बैअत से इनकार पर यह आयत पढ़ी हुसैन ने

मदीने के हाकिम ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को बुलाया और उनसे यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने स्वीकार नही किया और देरी की।

मदीने के हाकिम ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को बुलाया और उनसे यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने स्वीकार नही किया और देरी की।

मरवान ने मदीने के हाकिम वलीद से कहा कि यही पर और अभी हुसैन से बैअत ले लो

तब इमाम हुसैन ने मरवान की तरफ़ देख कर कहा

«ویلک یا مروان، الیک عنّى فانّک رجس و انّا اهل بیت الطّهارة الذین انزل الله فیهم على نبیّه(صلى الله علیه وآله وسلم): إِنَّمَا یُرِیدُ اللَّهُ لِیُذْهِبَ عَنکُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَیْتِ وَ یُطَهِّرَکُمْ تَطْهِیرًا;

वाय (लानत) हो तुझ पर हे मरवान मुझ से दूर हो जा, क्योंकि तू अपवित्र और गंदा है और हम वह अहलेबैत तहारत हैं जिनके बारे में ख़ुदा ने अपने पैग़म्बर पर आयत उतारी और फ़रमायाः ख़ुदा ने इरादा किया है कि नजासत को तुम अहलेबैत से दूर रखे और तुम को पाक एवं पवित्र कर दे।

मरवान ने जब इमाम का क़ुरआन से लिया हुआ यह मज़बूत तर्क सुना तो कुछ न बोल सका और लज्जित हो सक अपना सर झुका लिया (अलफ़ुतूह जिल्द 5 पेज 17. मौसूअतुल हुसैन पेज 285)

हां उस वीरों के वीर ने इस मज़बूत और क़ुरआन से ली हुई दलील से अपनी महानता और बेनज़ीर होने को सिद्ध कर दिया और इस प्रकार मरवान और मदीने के हाकिम वलीद को हुसैन द्वारा बैअत के स्वीकार करने से निराश कर दिया, और मरवान एवं वलीद के बारे में «رجس» (रिज्स) शब्द का प्रयोग कर के और ख़ुद को पैग़म्बर के पवित्र अहलेबैत और आयते ततहीर से मिलाकर मरवान (जो कि यज़ीद का कारिंदा था) और यज़ीन की तुक्ष्ता और अपमान को साबित कर दिया और हमेशा के लिए मरवान और उसके जैसी सोंच रखने वालों की ज़बानों को बंद कर दिया।

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