपने फ़ैसले के अनुसार कुश्ती के दौरान एक महत्वपूर्ण मौक़े पर उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया ताकि उसका हरीफ़ उसको चित कर दे और लोगों की नज़रों में ज़लील होने से बच जाये।
अब ख़ुद उसकी ज़बान से सुनो वह कहता है कि “उसी लम्हे जब मेरी कमर ज़मीन को लगी अचानक मेरी निगाहों के सामने से पर्दे हट गये और मेरे दिल में हक़ का प्रकाश जगमगाने लगा, और हम को जो कुछ भी दिल की आँखों से देखना चाहिए वह सब मैंनें देखा। ” यह बात सही है “अनानियत ” के बुत को तोड़ देने से तौहीद के आसार नुमायाँ हो जाते हैं।
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