मोमिन को प्रसन्न करना बेहतरीन इबादत

मोमिन को प्रसन्न करना बेहतरीन इबादत

इमाम हुसैन (अ) ने फ़रमाया मेरे नाना रसूले ख़ुदा (अ) का कहना है किः नमाज़ के बाद बेहतरीन कार्य यह है कि मोमिन को ऐसे कार्यों और माध्यमों से प्रसन्न किया जाए जो ख़ुदा के आदेशों की अवहेलना में उपयोग न किए जाते हों।

मैं अपने नाना के इस आदेश का तजुर्बा कर चुका हूँ।

मैंने एक दिन एक ग़ुलाम को देखा कि वह  रोटी खा रहा था, एक नेवाला वह ख़ुद खाता और एक नेवाला कुत्ते को डाल देता था। मैने उससे इस कार्य का कारण पूछा तो उसने कहाः

रसूले के बेटे, मैं एक ग़मज़दा इन्सान हूँ और चाहता हूँ कि मुझे ख़ुशी मिले इसीलिए इस जानवर को खिलाकर मुझे कुछ ख़ुशी प्राप्त होती है।

मैंने उससे पूछा तुम ग़मगीन क्यों हो?

उसने बताया कि मैं एक यहूदी का ग़ुलाम हूँ और चाहता हूँ कि उससे नजात प्राप्त करूँ।

तो मैं उसके यहूदी मालिक के पास गया और उससे कहा कि अपना गु़लाम मुझे बेच दो और दो सौ दीनार मुझसे उसकी क़ीमत ले लो।

यहूदी ने कहाः ग़ुलाम आपने नाम पर क़ुर्बान मैं उसे आज़ाद करता हूँ और यह बाग़ भी उसके नाम करता हूँ और दो सौ दीनार आपको भेंट के रूप में प्रस्तुत करता हूँ।

मैंने कहा कि तुम मुझसे दो सौ दीनार ले लो।

तो उसने वह दीनार लेकर ग़ुलाम के हवाले कर दिए।

यहूदी की बीवी ने कहाः मैं इस्लाम स्वीकार करती हूँ और अपना मेहर का हक़ भी अपने पति को माफ़ करती हूँ। यहूदी ने यह सुनकर कहा कि मैं भी मुसलमान होता हूँ और अपनी पत्नि को मेहर के तौर पर यह मकान देता हूं।

(बिहारुल अनवार जिल्द 10 पेज 145 दारुस्सलाम जिल्द 3 पेज 350 पंदे तारीख़ से लिया गया पेज 63- 64)

नई टिप्पणी जोड़ें